३४२ पूंजीवादी उत्पादन में नो अधिकार केवल बच्चों, नाबालियों और स्त्रियों के नाम पर प्राप्त किया गया था और जो महब अभी हाल में एक सामान्य अधिकार केस में माना गया है। उसे फांसीसी कानून में एक सिद्धान्त के रूप में घोषित कर दिया गया है। उत्तरी अमरीका के संयुक्त राज्य में, जब तक प्रजातंत्र के एक भाग को वास-प्रचाकुरूप बनाये रही, तब तक मजदूरों का प्रत्येक स्वतंत्र प्रान्दोलन लुंग बना रहा। जहां काली बमड़ी के श्रम के माथे पर गुलामी की मुहर लगी हुई है, वहाँ सक्नेव चमड़ी का बम अपने को मुक्त नहीं कर सकता। परन्तु वास-प्रथा की मृत्यु हो जाने पर तुरन्त ही एक नये जीवन का उदय हुआ। गृह-गुट का पहला फल यह हमा कि पाठ घण्टे का पान्दोलन शुरू हो गया, जो रेल के इंजन की दूकानी रफ्तार से एटलांटिक महासागर से प्रशान्त महासागर तक और न्यू इंगलैग से कैलिफोर्निया तक फैल गया। बाल्टिमोर में General Congress of Labour (भम के सामान्य सम्मेलन) ने (१६ अगस्त १८६६ को) ऐलान कर दिया कि पहली और सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि इस देश के मजदूरों को पूंजी की दासता से मुक्त करने के लिये एक ऐसा कानून पास किया जाये, जिसके मातहत अमरीकी संघ के सभी राज्यों में काम का सामान्य दिन पाठ घन्टे का हो जाये। हमने निश्चय कर लिया है कि जब तक यह गौरवशाली ध्येय प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक हम अपनी पूरी शक्ति लगाकर उसके लिये प्रयत्न करते जायेंगे।" इसी समय 'अन्तरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की कांग्रेस ने जेनेवा - . के कानून') के मातहत छपाई करने वाला है और "Factory Act" ( 'फैक्टरी-कानून') के Alarge finisher (finferer apent at ) & ("Reports, &c., for 31st October, 1861" ["रिपोर्ट , इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८६१' ], पृ० २० ; मिबेकर की रिपोर्ट ।) इन कानूनों की विभिन्न धारामों और उनसे पैदा होने वाली पेचीदगियों को गिनाने के बाद मि. बेकर ने कहा है : “इससे जाहिर है कि जब कभी कोई ऐसा कारखानेदार कानून से बचने की कोशिश करता है, तो संसद के इन तीनों कानूनों को लागू करना अत्यन्त कठिन हो जाता है।" पर इससे वकीलों का मुक़दमे हासिल करना जरूर सुनिश्चित हो जाता है। इस प्रकार, अब कहीं फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की यह कहने की हिम्मत हुई है कि “ (काम के दिन पर कानूनी सीमाएं लगाने के विरोध में पूंजी की ) इन आपत्तियों को श्रम के अधिकारों के व्यापक सिद्धान्त के सामने हार मान लेनी चाहिये . एक समय पाता है, जब मालिक का अपने मजदूर के श्रम पर अधिकार समाप्त हो जाता है, और यदि मजदूर थका न हो, तो भी मजदूर का समय उसका अपना समय हो जाता है।" ("Reports, &c., for 31st Oc- tober, 1862' [ रिपोर्ट, हत्यादि, ३१ अक्तूबर १८६२'], पृ० ५४।) हम , डंकर्क के मजदूर, ऐलान करते हैं कि वर्तमान व्यवस्था में मजदूरों को जितने समय तक काम करना पड़ता है, वह बहुत ज्यादा है, और मजदूर के पास विश्राम करने तथा शिक्षा प्राप्त करने के लिये समय बचने की बात तो दूर रही, इतनी ज्यादा देर तक काम करने के फलस्वरूप वह दासता की एक ऐसी अवस्था को प्राप्त हो जाता है, जो गुलामी की प्रथा से थोड़ी ही बेहतर है ("it plunges him into a condition of servitude but little better than slavery")। इसीलिये हम लोग फैसला करते हैं कि काम के दिन के लिये ८ घण्टे काफ़ी है। और कानून को भी उनको काफ़ी मान लेना चाहिये। इसीलिये हम इस शक्तिशाली साधन का-देश के समाचारपत्रों का-सहायता के लिये प्रावाहन कर रहे . .
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