पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२५८

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अतिरिक्त मूल्य की दर २५५ कर देता है, लेकिन वह सिर्फ इसलिए कि वह एक घण्टे में पाये घण्टे से ज्यादा कपास कात बेता है। इसलिए, प्राप देखते हैं कि आपका यह कथन कि मजदूर अन्तिम से पहले एक घण्टे में अपनी मजदूरी का मूल्य और अन्तिम घण्टे में पापका असल मुनाका पैदा करता है, इससे अधिक और कुछ पर्व नहीं रखता कि वह २ घण्टे में जो सूत तैयार करता है, चाहे वे दिन के पहले २ अच्छे हों या अन्तिम २ घण्टे हों, उस सूत में ११६ घण्टे-या पूरे दिन-का श्रम निहित होता है, यानी उस सूत में दो घण्टे का उसका अपना काम पौर घण्टे का अन्य . लोगों का काम निहित होता है। और मेरे इस कथन का कि मजदूर पहले ५२ पदों में अपनी मजदूरी और अन्तिम ६ घण्टों में आप लोगों का असल मुनाफ़ा पैदा करता है, केवल यह अर्थ है कि आप उसे पहले ६ घण्टों में बाम तो देते हैं, मगर अन्तिम ४ धष्टों के दाम नहीं देते। श्रम शक्ति के दाम के बजाय श्रम के दाम की बात में केवल इसलिए कर रहा हूं कि इस समय मैं माप लोगों की शब्दावली का इस्तेमाल कर रहा हूं। अब, महानुभावो, जिस अम-काल के पाप दाम देते हैं, उसके साथ पाप यदि उस श्रम-काल की तुलना करें, जिसके बाम पाप नहीं देते, तो पाप पायेंगे कि उनका एक दूसरे के साथ वही अनुपात है, जो पाषे दिन का पाषे दिन के साथ होता है। इससे १०० प्रतिशत की दर निकलती है, जो मानना पड़ेगा कि बहुत ही बढ़िया दर है। इतना ही नहीं, इस बात में सनिक भी सन्देह नहीं है कि यदि आप अपने मजदूरों ('hands) से ११ घण्टे के बनाय १३ घण्टे मेहनत कराने लगें और,-जैसी कि पाप से पाशा की जा सकती है। इस अतिरिक्त के घण्टे में जो काम होता है, उसे यदि माप विशुद्ध अतिरिक्त श्रम माने, तो अतिरिक्त बम ६ घन्टे से बढ़कर एक घण्टों का हो जायेगा और अतिरिक्त मूल्य की २ वर १०० प्रतिशत से बढ़कर १२६ प्रतिशत हो जायेगी। इसलिए, पाप यदि यह सोचते २३ हैं कि काम के दिन में इस तरह १६ घण्टा बढ़ा देने से अतिरिक्त मूल्य की दर १०० प्रतिशत से बढ़कर २०० प्रतिशत या उससे भी ज्यादा हो जायेगी, या, दूसरे शब्दों में, वह बढ़कर "दुगुनी से भी ज्यावा" हो जायेगी, तो हम कहेंगे कि पाप प्रत्यधिक माशावादी हैं। दूसरी ओर, जब पापको यह डर सताता है कि श्रम के घण्टों को ११ से घटाकर १० कर देने पर मापका असल मुनाफा सारे का सारा गायब हो जायेगा, तब पाप प्रत्यधिक निराशावादी हो जाते हैं,-मनुष्य का हवय सचमुच बड़ी ही विचित्र वस्तु होता है, और खास कर उस समय, पब लोग उसे धन की पेली में गले फिरते हैं। पापका पर सर्वषा निराधार है। परि