श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ४०३ . स्वयंस्फूर्त ढंग से विकसित होती है,-पौर, दूसरी मोर, अन्त में मालों के मूल्य का नियम यह ते करता है कि समाज काम का कुल जितना समय खर्च कर सकता है, मालों के प्रत्येक विशिष्ट वर्ग पर वह उसका कितना भाग खर्च करेगा। लेकिन उत्पादन विभिन्न क्षेत्रों की संतुलन पर पहुंचने की यह अनवरत प्रवृत्ति केवल संतुलन के लगातार बिगड़ते रहने के कारण प्रतिक्रिया केस में ही अमल में पाती है। वर्कशाप के भीतर जिस निगम्य (a priori) अगवा तकंगम्य प्रणाली के प्राचार पर अम-विमानन नियमित रूप से कार्यान्वित होता है, वह समाज के सम-विमानन में एक अनुभवगम्य (a posteriori) अथवा उद्गम्य पावश्यकता, प्रकृति द्वारा अनिवार्य बना दी गयी पावश्यकता, बन जाती है, जो उत्पादकों की नियम-विहीन मनमानी को नियंत्रण में रखती है और मन्दी के भावों के बैरोमीटर के उतार-चढ़ाव में देखी जा सकती है। वर्कशाप के भीतर मम-विभाजन का मतलब मजदूरों पर पूंजीपति का निर्विवाद अधिकार होता है, और वे एक ऐसे यंत्र के पुर्ने भर होते हैं, वो पूंजीपति स्वामित्व में है। समाज का पम-विभाजन मालों के उन स्वतंत्र उत्पादकों को एक दूसरे के सम्पर्क में लाता है, जो प्रतियोगिता के सिवा और किसी का प्राधिकार नहीं मानते ; नो केवल अपने पारस्परिक हितों के दबाव की उस बबर्दस्ती को मानते हैं, जिसका महत्त्व पशु-गगत में bellum omnium contra omnes (सबके खिलाफ सब का पुर) के समान है, जो प्रत्येक जाति के अस्तित्व के लिए प्रावश्यक परिस्थितियों को न्यूनाधिक सुरक्षित रखता है। जो पूंजीवादी विमान वर्कशाप के भीतर होने वाले भम-विभाजन की, मजदूर का समस्त जीवन एक पाशिक किया के लिए समर्पित हो जाने की और उसके पूर्णतया पूंजी के प्राचीन बन जाने की प्रशंसा करता है और कहता है कि यह श्रम का एक ऐसा संगठन है, जिससे उसकी उत्पादकता बढ़ जाती है, वही पूंजीवादी विमान जब उत्पादन की क्रिया का सामाजिक नियंत्रण तथा नियमन करने की कोई भी सजग कोशिश की जाती है, तो उसकी उतने ही बोर-शोर से निन्दा करता है और कहता है कि यह सम्पत्ति के अधिकार, स्वाधीनता तथा पूंजीपतियों के अनियंत्रित ढंग से इच्छानुसार काम करने के हक मैसी पवित्र वस्तुओं का प्रतिक्रमण करने की कोशिश है। यह एक बहुत सारगर्भित बात है कि फैक्टरी-व्यवस्था के बड़े जोशीले समर्थकों के पास समाज के मम का सामान्य संगठन करने के विचार के विन्स इससे ज्यादा बोरवार और कोई बलील नहीं है कि यदि ऐसा किया गया, तो पूरा समाज एक बहुत बड़ा कारखाना बन जायेगा। यदि पूंजीवादी उत्पादन पाले समान में सामाजिक श्रम-विभाजन की अराजकता और वर्कशाप के बम-विभाजन की निरंकुशता एक दूसरे के अस्तित्व के लिए प्रावश्यक होती है, तो, इसके विपरीत, समाज के उन प्रारम्भिक स्मों में, जिन में पंजों का अलगाव स्वयंस्फूर्त उंग से इस तह बढ़ा है कि पहले उसका विकास हुमा, फिर उसका स्फटिकीकरण हो गया पौर अन्त में उसने कानून के द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लिया,-ऐसी समाज-व्यवस्थाओं में हम एक तरफ तो एक मान्य एवं अधिकृत योजना के अनुसार समाज के बम के संगठन का नमूना पाते हैं, और, दूसरी तरफ, हम यह देखते हैं कि वर्कशाप के भीतर होने वाला भम-विभाजन उनमें एकरम गायव है या कम से कम उसका महब एक बौनानुमा पा इका-मुक्का तवा माकस्मिकग से विकसित म ही उनमें पाया जाता है।' . 1 "On peut... établir en règle générale, que moins l'autorité préside à la division du travail dans l'intérieur de la société, plus la division du travail se 280
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