पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४५३

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४५० पूंजीवादी उत्पादन . . अब उद्योग की किसी एक शाला में बच्चों के श्रम पर कानून द्वारा सीमा लगा दी जाती है, तो यह उद्योगों की अन्य शालाओं में भी सीमा लगाने का कारण बन जाता है। पहले प्रत्यक्ष रूप से उन कारखानों में, जो मशीनों के प्राचार पर खड़े हो जाते हैं, और फिर अप्रत्यक्ष रूप से उद्योग की बाकी तमाम शालाओं में मशीनें जिन बच्चों और लड़के- लड़कियों को और साथ ही जिन स्त्रियों को पूंजी के शोषण का शिकार बना देती हैं, उनका जो शारीरिक पतन होता है, उसकी पोर हम पहले भी संकेत कर चुके हैं। इसलिए यहां पर एक ही बात की सविस्तार चर्चा करेंगे। वह यह कि मजदूरों के बच्चों के जीवन के शुरू के चन्द वर्षों में उनकी मृत्यु-संस्था बेहद बढ़ जाती है। जन्म और मृत्यु की रजिस्टरी के लिए इंगलैड जिन रिस्ट्रिक्टों में बंटा हुमा है, उनमें से सोलह रिस्ट्रिक्टों में एक वर्ष से कम उन के हर १ लास जीवित बच्चों के पीछे साल भर में प्रोसतन केवल ६००० मौतें होती है (एक रिस्ट्रिक्ट में केवल ७,०४७ मौतें होती है ); २४ रिस्ट्रिक्टों में मौतों की संख्या १०,००० से ज्यादा, पर ११,००० से कम है; ३६ रिस्ट्रिक्टों में वह ११,००० से ज्यादा, पर १२,००० से कम है। ४८ रिस्ट्रिक्टों में वह १२,००० से ज्यादा, पर १३,००० से कम है। २२ रिस्ट्रिक्टों में बह २०,००० से ज्यादा है। २५ सिस्ट्रिक्टों में वह २१,००० से ज्यादा है। १७ मिस्ट्रिक्टों में बह २२,००० से ज्यादा है। ११ मिस्ट्रिक्टों में वह २३,००० से ज्यादा है, बोल्बरहम्पटन, लाइन-नबी-तट पर स्थित-ऐश्टन और प्रेस्टन नामक रिस्ट्रिक्टों में २४,००० से स्थावा है; नोटिंघम, स्टोकपोर्ट और बैरफर्ड में वह २५,००० से ज्यादा है। विसबीच में बह २६,००० है और मानचेस्टर में २६,१२५ है। जैसा कि १८६१ की एक सरकारी गक्टरी जांच से प्रकट हुमा पा, स्थानीय कारणों के अलावा इस भारी मृत्यु-संस्था का मुख्य कारण यह है कि बच्चों की माताओं को घर से बाहर काम करने जाना पड़ता है, और उनकी अनुपस्थिति में बच्चों के प्रति लापरवाही बरती जाती है और उनके साथ बुरा बरताव किया जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि उनको काफ़ी भोजन नहीं मिलता, खराब भोजन मिलता है और अक्सर प्रक्रीम-मिली कोई बवा घटाकर सुला दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मां और बच्चे के बीच एक अजीब सा सिंचाव पैदा हो जाता है, और उसके फलस्वरूप अक्सर मातायें जान-मूमकर बच्चों को भूना मार गलती है और बहर दे देती हैं। जिन खेतिहर रिस्ट्रिक्टों में "नौकरी करने वाली औरतों की संख्या कम से कम है, वहां, दूसरी मोर, मृत्यु-अनुपात बहुत कम है। लेकिन १८६१ के पांच-कमीशनं से यह अप्रत्याशित बात मालूम हुई कि उत्तरी सागर से मिले हुए कुछ विशुद्ध लेतीहर रिस्ट्रिक्टों में एक वर्ष से कम उम्र के .. . . - 1 "Sixth Report on Public Health" ('#refufia Farhang mit got foute'), London, 1864, पृ० ३४ । "उससे (१८६१ की जांच से)... इसके अलावा यह पता चला कि जहां एक तरफ़ उपर्युक्त परिस्थितियों में माताओं के अपने धंधों में लगे रहने का यह अर्थ होता है कि उनको अपने बच्चों के प्रति लापरवाही बरतनी पड़ती है और में उनका ठीक इन्तपाम नहीं कर पातीं और बच्चे इस चीज का शिकार हो जाते हैं, वहां , दूसरी ओर, अपनी सन्तान की मोर मातामों का रुख भी बहुत प्रस्वाभाविक हो जाता है,-वे पाम तौर पर बच्चों की मौत की कोई नहीं परवाह करतीं और कभी-कभी तो...चूद इसकी पाली व्यवस्था कर देती है" (उप० पु०)। 'उप. पु., पृ० ४५४।