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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३३२

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काम का दिन ३२९ के घरों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से बनाया गया था,.. अब मेरे रिस्ट्रिक्ट (लंकाशायर) में लागू नहीं है। न ही जब हम पालियों में काम कराने वाली किसी मिल की जांच करने जाते हैं, तो मेरे सब-स्पेक्टरों के पास या मेरे पास यह पता लगाने का कोई तरीका है कि उस मिल में लड़के-लड़कियां या स्त्रियां १० घण्टे रोजाना से ज्यादा तो काम नहीं कर रहे हैं...३० अप्रैल के प्रांकड़ों के अनुसार... पालियों में काम कराने वाले मिल-मालिकों की संख्या ११४ है, और कुछ समय से उनकी तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है। पाम तौर पर, मिल के काम १ करने का वक्त बढ़ाकर १३ घण्टे, सुबह ६ बजे से रात के ७ बजे तक, कर दिया २ . ८ बजे तक, . जाता है... कुछ जगहों में १५ घण्टे , यानी सुबह ५ बजे से रात २ काम कराया जाता है।"1 लेयोनार होनर के पास दिसम्बर १८४८ में ही ऐसे ६५ कारखानेदारों तथा २९ निरीक्षकों की सूची तैयार हो गयी थी, जिन्होंने एकमत से यह घोषणा की थी कि इस relay system (पालियों की प्रणाली) के रहते हुए किसी भी प्रकार का निरीक्षण मजदूरों से प्रत्यषिक काम लेने की प्रथा को नहीं रोक सकता।'प्रब क्या होता था कि पनाह घटों के दौरान में उन्हीं बच्चों और लड़के लड़कियों से कभी कताई-घर में काम लिया जाता था, तो कभी बुनाई-घर में, या उनको एक फैक्टरी से दूसरी फैक्टरी में घुमाया जाता था (shifted)।' एक ऐसी व्यवस्था पर नियंत्रण रखना कैसे सम्भव पा., यो "पालियों की पाड़ में, मसल में, उन बहुत सी योजनालों में से एक थी, जो मजदूरों की पर से उपर और उपर से इधर नाना प्रकार से प्रवला-बदली करने और अलग-अलग व्यक्तियों के काम और विमान के घण्टों को दिन भर बराबर बदलते रहने के लिये बनायी गयी थी और जिनका नतीजा यह हुमा था कि एक बात पर एक कमरे में मजदूरों का एक पूरा जत्या कभी काम करता हमा नहीं मिलता पा। लेकिन मजदूर से जो अत्यधिक काम सचमुच लिया जाता था, पवि उसकी बात न की जाये, तो भी यह तवाकषित relay system (पालियों की प्रणाली) पूंजीवाची कल्पना की एक ऐसी उपज थी, जिससे यूरिये भी अपने 'Courtes Stances' (काम के संक्षिप्त प्रदर्शनों) के व्यंगमय रेखाचित्रों में पागे नहीं बढ़ पाये हैं। हां, इतना बर है कि उनके यहां बो "मम का पाकर्षण" वा, वह यहां "पूंजी के पाकर्षण" में बदल गया है। मिसाल के लिये, मिल-मालिकों की उन योजनामों को देखिये, जिनकी प्रशंसा करते हुए "प्रतिष्ठित" समाचारपत्रों ने कहा था कि ये योजनाएं इस बात का नमूना है कि "यदि घोड़ा - . - 1"Reports, &c., for 30th April, 1849" ("रिपोर्ट , इत्यादि, ३० अप्रैल १८४६' ), पृ. ५॥ "Reports, &c., for 31st October, 1849." ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८४६'), पृ. ६। I"Reports, &c., for 30th April, 1849" ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८४६'), पृ. २१॥ ."Reports, &c., for 31st October, 1848" ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर, १८४८'), पृ. ९५।