पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४५४

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ४५१ . , बच्चों का मृत्यु-अनुपात कारखानों वाले सबसे खराब सिस्ट्रिक्टों के मृत्यु- अनुपात के लगभग बराबर है। चुनांचे ग. जूलियन हन्टर को मौके पर जाकर स्थिति की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया। उनकी रिपोर्ट "Sixth Report on Public Health" ('सार्वजनिक स्वास्थ्य की छठी रिपोर्ट') में शामिल है। उस वक्त तक यह समझा जाता था कि बच्चे मौसमी बुखार और कछार तथा बलवल वाले रिस्ट्रिक्टों में फैलने वाली बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। परन्तु इस जांच से बिल्कुल उल्टी बात मालूम हुई। पता चला कि जागों में बलबल और गर्मियों में बहुत खराब सी चरागाह बनी रहने वाली जमीन को जब खूब गल्ला पैदा करने वाली उपजाऊ समीन में बदल दिया जाता है, तब उसके फलस्वरूप ऐसे इलाकों से जहां, एक तरफ़, मौसमी बुखार भाग जाता है, वहां, दूसरी तरफ, शिशुओं की मृत्यु-वर प्रसाधारण रूप से बढ़ जाती है।' ग. हष्टर ने इस रिस्ट्रिक्ट के ७० गक्टरों के बयान लिये थे। इस प्रश्न पर सब का "पाश्चर्यजनक रूप से एकमत था"। सच तो यह है कि खेती की प्रणाली में क्रान्ति होने के फलस्वरूप वहां पर भी प्रौद्योगिक व्यवस्था जारी हो गयी थी। विवाहित स्त्रियां लड़के-लड़कियों के साथ-साप टोलियों में काम करती हैं। कास्तकार के लिए एक व्यक्ति, जिसे "undertaker" ("ठेकेदार") कहते हैं, एक निश्चित राम के एवज में इन स्त्रियों की व्यवस्था करता है और पूरी टोली का ठेका ले लेता है। "ये टोलियां अपने गांव से कभी-कभी तो कई मील दूर जाकर काम करती हैं। सुबह-शाम वे पाप को सड़कों पर मिलेंगी। ये औरतें छोटे-छोटे लहंगे, उपयुक्त ढंग के कोट और जूते और कभी- कभी पतलूने भी पहने रहती हैं। वे इतनी स्वस्थ और बलवान दिखाई देती हैं कि वर्शक को पाश्चर्य होता है। परन्तु उसके साथ-साप उनमें भारत के रूप में एक अनैतिकता का रंग भी स्पष्ट दिखाई देता है, और लगता है, जैसे इन स्त्रियों को इसकी तनिक भी चिन्ता नहीं है कि इस स्वतंत्र एवं व्यस्त जीवन से उनको जो इतना प्रेम हो गया है, उसका उनके उन प्रभागे बच्चों के लिए कैसा भयानक परिणाम हो रहा है, जो उनकी अनुपस्थिति में घर पर अकेले बिलखते रहते हैं। 'इस प्रकार, फैक्टरियों वाले रिस्ट्रिक्टों की प्रत्येक बात यहां पर भी दिखाई देने लगती है। अन्तर केवल इतना होता है कि यहां गुप्त शिशु-हत्याएं और बच्चों को प्रक्रीन- मिली बवाएं घटाना और भी अधिक प्रचलित है। प्रिवी काउंसिल के गक्टर और सार्वजनिक 1 उप० पु०, पृ० ४५४-४६३ । “Report by Dr. Henry Julian Hunter on the excessive mortality of infants in some rural districts of England" ('status कुछ देहाती डिस्ट्रिक्टों में शिशुभों की अत्यधिक मृत्यु-संख्या के विषय में डा० हेनरी जूलियन हण्टर की रिपोर्ट')। 'उप० पु०, पृ. ३५ पौर पृ० ४५५, ४५६ । 'उप० पु०, पृ. ४५६ । 'फैक्टरियों वाले डिस्ट्रिक्टों की तरह खेतिहर डिस्ट्रिक्टों में भी वयस्क मजदूरों में, -स्त्रियों और पुरुषों, दोनों में,-अफ़ीम का उपयोग दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। “ अफ़ीम-मिली दवानों की बिक्री की वृद्धि...कुछ उत्साही पोक व्यापारियों का मुख्य उद्देश्य है। दवाफ़रोश उन्हें विक्री की सबसे महत्त्वपूर्ण चीज समझते हैं।" (उप० पु०, पृ. ४५६1) जो बच्चे अफ़ीम-मिली दवाएं खाते हैं, वे "सूबकर नन्हे-नन्हे बूड़ों के समान बन जाते हैं" या "जरा-जरा से बन्दर प्रतीत होने लगते है।" (उप० पु०, पृ. ४६०1) हिन्दुस्तान और चीन ने इंगलैण्ड से किस तरह बदला लिया है, यह यहां साफ़ हो जाता है। . 113 - 29*