काम का दिन २७५ . १४ जनवरी १८६० को नोटिंघम के समा-भवन में एक सभा हुई थी। उसके अध्यक्ष- पर से भाषण करते हुए काउंटी मजिस्ट्रेट मि० बाउटन चार्लटन ने कहा था कि लैस के व्यापार से सम्बंध रखने वाले प्राबादी के एक हिस्से में ऐसी परीबी और ऐसी कष्टप्रद स्थिति है, जो राज्य के अन्य भागों में, बल्कि कहना चाहिये कि पूरे सभ्य संसार में और कहीं पर नहीं पायी जाती... नौ-नौ, बस-बस बरस के बच्चों को सुबह के चार बजे या रात के दो या तीन बजे उनके गंदे बिस्तरों से उठाकर रात के बस, ग्यारह या बारह बजे तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, और उसके एवज में उनको सिर्फ इतने पैसे दिये जाते हैं, जिनसे वे मुक्किन से अपना पेट भर पाते हैं। इन बच्चों के अंग दुर्बल होते जाते हैं, उनके गचे मानो छोटे और चेहरे खून की कमी से एकदम सफेद हो जाते हैं तथा उनकी मानवता का एक ऐसी पत्थर जैसी निद्रावस्था में सर्वपा लोप होता जाता है, जिसके बारे में सोचने से भी र लगता है ... हमें इस बात से कोई पाश्चर्य नहीं है कि मि• मैलट या कोई और कारखानेवार इस बहस का विरोध करने के लिए बड़े हो जाते हैं... रेवरेण मोन्टेगू बेल्पी के जिस व्यवस्था का वर्णन किया है, वह सामाजिक, शारीरिक, नैतिक और माध्यात्मिक दृष्टि से निर्मम पासता की व्यवस्था है... उस शहर के बारे में कोई क्या सोचेगा, जो यह मांग करने के लिए सार्वजनिक समा करता है कि पुरुषों का श्रम-काल घटाकर प्रारह घण्टे कर दिया जाये?.. हम व निया और रोलिना के कपास-बागानों के मालिकों को अपने भाषणों में बहुत पुरा-भला कहते हैं। क्या उनका हबशी-व्यापार, उनका कोड़ा और मानव-शरीरों की उनकी विकी मानव-जाति के इस बलिदान से अधिक धूणित है, जो केवल इस उद्देश्य के लिए धीरे-धीरे होता रहता है कि बेहल और कालर तैयार होते रहें और पूंजीपति बूब हाम रंगते रहें? पिछले २२ वर्ष में संसद के पादेश पर स्टेपकरशायर के मिट्टी के बर्तन बनाने के कारखानों (potteries) की तीन बार जांच हो चुकी है। जांच का नतीजा मि. स्किवेन की १८४१ की उस रिपोर्ट में निहित o gasta "Children's Employment Com- missioners" ("बाल-सेवायोजन प्रायोग के सदस्यों") को पी पी; इसका नतीजा म. पीनहाऊ की १८६० को उस रिपोर्ट में निहित है, जो प्रिवी काउंसिल के मेरिका पक्रसर के पादेश से प्रकाशित हुई पी ("Pablic Health" [ सार्वजनिक स्वास्थ्य'], तीसरी रिपोर्ट, ११२-११३); और, अन्त में, इस जांच का नतीजा मि. लाँग की १८६२ की रिपोर्ट में वर्ष है, "First Report of the Children's Employment Commission, of the 13th June, 1863" (faratura areto o quatt रिपोर्ट, १३ जून १८६३') में प्रकाशित हुई है। मेरे मतलब के लिए १८६० और १८६३ की रिपोर्टों से खुद शोषित बच्चों के बयानों के कुछ अंश उद्धृत कर देना ही काफी होगा। बच्चों की हालत से हम वयस्कों की और सास कर लड़कियों और औरतों की हालत का कुछ अनुमान लगा सकते हैं, और वह भी उद्योग की एक ऐसी शाखा में, जिसके मुकाबले में कपास की कताई का उद्योग एक बड़ा पारामदेह और स्वास्थ्यप्रद पंधा प्रतीत होता है।' . 1"Daily Telegraph", १७ जनवरी १९६० । safard F. Engels, "Lage der arbeitenden Klasse in England", Leipzig 1845, पृ० २४१-२५१ । 19
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