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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२७३

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२७० पूंजीवादी उत्पादन नियुक्त कर दिये गये हैं, वो फ्रक्टरी-स्पेक्टर कहलाते हैं। ये लोग सीचे गृहमंत्री के मातहत काम करते हैं, और संसद के प्रादेशानुसार हर माही को उनकी रिपोर्ट प्रकाशित होती है। इन रिपोर्टों में अतिरिक्त मम के पूंजीवादी लोन के नियमित एवं सरकारी प्रांकड़े मिल जाते हैं। प्रब बरा इन पटरी-संस्पेक्टरों की बात सुनिये।' "बेईमान मिल-मालिक सुबह को छ: बचने के पन्द्रह मिनट (कमी इससे कुछ कम, कमी इससे कुछ स्यावा) पहले काम शुरू करा देता है और शाम को ६ बबने के पनाह मिनट (कमी इससे कुछ कम, कमी इससे कुछ प्यावा) बाब मजदूरों को छोड़ता है। नाश्ते के वास्ते मजदूरों को बराय नाम को पावा घन्टा दिया जाता है, उसमें से बह ५ मिनट शुरू में और ५ मिनट पन्त में काट लेता है। और खाने के वास्ते को नाम मात्र का एक घन्टा मिलता है, उसमें से वह १० मिनट शुरू में और १० मिनट अन्त में काट लेता है। शनिवार को वह तीसरे पहर के २ बजने के पन्द्रह मिनट बार तक (कभी इससे कुछ कम, कमी इससे कुछ ज्यादा देर तक) काम कराता रहता है। इस प्रकार यह इतना भम मुफ्त में पा जाता है: १५ मिनट शाम को बजे के बाद नाश्ते के समय १० मिनट साने के समय U १५ मिनट २० मिनट ६० मिनट इंगलैण्ड में माधुनिक उद्योगों के प्रारम्भ से १८४५ तक के काल का मैं जहां-तहां थोड़ा सा जिक्र भर करूंगा। इस काल की जानकारी हासिल करने के लिए मैं पाठक को फेडरिक Que afa "Die Lage der arbeitenden Klasse' in England", Leipzig, 1845, पढ़ने की सलाह दूंगा। उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली की एंगेल्स को कितनी मुकम्मिल समझ थी, इसका प्रमाण उन Factory Reports (फेक्टरी-रिपोर्टो), Reports on Mines (वानों की रिपोटो) प्रावि में मिलता है, जो १८४५ से अब तक प्रकाशित हुई है। और मजदूरों की हालत की छोटी से छोटी बातों का भी एंगेल्स ने कितना चमत्कारपूर्ण वर्णन किया है, यह उनकी पुस्तक का Children's Employment Commission (बाल-सेवायोजन प्रायोग) की उन सरकारी रिपोर्टों से बहुत सतही ढंग से मुकाबला करने पर भी मालूम हो जाता है, जो उसके १८-२० बरस बाद (१८६३-१९६७ में) प्रकाशित हुई थीं। ये रिपोर्ट बास तौर पर उद्योग की उन शाखामों से सम्बंध रखती है, जिनपर फैक्टरी-कानून १८६२ तक लागू नहीं हुए थे और जिनपर सच पूछिये, तो वे माण तक लागू नहीं हो पाये है। इसलिए उद्योग की इन शाखामों की जिन परिस्थितियों का एंगेल्स ने वर्णन किया था, उनमें अधिकारियों के हस्तक्षेप से कोई परिवर्तन नहीं हुमा है, और यदि हुमा है, तो नहीं के बराबर। मैंने अपनी ज्यादातर मिसालें १८४८ के बाद के उस स्वतंत्र व्यापार के युग से ली है, उस स्वर्गिक युग से ली है, जिसके विषय में स्वतंत्र व्यापार की बड़ी फर्म के ये फेरीवाले, जो जितने जाहिल है, उतने ही कल्लावराण भी, इतनी लम्बी-लम्बी हांकते है कि जमीन-आसमान एक कर देते है। बाकी, यहां पर यदि इंगलैण्ड पर सबसे अधिक जोर दिया गया है, तो केवल इसलिये कि वह पूंजीवादी उत्पादन का सर्वमान्य प्रतिनिधि है और केवल उसी के पास उन चीजों के पांकड़ों का एक सतत क्रम मौजूद है, जिनपर हम यहाँ विचार कर रहे है। .