पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३४६

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काम का दिन . ३४३ । में लन्दन की जनरल काउंसिल का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए यह निश्चय किया कि "काम के दिन का सीमित किया जाना वह पहली शर्त है, जिसके बोर सुधार और मुक्ति के और सभी प्रयत्न अवश्य ही निष्फल सिद्ध होंगे . कांग्रेस का प्रस्ताव है कि काम के दिन की कानूनी सीमा पाठ घण्टे हो।" इस प्रकार, एटलाष्टिक महासागर के दोनों ओर मजदूर-वर्ग का जो मान्दोलन स्वयं उत्पादन की परिस्थितियों से स्वयंस्फूर्त ढंग से पाहमा था, उसने अंग्रेज फेक्टरी-इंस्पेक्टर पार० बे० सौर्स के इन शब्दों का समर्थन किया कि "जब तक मम के घरों को सीमित नहीं किया जाता और निर्धारित सीमा पर कढ़ाई के साथ अमल नहीं किया जाता, तब तक समाज-सुधार के मागे के कदम हरगिन नहीं उठाये जा सकते।"1 यह मानना पड़ेगा कि हमारे मजदूर ने जिस अवस्था में उत्पादन की प्रक्रिया में प्रवेश किया था, वह उससे बिल्कुल भिन्न अवस्था में इस प्रक्रिया के बाहर निकलता है। मण्डी में वह अपने माल-"श्रम-शक्ति"-के मालिक के रूप में मालों के अन्य मालिकों के मुकाबले में बड़ा चा। वहां उसकी हैसियत एक विक्रेता के मुकाबले में दूसरे विक्रेता की पी। जिस करार के द्वारा उसने अपनी श्रम-शक्ति पूंजीपति के हाप बेची थी, वह इस बात का मानो एक लिखित प्रमाण या कि उसे अपने को बेचने या न बेचने का पूर्ण अधिकार पा। पर जब सौदा पक्का हो गया, तो पता चला कि मजदूर कोई "स्वतंत्र व्यक्ति" नहीं है। वह समझता था कि वह कुछ समय के वास्ते अपनी बम-शक्ति बेच देने के लिये स्वतंत्र है। अब पता चला कि जितने समय के वास्ते वह अपनी श्रम-शक्ति बेचने के लिये स्वतन्त्र है, वास्तव में यह समय वही है, जिसे बेचने के लिये उसे मजबूर होना पड़ता है, और "जब तक शोषण करने के लिये एक भी मांस-पेशी, एक 1 . , और इसीलिये जो लोग हमें इस काम में सहायता देने से इनकार करेंगे, हम उन सब को श्रम के सुधार और मजदूरों के अधिकारों का दुश्मन समझेंगे। (डंकर्क, न्यू यार्क राज्य, के मजदूरों का प्रस्ताव , १८६६।) 1 "Reports, &c., for 31st October, 1848' ('रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८४८'), पृ० ११२। ३ "अक्सर यह कहा जाता है कि मजदूरों को संरक्षण की कोई प्रावश्यकता नहीं है, बल्कि उनको तो अपनी एकमात्र सम्पत्ति को-अपने हाथों की मेहनत और अपने माथे के पसीने को-बेचे देने के मामले में स्वतंत्र व्यक्ति समझना चाहिये। लेकिन इन कार्रवाइयों के रूप में (पूंजी की, मिसाल के लिये, १८४८-५० की तिकड़मों के रूप में) हमें अन्य बातों के अलावा इस कथन की असत्यता का निर्विवाद प्रमाण मिल जाता है।" ("Reports, &c., for 30th April, 1850" ['रिपोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८५०'], पृ. ४५१) एक स्वतंत्र देश में भी स्वतंत्र श्रम (यदि उसके लिये इस शब्दावली का प्रयोग किया जा सकता है, तो) के संरक्षण के लिये कानून के सशक्त हाथों की जरूरत होती है।" ("Reports, &c., for 31st October, 1864" ["रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८६४'], पृ० ३४।) "खाने की छुट्टी के साथ या उसके बगैर १४ घण्टे तक काम करने की अनुमति देना मजदूरों को १४ घण्टे काम करने के वास्ते मजबूर कर देने के बराबर है," इत्यादि ("Reports, &c., for soth April, 1863" ['रिपोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८६३'], पृ. ४०।) It .