चौदहवां अध्याय श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण (MANUFACTURE) अनुभाग १-हस्तनिर्माण की दोहरी उत्पत्ति . . - मम के विभाजन पर प्राधारित सहकारिता का प्रतिनिधि प हस्तनिर्माण है, और जिसे हस्तनिर्माण का वास्तविक काल कहा जा सकता है, उस पूरे काल में पूंजीवादी उत्पादन-प्रक्रिया का यही विशिष्ट रूप प्रचलित रहा है। यह काल मोटे तौर पर १६ वीं शताब्दी के मध्य से १८ वीं शताब्दी की अन्तिम तिहाई तक माना जाता है। हस्तनिर्माण दो तरह शुरू होता है: (१) एक अकेले पूंजीपति के नियंत्रण में एक बर्कशाप के भीतर कुछ ऐसे मजदूरों के इकट्ठा कर दिये जाने के फलस्वरूप, वो वैसे तो अनेक प्रकार की स्वतंत्र वस्तकारियों का काम करते हैं, पर किसी खास वस्तु को तैयार होने के पहले उन सभी के हाथों में से गुजरना पड़ता है। मिसाल के लिये, बग्घी पहले बहुत से स्वतंत्र कारीगरों के श्रम की पैदावार हुमा करती पी, जैसे पहिये बनाने वाले, साव तैयार करने वाले, बों, ताले बनाने वाले, गद्दी-तकिये बनाने वाले, खराद का काम करने वाले, झालर बनाने वाले, खिड़कियों में शीशे लगाने वाले, रंगने वाले, पालिश करने वाले, मुलम्मा चढ़ाने वाले, वगैरह, वगैरह। लेकिन बन्धियों के हस्तनिर्माण में सारे कारीगर एक मकान में इकट्ठा कर दिये जाते हैं, जहां उनमें से हरेक अपना काम करके दूसरे के हापों में साँपता जाता है। यह सच है कि बग्घी के तैयार होने के पहले उसपर मुलम्मा नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन यदि कई बग्घियां एक साथ बनायी जा रही हों, तो अब तक बानी बग्धियां पहले की प्रक्रियाओं में से गुजर रही होंगी, तब तक कुछ पर मुलम्मा पढ़ाया जा रहा होगा। अभी तक हम लोग सरल सहकारिता के क्षेत्र के ही भीतर है, जिसे मनुष्यों और वस्तुओं के रूप में अपनी सारी सामग्री पहले से तैयार मिलती है। लेकिन बहुत जल्द एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो जाता है। बी, ताले बनाने वाला पौर दूसरे तमाम कारीगर क्योंकि अब केवल बन्दी बनाने में ही लगे हुए हैं, इसलिये उनमें से हरेक की अपनी पुरानी बस्तकारी का काम पूरी तरह करने की योग्यता अभ्यास न रहने के कारण पाती रहती है। लेकिन दूसरी ओर, उसका काम चूंकि एक लीक में सीमित हो जाता है, इसलिये वह इस संकुचित कार्य क्षेत्र के लिये सबसे अधिक उपयुक्त म धारण कर लेता है। शुरू में वधियों का हस्तनिर्माण बहुत सी स्वतंत्र बस्तकारियों का बोर होता है। धीरे-धीरे बन्धी बनाने की क्रिया बहुत सी तक्रसीली पियानों में बंट जाती है, जिनमें से हरेक पिया एक बास मदर का विशिष्ट कार्य बन जाती है, और ये मजदूर मिलकर सम्पूर्ण हस्तनिर्माण करते है। इसी तरह कपड़े का हस्तनिर्माण तथा अन्य प्रकार के अनेक . .
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