भूमिका जहां तक शैली का सम्बंध है, कुछ अनुभागों के टुकड़ों को मार्स ने खुद अच्छी तरह बोहरा दिया था, और इस प्रकार तथा अनेक सबानी सुझावों के जरिये भी वह मुझे यह बता गये थे कि अंग्रेजी के पारिभाषिक शब्दों तथा अन्य अंग्रेजी मुहावरों और प्रयोगों को पुस्तक से निकालने में मैं कितनी दूर तक छूट ले सकता हूं। मार्क्स खुद यह काम करते, तो नये जोड़े हुए अंशों और पूरक सामग्री को हर हालत में बोहराते और साफ-सुपरी फ़ांसीसी को अपनी नपी-तुली जर्मन से बदल देते। लेकिन मुझे इन अंशों को जर्मन संस्करण में जोड़ते समय केवल इतने से ही संतोष कर लेना पड़ा कि उनका मूल पाठ के साथ अधिक से अधिक ताल-मेल बैठा दूं। . इस प्रकार, इस तीसरे संस्करण में मैंने एक शब्द भी उस वक्त तक नहीं बदला है, जब तक कि मुझे यह विश्वास नहीं हो गया कि मास बर भी उसे जरूर बदल देते। *Das Kapital" में उस ऊलजलूल शब्दावली को लाने की बात तो मैं कभी सोच ही नहीं सकता था, जिसका माजकल बहुत चलन है और जिसे इस्तेमाल करने का जर्मन अर्थशास्त्रियों को बहुत शौक है,- इस गपर-सपड़ बोली में, मिसाल के लिये, जो पावमी दूसरों को नकद पैसे देकर उन्हें अपना श्रम देने के लिये मजबूर करता है, वह भम-वाता (Arbaltgeber) कहलाता है, और मजदूरी के एवज में जिसका श्रम उससे छीन लिया जाता है, उसे श्रम-ग्रहीता (Arbeitnehmer) कहा जाता है। फ़ांसीसी भाषा में भी "travail" शम्ब रोजमरे के जीवन में "रोसी" के पर्व में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यदि कोई अर्थशास्त्री पूंजीपति को donneur de travail (श्रम-वाता) या मजदूर को receveur de travail (श्रम-ग्रहीता) कहने लगे, तो फ्रांस के लोग उसे पागल समझेंगे और ठीक ही ऐसा समझेंगे। अंग्रेजी सिक्कों और मुद्राओं तथा मापों और बजनों को, जिनको पूरी किताब में इस्तेमाल किया गया है, उनके सम-मूल्य नये जर्मन सिक्कों और मुद्रामों तथा मापों और वजनों में बदल देने की भी मैंने माखादी नहीं ली है। जिस समय पहला संस्करण प्रकाशित हुमा था, उस समय जर्मनी में इतने प्रकार की मापें और बजन इस्तेमाल किये जाते थे, जितने कि साल में दिन होते हैं। इसके अलावा, मार्क भी दो तरह के थे (उस समय राइल्समार्क केवल खेतबेर की कल्पना में ही मौजूद था, जिसने कि चौधे दशक के अन्त में उसका प्राविष्कार किया था), गुल्डन से तरह के और टालर कम से कम तीन तरह के थे, जिनमें से एक neues Zweidrittel (नयी दो तिहाई) कहलाता था। प्राकृतिक विज्ञानों में बशमिक प्रणाली का चलन था, दुनिया की मण्डी में अंग्रेजी मा और वजन चलते थे। ऐसी परिस्थिति में एक ऐसी किताब में अंग्रेजी माप की इकाइयों का प्रयोग करना बिल्कुल स्वाभाविक था, जिसे लगभग सब के सब तम्य सम्बंधी प्रमाण केवल बिटेन के प्रौद्योगिक सम्बंधों से लेने पड़े थे। यह पाखिरी कारण माज भी निर्णायक महत्त्व रखता है, खास तौर पर इसलिये कि दुनिया की मण्डी के तत्सम्बन्धी सम्बंधों में बहुत कम परिवर्तन हुमा है और मुख्य उद्योगों पर-यानी लोहे तथा कपास के उद्योगों पर- पाज भी अंग्रेजी बहनों और मापों का ही लगभग एकच्छत्र अधिकार है। अन्त में कुछ शब मासबारा उद्धरणों का प्रयोग करने की कला के सम्बंध में कह भी दिये जायें। इसे लोगों ने बहुत कम समझा है। जब उबरणों में केवल तभ्यों का विवरण या किसी चीज का वर्णन मात्र होता है, जैसे कि, मिसाल के लिए, इंगलैंड के सरकारी प्रकाशनों के उबरणों में, तब, जाहिर है, उनको केवल लिखित प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया गया है। लेकिन जब दूसरे प्रशास्त्रियों के संद्धान्तिक विचारों को उद्धृत किया जाता है, तब ऐसा नहीं . .
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