पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४५५

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४५२ पूंजीवादी उत्पादन स्वास्थ्य की रिपोर्टों के प्रधान सम्पादक, ग. साइमन ने कहा है: "जब कहीं पर वयस्क लियों से बड़े पैमाने पर कारखानों में काम कराया जाता है, तो मुझे हमेशा यह भय होता है कि इसका बहुत अनिष्टकर परिणाम होगा। इसका कारण यह है कि मुझे इस बीच से.पैदा होने वाली पुराइयों का अच्छा ज्ञान है। मि. बेकर नामक एक पटरी-स्पेक्टर ने अपनी सरकारी रिपोर्ट में कहा है: "ईगलैड के कारखानों वाले रिस्ट्रिक्टों के लिए यह सचमुच बड़े सौभाग्य की बात होगी, जब बाल-बच्चों वाली प्रत्येक विवाहित स्त्री को किसी भी कपड़ा- मिल में काम करने की मनाही कर दी जायेगी।" पूंजीवादी शोषण स्त्रियों और बच्चों को विस घोर नैतिक पतन के गड़े में धकेल देता है, उसका के० एंगेल्स ने अपनी पुस्तक 'Lage der ArbeltendenKlasse Englands" ('इंगलैश के मजबूस्वर्ग की हालत') में तवा अन्य लेखकों ने इतना सुविस्तृत वर्णन किया है कि इस स्थान पर केवल उसका विक कर देना ही काफी होगा। परन्तु अपरिपक्व मनुष्यों को महल अतिरिक्त मूल्य पैदा करने वाली मशीनों में बदलकर बनावटी ढंग से जो बौद्धिक शून्यता पैा कर दी गयी थी और वो उस स्वाभाविक प्रमान से बिल्कुल भिन्न थी, जिसमें मनुष्य का मस्तिष्क परती जमीन की तरह बाली तो पड़ा रहता है, पर उसकी विकास करने की ममता, उसकी स्वाभाविक उर्वरता नष्ट नहीं हो जाती,-इस मनोदशा ने अन्त में इंगलैण्ड की संसद तक को यह नियम बनाने के लिए विवश कर दिया कि ऐसे तमाम उद्योगों में, जिनपर फैक्टरी-कानून लागू है, १४ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को केवल उसी समय उत्पादक" ढंग से नौकर रखा जा सकेगा, जब साप ही उनकी प्रापमिक शिक्षा का भी बन्दोबस्त कर दिया जायेगा। पूंजीवादी उत्पादन किस भावना से उत्प्रेरित होता है, यह इस बात से पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है कि फैक्टरी-कानूनों की तथाकषित शिक्षा सम्बंधी पारामों की शबावली अत्यन्त हास्यासर है। इन पारामों को लागू करने वाला कोई प्रशासन यंत्र नहीं है, जिससे इन पारामों की अनिवार्यता महब एक काग्रजी बीच बनकर रह जाती है। कारखानेदार पर इन धारागों का स्टकर विरोध कर रहे है और व्यवहार में उनसे बचने के लिए तरह- तरह की तरकीबें करते है और चालें चलते हैं। इसके लिए महब संसद ही बोपी है। उसने एक बोने से भरा कानून (delusive law) बनाया है। ऊपर से देखने में लगता है कि इस कानून ने पटरियों में काम करने वाले सभी बच्चों को शिक्षा देना सरी बना दिया है। पर उसमें ऐसी कोई चारा नहीं है, जिससे सचमुच इस उद्देश्य की पूर्ति हो सके। उसमें इससे अधिक और कुछ नहीं कहा गया है कि सप्ताह के कुछ खास दिन बचे कुछ निश्चित पदों के लिए (तीन पदों के लिए) स्कूल नामक एक स्थान की चारदीवारी के भीतर बन्द कर दिये जायेंगे और बच्चों को नौकर रखने वाला कारखानेदार उसके द्वारा नियुक्त स्कूल- मास्टर या मास्टरानी के पद पर काम करने वाले एक व्यक्ति से हर हफ्ते इस बात के प्रमाण-पत्र पर दस्तखत करा लेगा।" के संशोषित पटरी-कानून के पास होने के पहले - 'उप. पु., पृ० ३७॥ "Rep. of Insp. of Fact. for 31st Oct., 1862" (refset om det रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६२'), पृ. ५६ । मि० देकर पहले गफ्टर थे। Santand shta; “Reports of Inspectors of Factories for 30th June; 1857" ('फेक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३० जून १९५७'), पृ. १७॥