पूंजीवादी उत्पादन . . अब यदि हम अपना ध्यान मशीनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली मशीनों के उस भाग पर केनित करें, बो कार्यकारी प्राचार का काम करता है, तो एक बार फिर हाप के प्राचार हमारे सामने पाते हैं, मगर इस बार उनका प्राकार बहुत बड़ा होता है। बरमाने की मशीन का कार्यकारी भाग एक बहुत बड़ा बरमा होता है, जो भाप के इंजन द्वारा चलाया जाता है। दूसरी मोर, इस मशीन के बिना भाप के बड़े इंजनों और प्रवचालित वावकों के बेलन नहीं बनाये जा सकते थे। यांत्रिक सराव केवल पैर से चलाये जानेवाले साधारण खराब का ही एक दैत्याकार नवसंस्करण है। रवा करने वाली मशीन लोहे के एक बई के समान होती है, वह उन्हीं प्रोवारों से काम करती है, जिनको बढ़ई का काम करने वाला मनुष्य लकड़ी पर इस्तेमाल करता है; मन्दन के घाटों पर जिस प्रोवार से लकड़ी के पतले पत्तर काटे जाते हैं, वह असल में एक बहुत बड़ा उस्तरा है; कतरने वाली मशीन, यो लोहे को उतनी ही मासानी से कतर गलती है, जितनी प्रासानी से बों की कैंची कपड़ा काटती है, एक दैत्याकार केपी होती है, और भाप के हवौड़े का सिरा एक साधारण हथौड़े के ही समान होता है, मगर वह इतना भारी होता है कि जुद पोर-स्कैग्नेिविया के निवासियों का एक बिजली-देवता-भी उससे काम न ले पाता। भाप के ये हचौड़े नावमिव के पाविष्कार है, और उनमें से एक हपोला ६ टन से भी अधिक भारी है और वह ३६ टन के महरन पर ७ फिट की सीधी ऊंचाई से गिरता है। उसके लिये प्रेनाइट पत्थर की एक सिल का पूरा कर देना बच्चों के खेल के समान है। मंगर साथ ही वह बोबार बार बहुत हल्की सी बाप देकर एक कील को भी मुलायम लकड़ी में गाड़ सकता है।' जब श्रम के प्रोबार मशीनों का रूप धारण कर लेते हैं, तब मानव-शक्ति के स्थान पर प्राकृतिक शक्तियों का और अनुभव-सिड रीति के बजाय विज्ञान का सजग उपयोग करना पावश्यक हो जाता है। हस्तनिर्माण में सामाजिक भम-प्रक्रिया का विशुद्ध मनोगत संगठन किया जाता है, उसमें बहुत तफसीली काम करने वाले मजदूरों को जोड़ दिया जाता है। माधुनिक उद्योग के पास अपनी मशीनों की संहति के रूप में एक ऐसा उत्पादक संघटन होता है, यो विशुद्ध बस्तुगत संगठन है और जिसमें मजदूर पहले से तैयार उत्पादन की भौतिक परिस्थितियों का एक उपांग मात्र बन जाता है। सरल सहकारिता में और यहां तक कि श्रम- विभाजन पर पाषारित सहकारिता में भी सामूहिक मजदूर का अलग-अलग काम करने वाले मजदूरों का स्थान ले लेना न्यूनाधिक रूप में एक प्राकस्मिक बात प्रतीत होता है। लेकिन कुछ अपवादों को छोड़कर, जिनका बार में बिक किया जायेगा, मशीनें केवल सम्बद्ध श्रम केवल सामूहिक श्रम के द्वारा ही काम करती है। इसलिये, जहां मशीनों का इस्तेमाल होता है, वहां भम-किया का सहकारी स्वरूप बुर मम के प्राचार के कारण एक प्राविधिक मावश्यकता बन जाता है। । इनमें से एक मशीन, जो लन्दन में padde-wheel shafts (जहाज चलाने की चर्बी के पुरे) गढ़ने के काम में पाती है, "पोर" कहलाती है। वह १६६ टन का धुरा उतनी ही मासानी से गढ़ देती है, जितनी प्रासानी से लुहार घोड़े की नाल गढ़ता है। 'लकड़ी का काम करने वाली मशीनें, जो छोटे पैमाने पर भी इस्तेमाल हो सकती है, प्रायः अमरीकी प्राविष्कार है।
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