काम का दिन २७१ पांच दिन में-३०० मिनट शनिवार को सुबह ६ बजे के पहले नाश्ते के समय तीसरे पहर २ बजे के बाद १५ मिनट १० मिनट १५ मिनट ४० मिनट पूरे सप्ताह में ३४० मिनट 918 91 , यानी "पानी ५ घण्टे और ४० मिनट प्रति सप्ताह , जिसे यदि वर्ष के ५० सप्ताहों से गुणा कर दिया जाये (ो सप्ताह हम उत्सवों के और कभी-कभार काम बन्द हो जाने के छोड़ देते है), तो वह कुल २७ दिन के बराबर होता है।" "यदि प्रति दिन पांच मिनट स्यावा काम लिया जाये, तो सप्ताहों से गुणा करने पर बह साल भर में नई दिन की पैदावार के बराबर हो जाता है।" 'मुबह को बनने के पहले, शाम को छ: बजे के बाद और जो समय सामान्य रूप से नाश्ते तवा भोजन के लिए नियत होता है, उसके प्रारम्भ में और अन्त में थोड़ा-थोड़ा करके परि कुल एक अतिरिक्त घण्टा बचा लिया जाता है, तो वह साल में लगभग १३ महीने काम लेने के बराबर हो जाता है। प्रर्ष-संकट के समय उत्पादन बीच में सक जाता है, और फ़ैक्टरियां "कम समय सप्ताह के एक हिस्से के लिए ही, काम करने लगती है। परन्तु इन संकटों से, जाहिर है, काम के दिन को अधिक से अधिक लम्बा कर देने की प्रवृति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। कारण कि व्यवसाय जितना मन्द पड़ जाता है, किये जाने वाले कारवार से उतना ही ज्यादा मुनाफा बनाना बरी हो जाता है। काम में जितना कम समय खर्च होता है, उसके उतने ही प्रषिक भाग को अतिरिक्त भम-काल में बदल देना पावश्यक हो जाता है। चुनांचे, १८५७ से १८५८ तक वो पर्व-संकट का काल पाया था, उसके बारे में फेक्टरी- इंस्पेक्टर की रिपोर्ट में कहा गया है: 'यह एक प्रसंगत सी बात प्रतीत हो सकती है कि जिन दिनों व्यापार की दशा इतनी पुरी हो, उन दिनों कहीं पर निश्चित घण्टों त्याना मजदूरों से काम कराया जाये। लेकिन व्यापार की इस पुरी हालत के ही कारण मान लोग उससे अनुचित लाभ उठाते है, अतिरिक्त मुनाफा कमाते हैं...' , 46 1 "Suggestions etc. by Mr. L. Horner, Inspector of Factories" (Stefuf के इंस्पेक्टर मि० एल० होनर के सुझाव, इत्यादि'), "Factories Regulation Acts. Ordered by the House of Commons to be printed, 9th August, 1859" *, पृ० ४, ५॥
- "Reports of the Inspectors of Factories for the half year, October, 56"
('फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की छमाही रिपोर्ट, अक्तूबर, १८५६'), पृ० ३५ । | "Reports, etc., 30th April 1858" ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८५८'), पृ. । .