पूंजीवादी उत्पादन हैं। ऐसी सूरतों में मिल-जुलकर किये गये श्रम का नो परिणाम होता है, वह अलग-अलग व्यक्तियों के मन से या तो कतई नहीं पैदा किया जा सकता और या केवल प्रत्यधिक समय वर्ष करके या महब बहुत ही तुच्छ पैमाने पर पैदा किया जा सकता है। यहां पर सहकारिता के द्वारा न केवल व्यक्ति की उत्पादक शक्ति में वृद्धि हो जाती है, बल्कि एक नयी शक्ति का-प्रर्थात् जनता की सामूहिक शक्ति का-जन्म हो जाता है।' बहुत सी शक्तियों के मिलाप से जो एक नयी ताकत पैदा होती है, उसके अलावा अधिकतर उद्योगों में महब सामाजिक सम्पर्क ही एक ऐसी होड़ पैरा कर देता है और तबीयत के बोश (animal spirit) को इतना बढ़ा देता है कि हर मजदूर की व्यक्तिगत कार्य-कुशलता पहले से बढ़ जाती है। यही कारण है कि १२ घण्टे तक अलग-अलग काम करने वाले बारह पादमियों या लगातार बारह दिन तक काम करने वाले एक पावमी के मुकाबले में साथ मिलकर काम करने वाले एक दर्जन व्यक्ति १४ घन्टे के अपने सामूहिक काम के दिन में कहीं ज्यादा पैदावार करेंगे। इसका कारण यह है कि, जैसा कि 22 gr "अनेक क्रियाएं इतने सरल ढंग की हैं कि उनको भागों में बांटना असम्भव होता है, परन्तु उनको कई जोड़ी हायों के सहकार के बिना सम्पन्न नहीं किया जा सकता। किसी बड़े पेड़ को उठाकर गाड़ी पर लादना इसकी एक मिसाल है . संक्षेप में, हर वह काम इसी मद में माता है, जिसे उस वक्त तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि कई जोड़ी हाथ एक ही समय पर और एक ही पविभाजित काम में एक दूसरे की मदद न करें। (E. G. Wa- kefield, "A View of the Art of Colonisation" ['ई.जी. वेकफ़ील्ड, 'उपनिवेशीकरण की कला पर एक दृष्टिकोण'], London, 1849, पृ० १९८ ।) 'एक टन के वजन को एक मादमी नहीं उठा सकता, उसके लिये दस प्रादमियों को जोर लगाना होगा। परन्तु यदि १०० भादमी हों, तो वे केवल एक-एक उंगली के जोर से JË BOT HAT." (John Bellers, “Proposals, for Raising a Colledge of Industry" [जान बैलेर्स , 'उद्योग का कालिज खोलने के लिये सुझाव'], London, 1696, पृ० २११) 'जब दस काश्तकारों के द्वारा ३० एकड़ के एक-एक खेत पर काम करने के लिये नौकर रखे जाने के बजाय उतने ही मजदूर केवल एक काश्तकार के द्वारा ३०० एकड़ के खेत पर काम करने के लिये नौकर रखे जाते है, तब "नौकरों के अनुपात से भी एक लाभ होता है, जिसे व्यावहारिक व्यक्तियों के अलावा कोई और पासानी से नहीं समझ सकता। क्योंकि माम तौर पर यह कहा जाता है कि जो १ और ४ का अनुपात है, वही ३ और १२ का है, पर व्यवहार में ऐसा नहीं होता। कारण कि फसल काटने के समय और अनेक अन्य क्रियामों में, जिनको बहुत से मजदूरों को एक साथ काम में लगाकर जल्दी से पूरा कर गलना आवश्यक होता है, इस तरह ज्यादा अच्छा और ज्यादा तेज़ काम होता है। मिसाल के लिये, यदि फसल काटने के समय २ ड्राइवर, २ लादने वाले, २ जेली से भूसा उठाने वाले, २ समेटने वाले और बाकी लोग या तो गल्ले के ढेर पर या. बलिहान में काम करें, तो मजदूरों की इतनी ही बड़ी संख्या अलग-अलग जत्यों में बंटकर अलग-अलग खेतों पर जितना काम करेगी, ये उसका दुगुना काम कर डालेंगे।" ("An Inquiry into the Connexion between the Present Price of Provisions and the Size of Farms" By a Farmer" ['ara- पदार्यों के मौजूदा दामों और खेतों के साकार के बीच पाये जाने वाले सम्बंध की जांच। एक काश्तकार द्वारा लिखित'], London, 1773, पृ. ७, ८।)
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