पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३२०

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काम का दिन ३१७ . ये पांचों कानून कमी अमल में नहीं पाये। 'सच तो यह है कि १८३३ के कानून के पहले लड़के सड़कियों और बच्चों से सारा दिन, सारी रात और ad libitum (इच्छा होने पर) दिन को भी और रात को भी लगातार काम कराया जाता था ("were worked") | 1 माधुनिक उद्योग-बंधों में काम का सामान्य दिन केवल १८३३ के फैक्टरी-कानून के लागू होने पर जारी हमा। यह कानून सूती, ऊनी, रेशमी तथा सन का कपड़ा तैयार करने वाली फैक्टरियों पर लागू किया गया था। पूंजी की भावना पर १८३३ से १८६४ तक के इंगलैड के फैक्टरी-कानूनों के इतिहास से जितना प्रकाश पड़ता है, उतना और किसी चीज से नहीं पड़ता। १८३३ के कानून में फैक्टरियों के काम का साधारण दिन सुबह को साढ़े पांच बजे से रात के साढ़े पाठ बजे तक नियत किया गया है। इन सीमानों के भीतर, यानी १५ घण्टे की इस अवधि में, लड़के-लड़कियों से (प्रति १३ वर्ष से १८ वर्ष तक के व्यक्तियों से) किसी भी समय काम कराया जासकता है, बशर्ते कि किसी भी लड़के या लड़की को किसी एक दिन १२ घन्टे से ज्यादा काम न करना पड़े। इस नियम के कुछ अपवाद भी निश्चित कर दिये गये हैं। कानून की छठी धारा में कहा गया था: "ऐसे हर व्यक्ति को, जिसपर उपर्युक्त प्रतिबंध लगे हैं, हर रोज कम से कम से घण्टे का समय भोजन प्रादि के लिये दिया जायेगा।" अपवादों को छोड़कर, जिनका बाद में विक पायेगा, ९ वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेने की मनाही कर दी गयी थी। वर्ष से १३ वर्ष तक के बच्चों के काम के समय पर घटे रोब की सीमा लगा दी गयी थी। इस कानून के अनुसार, रात के ८.३० बजे से सुबह के ५.३० बजे तक जो काम होता था, वह रात का काम माना जाता पा। वर्ष से १८ वर्ष तक के तमाम व्यक्तियों से रात का काम लेना मना था। कानून बनाने वाले वयस्कों की अम-शक्ति का शोषण करने की पूंजी की स्वतंत्रता में या, यदि उन्हीं के दिये हुए नाम का प्रयोग किया जाये, तो "मन की स्वतंत्रता" में बरा सा भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहते थे। उनको इसका इतना अधिक खपाल पा कि उन्होंने इसके लिये एक पूरी व्यवस्था रब गली पी कि फैक्टरी-कानूनों का कोई ऐसा भयंकर परिणाम न होने पाये। २८ जून १८३३ की कमीशन के केन्द्रीय बोर्ड की पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि "फ्रेपटरी-व्यवस्था का इस समय जिस प्रकार संचालन हो रहा है, उसका सबसे बड़ा दोष हमें यह लगा है कि उसमें बच्चों से भी वयस्कों के बराबर समय तक काम कराया जाता है। यदि वयस्कों के श्रम पर सीमा लगाने का विचार छोड़ दिया जाये, जिसके फलस्वरूप, हमारी राय में, जिस पुराई को हम दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, उससे भी बड़ी बुराई पैदा हो जायेगी, तो इस बुराई को दूर करने का केवल एक यही उपाय बचता है कि बच्चों की दो पालियां बनाकर उनसे काम लेने की योजना तैयार की जाये..." नावे *System of Relays" . भरोसे छोड़ दिया गया था। कहीं १८५३ में जाकर सरकार से तनखाह पाने वाले एक इंस्पेक्टर की नियुक्ति की गयी, और वह भी केवल एक जिले में-यानी Departement du Nord (नोर्ड के जिले ) में। फ्रांसीसी समाज के विकास पर इस बात से भी कम प्रकाश नहीं पड़ता फ्रांस में लगभग हर सवाल पर जो अनेक कानून बनाये गये, उनमें १८४८ लुई फिलिप का यह कानून ही एक मात्र फैक्टरी-कानून था। 1 "Reports of Insp. of Fact., 30th April, 1860” ('$refcat i dette er * रिपोर्ट, ३० अप्रैल १६६.'), प,५०। क्रान्ति तक