सहकारिता ३७१ अरस्तू का मत है, मनुष्य यदि राजनीतिक पशु नहीं है, तो वह सामाजिक पशु तो हर हालत यह हो सकता है कि बहुत से पादमी एक बात में एक ही काम में या एक तरह के काम में लगे हों, मगर फिर भी उनमें से हरेक का भम सामूहिक श्रम के एक भाग के रूप में श्रम-प्रक्रिया की एक विशिष्ट अवस्था के अनुरूप हो और सहकारिता के फलस्वरूप उनके भम की विषय-वस्तु अपेक्षाकृत अधिक तेज रफ्तार के साथ धम-प्रक्रिया की सभी अवस्थानों में से गुजर जाती हो। मिसाल के लिये, यदि एक दर्जन मजदूर सीढ़ी पर एक पंक्ति में बड़े होकर पत्पर नीचे से ऊपर पहुंचाते हैं, तो उनमें से हरेफ एक सा ही काम करता है, मगर फिर भी उन सब के अलग-अलग काम एक पूर्ण क्रिया के सम्बन भाग बन जाते हैं। ये एक पूर्ण क्रिया की विशिष्ट अवस्थाएं होती हैं, जिनमें से हर पत्थर को गुजरना पड़ता है। और इसकी अपेक्षा कि हर पादमी अलग-अलग पत्थर उठाकर सीढ़ी पर चढ़ता, एक पंक्ति में बड़े हुए भादमियों के २४ हापों द्वारा पत्थर कहीं ज्यादा जल्दी ऊपर पहुंच जाते हैं। इस प्रकार, चीन को उतने ही फासले तक अपेक्षाकृत कम समय में पहुंचाया जाता है। फिर, मिसाल के लिये, जब कभी मकान बनाने के लिये कई तरफ से एक साथ काम शुरू कर दिया जाता है, तब श्रम का समेकन हो जाता है, हालांकि यहां भी सहकार करने वाले राज एक ही या एक सा ही काम करते हैं। एक राज १२ दिन तक, या १४ घन्टे तक, काम करके मकान बनाने . यदि बिल्कुल सही-सही कहा जाये , तो भरस्तू की परिभाषा यह है कि मनुष्य स्वभाव से ही शहरी नागरिक होता है। प्राचीन काल के समाज के लिये यह उतनी ही लाक्षणिक परिभाषा है, जितनी यांकी समाज के लिये फ्रेंकलिन की यह परिभाषा थी कि मनुष्य प्रौजार. बनाने वाला पशु है। ? "On doit encore remarquer que cette division partielle de travail peut se faire quand même les ouvriers sont occupés d'une même besogne. Des ma- çons par exemple, occupés à faire passer de mains en mains des briques à un échafaudage supérieur, font tous la même besogne, et pourtant il existe parmi eux une espèce de division de travail, qui consiste en ce que chacun d'eux fait passer la brique par un espace donné, et que tous ensemble la font parve- nir beaucoup plus promptement à l'endroit marqué qu'ils ne le feraient si cha- cun d'eux portait sa brique séparément jusqu'à l'echafaudage supérieur." ["इसके अलावा यह भी कहना चाहिये कि ऐसा प्रांशिक श्रम-विभाजन इस सूरत में भी हो सकता है, जब सारे मजदूर एक ही काम को सम्पन्न कर रहे हों। हम ईटें ले जाने वाले मजदूरों का उदाहरण ले सकते हैं। ईटों को एक हाथ से दूसरे हाथ में देकर ऊंचे मचानों पर पहुंचाते हुए ये लोग एक ही प्रकार का काम करते हैं। फिर भी उनके बीच कुछ हद तक श्रम-विभाजन होता है। यह श्रम-विभाजन इस बात में निहित है कि उन मजदूरों में से हरेक एक निश्चित फ़ासले तक ईंट पहुंचाता है और वे सब मिलकर एक ही इंट को मचान पर उस स्थिति की तुलना में, यदि उनमें से हरेक स्वतन्त्र रूप से काम करे, अधिक तेज रफ्तार से पहुंचाते हैं।"] (F. Skarbek, "Theorie des richesses sociales", दूसरा संस्करण, Paris, 1840, अन्य १, पृ. ९७, ९८1) 24 .
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