पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३०९

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पूंजीवादी उत्पादन मजदूरों की मुसीबतों की तरफ से हमेशा प्रांखें मूंदे रखे। अतः यदि इनसान की नसल खराब होती जा रही है और एक दिन उसके एकदम नष्ट हो जाने की प्राशंका है, तो इस बात का पूंजी के हृदय पर उतना ही प्रभाव पड़ता है, जितना इस बात का कि पन्नी के एक दिन सूरज से टकराकर खतम हो जाने की सम्भावना है। जब कभी शेयर बाजार में सट्टा होता है और भाव तेजी से बढ़ने लगते हैं, तोहर पारमी जानता है कि अब किसी न किसी समय बाजार यकायक ठप्प हो जायेगा और भाव एकदम गिर जायेंगे, पर हर पादमी यही उम्मीद लगाये रहता है कि यह पाने वाली मुसीबत उसके पड़ोसी के सिर पर पड़ेगी और वह खुद उसके पहले ही अपनी बेली भरकर किसी सुरक्षित स्थान में भाग जायेगा। Apres mol le delugel (पाप मरे गग प्रलय! )-हर पूंजीपति का और हर पूंजीवादी राष्ट्र का यही मूल सिद्धान्त है। इसलिये पूंजी को जब तक समाज मजबूर नहीं कर देता, तब तक वह इसकी कतई कोई परवाह नहीं करती कि मजदूर का स्वास्थ्य कैसा है या वह कितने दिन तक जिन्दा रह पायेगा। सब कुछ लोग मजदूरों के शारीरिक एवं नैतिक पतन का, उनकी असमय मृत्यु का और प्रत्यषिक काम की यातनाओं का शोर मचाते हैं, तो पूंजी उनको यह जवाब देती है: इन बातों से हमें क्यों सिरसर्द हो, जब उनसे हमारा मुनाफा बढ़ता है ? परन्तु यदि पूरी तसबीर पर गौर किया जाये, तो, सचमुच, यह सब अलग-अलग पूंजीपतियों को सद्भावना और दुर्भावना पर निर्भर नहीं करता। स्वतंत्र प्रतियोगिता पूंजीवादी उत्पादन के मूलभूत नियमों को अमल में लाती है, बो बाह्य एवं अनिवार्य नियमों के रूप में हर अलग-अलग पूंजीपति पर लागू होते हैं।' . - "Over-population and its Remedy" [डब्लयू. टी. योनंटन, 'जनाधिक्य और उसे दूर करने का उपाय'], London, 1846, पृ. ७४, ७५1) वास्तव में तो ये लोग उन ३०,००० "gallant Highlanders" ("बहादुर पहाड़ियों") के समान है, जिनको ग्लासगो ने वेश्याओं और चोरों के साथ-साथ अपनी wynds और closes (गलियों और महातों) में सुमरों की तरह बन्द कर रखा है। "देशवासियों का स्वास्थ्य हालांकि राष्ट्रीय पूंजी का इतना महत्वपूर्ण अंग होता है, मगर हमें यह मानना पड़ेगा कि मजदूरों के मालिकों के वर्ग ने राष्ट्र के इस कोष की रक्षा एवं भरण-पोषण के लिये कोई खास कोशिश नहीं की है ... मजदूरों के स्वास्थ्य का मालिकों ने तभी कुछ ख़याल किया, जब उनको इसके लिये मजबूर कर दिया गया।" ("The Times", ५ नवम्बर १८६१।) "वेस्ट राइडिंग के रहने वाले सारी दुनिया को कपड़ा पहनाने लगे... मजदूरों के स्वास्थ्य की बलि दी गयी, और कुछ पीढ़ियों के बाद तो पूरी नसल खराब हो जाने की सम्भावना थी। लेकिन फिर उसकी प्रतिक्रिया प्रारम्भ हुई। लार्ड शेफ्टेसबरी के बिल ने बच्चों के काम के घण्टों को सीमित कर दिया," इत्यादि। ("Report of the Registrar- General for October 1861" ['रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट, अक्तूबर १८६१']।) 'इसीलिये हम यह पाते हैं कि, मिसाल के लिये, १८६३ के प्रारम्भ में २६ ऐसी कम्पनियों ने, जिनके स्टेफ़्फ़र्डशायर में मिट्टी के बर्तन बनाने के अनेक कारखाने थे और जिनमें 'जोसिया वेजवुड एण्ड सन्स' नाम की फ़र्म भी शामिल थी, एक पावेदन-पत्र के द्वारा "किसी कानून के बनाये जाने" की मांग की थी। दूसरे पूंजीपतियों के साथ चलने वाली प्रतियोगिता उनको इस बात की इजाजत नहीं देती थी कि वे अपनी मर्जी से बच्चों के काम का समय सीमित कर दें, इत्यादि । चुनांचे उन्होंने लिखा था: "उपर्युक्त बुराइयों पर हमें प्रत्यन्त बेद