पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३७१

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पूंजीवादी उत्पादन . इसलिये सदा यह मानकर चला जाता है कि हर प्रकार के मन में एक अल्पतम स्तर की निपुणता होती है, और जैसा कि हम मागे देखेंगे, पूंजीवादी उत्पादन के पास इस प्रल्पतम स्तर को निर्धारित करने का साधन प्राप्त होता है। फिर भी यह मल्पतम स्तर पासत स्तर से भिन्न होता है, हालांकि पूंजीपति को श्रमशक्ति का प्रोसत मूल्य देना पड़ता है। इसलिये अपर जिन छ: छोटे-छोटे मालिकों का जिक्र किया गया था, उनमें से एक अतिरिक्त मूल्य की प्रोसत बर से कुछ अधिक पौर दूसरा उससे कुछ कम पूल पायेगा। पूरे समाज के पैमाने पर तो ये भिन्नताएं एक दूसरे की पति-पूर्ति कर बेंगी, पर अलग-अलग मालिकों के लिये यह बात नहीं हो पायेगी। इस प्रकार, मूल्य के उत्पादन के नियम प्रत्येक अलग- अलग उत्पादक के लिये केवल उसी दशा में पूरी तरह अमल में प्राते हैं, जब वह पूंजीपति की तरह उत्पादन करता है और बहुत से मजदूरों से एक साथ काम लेता है, जिनके मम पर उसके सामूहिक रूप के कारण तुरन्त ही प्रोसत सामाजिक मन की छाप लग जाती है।' काम के तरीके में यदि कोई परिवर्तन न किया जाये, तो भी अगर बड़ी संख्या में मजदूरों से एक साथ काम लिया जाता है, तो भम-प्रक्रिया की भौतिक परिस्थितियों में कान्ति हो जाती है। ये मजदूर जिन मकानों में काम करते हैं, साथ मिलकर या बारी-बारी से बो कच्चा माल, मोसार और बर्तन इस्तेमाल करते हैं, कच्चा माल जिन गोदामों में जमा करके रखा बाता है।-संक्षेप में कहिये, तो उत्पादन के साधनों का एक भाग अब सामूहिक ढंग से सर्च किया जाता है। एक तरफ तो उत्पादन के इन साधनों के विनिमय-मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती, क्योंकि किसी माल का उपयोग-मूल्य यदि पहले से अधिक पूर्णता तथा उपयोगी ढंग से सर्च किया जाये, तो उससे उसका विनिमय-मूल्य नहीं बढ़ जाता। दूसरी मोर, इन साधनों का सामूहिक ढंग से और इसलिये पहले से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। जिस कमरे में एक अकेला बुनकर अपने दो सहायकों के साथ काम करता है, उससे वह कमरा लाजिमी तौर पर बड़ा होगा, जिसमें बीस बुनकर बीस करवों पर काम करते हैं। लेकिन हर दो बुनकरों के लिये एक कमरे के हिसाब बस कमरे बनाने की अपेक्षा बीस व्यक्तियों के लिये एक वर्कशाप बनाने में कम मन लगता है। पुनांचे, उत्पादन के वो साधन बड़े पैमाने पर सामूहिक ढंग से इस्तेमाल होने के लिये एक जगह पर संकेन्द्रित कर दिये जाते है, उनका मूल्य इन साधनों के विस्तार एवं परिवर्तित उपयोगिता के अनुलोम अनुपात में नहीं बढ़ता। अब उनका सामूहिक उंग से उपयोग किया जाता है, तो वे पैदावार की प्रत्येक इकाई में अपने मूल्य का पहले से अपेक्षाकृत छोटा भाग स्थानांतरित करते हैं। इसका कुछ हद तक तो यह कारण होता है कि वह कुल मूल्य, जो ये साधन स्थानांतरित करते हैं, अब पैदावार की पहले से अधिक मात्रा पर फैल जाता है, और कुछ हद तक इसकी यह पबह है कि हालांकि निरपेन उंग से देखने पर उत्पादन के अलग-अलग साधनों की अपेक्षा इन सापनों का मूल्य अधिक होता . प्रोफेसर रोश्चेर ने खोज निकालने का दावा किया है कि जब श्रीमती रोश्चेर सीने-पिरोने का काम करने वाली एक औरत से दो दिन तक काम लेती हैं, तो वह एक दिन तक साथ काम करने वाली दो पौरतों से ज्यादा काम करती है। विद्वान प्रोफेसर को शिशु-गृह में बैठकर, या ऐसी परिस्थितियों में ; जहां पर मुख्य पात्र-पूंजीपति-ही अनुपस्थित है, पूंजीवादी उत्पादन-प्रक्रिया का अध्ययन नहीं करना चाहिये ( Roscher, “Die Grundlagen der Na- tional_konomie", तीसरा संस्करण, 1858, पृ. ८-८९)।. -