४३२ पूंजीवादी उत्पादन माल का परिकार करने के लिये मावश्यक समस्त पियानों को पूरा करने लगती है और पब उसे पावमी को केवल देखरेख की ही मावश्यकता रह जाती है, तब मशीनों की स्वचालित संहति तैयार हो जाती है। इस संहति की तफसीली बातों में निरन्तर सुधार किया जा सकता है। मिसाल के लिये, यह उपकरण, बो धागे के दूटते ही कताई की मशीन को चलने से रोक देता है, और वह self-acting stop (स्वचालित रोक), जो शल बोबिन में बाना खतम हो जाते ही ताकत से चलने वाले करणे को रोक देती है, इस प्रकार के सुधार काफी माधुनिक प्राविष्कारों के फल हैं। उत्पादन की निरन्तरता तथा स्वतःचलन के सिद्धान्त का उपयोग-इन दोनों बातों के उदाहरण के रूम में हम कागज की किसी माधुनिक मिल को ले सकते हैं। काग्रज-उद्योग में ग्राम तौर पर हम न केवल उत्पादन के विभिन्न साधनों पर माधारित उत्पादन की अलग-अलग प्रणालियों के मेवों का विस्तार के साथ उपयोगी अध्ययन कर सकते हैं, बल्कि उत्पादन की सामाजिक परिस्थितियों का इन प्रणालियों से बो सम्बंध होता है, उसका भी तफसील के साप अध्ययन कर सकते हैं। कारण कि पुराने जमाने में जर्मनी में जिस तरह काग्रब बनाया जाता था, वह बस्तकारी के ढंग के उत्पादन का नमूना था, १७ वीं सदी में हालेज में और १८ वीं सदी में फ्रांस में जिस तरह काग्रज बनाया जाता था, वह हस्तनिर्माण की मिसाल था, और माधुनिक इंगलेस में कागज तैयार करने का ढंग स्वचालित उत्पादन का नमूना है। इसके अलावा, हिन्दुस्तान और चीन में इसी उद्योग के दो प्राचीन एशियाई स्प माज भी मौजूद हैं। मशीनों की ऐसी संगठित संहति, जिसे संचालक यंत्र के द्वारा एक केन्द्रीय स्वचालित यंत्र से गति प्राप्त होती है, मशीनों से होने वाले उत्पादन का सबसे अधिक विकसित स्म होती है। यहाँ पर अलग-अलग काम करने वाली मशीनों के बजाय एक यांत्रिक दैत्य होता है, जिसकी देह पूरी फैक्टरियों को भर देती है और जिसकी राक्षसी शक्ति, मो शुरू में उसके दैत्याकार अवयवों की मपी-सुली और धीमी गति के प्रावरण के पीछे छिपी हुई पी, पाखिर अब उसकी असंख्य कार्यकारी इन्द्रियों के कोलाहलपूर्ण पावर्तन के रूप में फूट पड़ती है। इससे पहले कि ऐसे मजबूर, जिनका एकमात्र पंषा म्यूल और भाप के इंजन बनाना था, विलाई दिये, दुनिया में म्यूल और भाप के इंजन माये। यह उसी तरह की बात है जैसे बर्दियों के पैदा होने के बहुत पहले से लोग कपड़े पहन रहे थे। किन्तु यदि बीकान्सन, मार्कराइट, बाट्ट तथा अन्य व्यक्तियों के प्राविष्कार व्यावहारिक सिद्ध हुए, तो केवल इसीलिये कि इन पाविष्कारकों के लिये हस्तनिर्माण के काल में पहले से ही निपुण यांत्रिक मजदूरों की एक काकी बड़ी संख्या तैयार कर रखी थी। इनमें से कुछ मजदूर विभिन्न पंधों के स्वतंत्र बस्तकार , सरे ऐसे हस्तनिर्माणों में एकत्रित हो गये थे, जिनमें, जैसा कि पहले बताया जा पुका है, भम-विमानन का कड़ाई के साथ नपयोग किया जाता था। जैसे-जैसे प्राविकारों की संख्या बढ़ती गयी और नयी-नयी बार की गयी मशीनों की मांग में वृद्धि होती गयी, वैसे-वैसे मशीन बनाने वाला उद्योग अधिकाधिक मनेक स्वतंत्र शासामों में बंटता गया और इन हस्तनिर्माणों में सम-विभाजन का अधिकाधिक विकास होता गया। इस तरह यहां पर हम देखते हैं कि हस्तनिर्माण में प्रानिक उद्योग का तात्कालिक प्राविधिक मापार था। हस्तनिर्माण ने ही बेमशीनें तैयार की थी, जिनके बरिये माधुनिक उद्योग ने उत्पादन के उन क्षेत्रों में, जिनपर उसने सबसे पहले अधिकार किया पा, बस्तकारी तवा हस्तनिर्माण की प्रणालियों का अन्त कर दिया ।इसलिये, घटनामों के स्वाभाविक विकास-पास के अनुसार पटरियों की व्यवस्था एक अपर्याप्त नीच पर - - . . . . .
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