मशीनें मौर: माधुनिक उद्योग ४७५ स्थान, . यह म होता है कि मजदूर विशिष्टीकृत मशीनों के बीच बांट दिये जाते हैं और मजदूरों के समूह, नो बलों में संगठित नहीं होते, फॅक्टरी के अलग-अलग विभागों में बांट दिये जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक विभाग में वे साथ-साथ रती हुई एक ही प्रकार की बहुत सी मशीनों पर काम करते हैं; इसलिये उनके बीच केवल साधारण सहयोग होता है। उस संगठित दल का बो हस्तनिर्माण की विशेषता पा, अब हेर मजबूर और उसके बन्द सहायकों का. सम्बंध ग्रहण कर लेता है। बुनियावी विभाजन यह होता है कि एक तरफ तो वे मजदूर होते हैं, जो सचमुच मशीनों पर काम करते हैं (और जिनमें इंजन की देखभाल करने वाले कुछ लोग भी शामिल होते हैं), और दूसरी तरफ इन मजदूरों के महब सहायक होते हैं (जिनमें लगभग सभी केवल बच्चे होते हैं)। सहायकों में कमोवेश उन सभी feeders (कच्चा माल देने बालों) को भी गिना जाता है, जो वह मपी मशीनों तक पहुंचाते हैं, जिसपर काम किया जाता है। इन दो मुख्य वर्गों के अलावा कुछ ऐसे व्यक्तियों का एक वर्ग होता है, जिनका काम सभी मशीनों की देखभाल और समय-समय पर उनकी मरम्मत करना होता है। मिसाल के लिये, इंजीनियर, मिस्त्री, बढ़ई मादि इस वर्ग में पाते हैं। संख्या की दृष्टि से यह वर्ग महत्वहीन होता है। ये एक अपेक्षाकृत उच्च वर्ग के मजदूर होते हैं। उनमें से कुछ को वैज्ञानिक शिक्षा प्राप्त हुई है, दूसरों को बचपन से ही एक खास धंधे की शिक्षा मिली है। यह वर्ग फ्रेपटरी के मजदूरों के वर्ग से बिल्कुल अलग होता है, उसे केवल उनके साथ जोड़ दिया जाता श्रम का यह विभाजन विशुद्ध प्राविधिक विभाजन होता है। किसी मशीन पर काम कर सकने के लिये मजदूर को बचपन से ही शिक्षा मिलनी चाहिये, ताकि वह खुद अपनी पियानों को एक स्वचालित यंत्र की एकल्प एवं निरन्तर गति के अनुसार डालना सीख जाये। बब सभी मशीनों का, कुल मिलाकर, एक दूसरे के साथ- साप और सहयोग में काम करने वाली विभिन्न प्रकार की मशीनों की एक संहति का रूप होता है, तब उनपर भाषारित सहकारिता के लिये यह मावश्यक होता है कि मजदूरों के विभिन्न बल अलग-अलग प्रकार की मशीनों के बीच बांट दिये जायें। लेकिन मशीनों का उपयोग करने पर इसकी प्रावश्यकता नहीं रहती कि हस्तनिर्माण के दंग पर एक खास पादमी को लगातार एक खास काम के साथ बांधे रखकर इस विभाजन को स्थायी रूप दे दिया जाये। इस पूरी 1 इंगलैण्ड के फैक्टरी-कानून ने इस प्रन्तिम वर्ग के मजदूरों को अपने कार्य-क्षेत्र से अलग कर दिया है, हालांकि संसदीय विवरणों में न केवल इंजीनियर, मिस्त्री प्रादि को, बल्कि मैनेजर, सेल्समैन, चपरासी, गोदामी, गांठ बांधने वाले प्रादि को भी, और संक्षेप में कहा जाये, तो खुद फैक्टरी के मालिक को छोड़कर बाकी सभी लोगों को साफ़ तौर पर फैक्टरी- मजदूरों की मद में शामिल किया जाता है। मांकड़ों के रूप में यह सोद्देश्य प्रामक प्रयास जैसा लगता है (अन्य जगहों पर भी जिसे सविस्तार भ्रामक सिद्ध करना सम्भव होगा)। 'उरे भी यह बात स्वीकार करते हैं। वह लिखते हैं कि "जरूरत होने पर" मैनेजर मजदूरों को अपनी इच्छानुसार एक मशीन से हटाकर दूसरी मशीन पर लगा सकता है, पौर फिर उरे विजय की भावना के साथ घोषणा करते हैं: “इस प्रकार का परिवर्तन उस पुरानी रूढ़ि के बिल्कुल उल्टा पड़ता है, जिसके अनुसार श्रम का विभाजन कर दिया जाता है और एक मजदूर को सुई का मुंह बनाने का काम और दूसरे को नोक तेज करने का काम सौंप दिया जाता है।" बेहतर होता, यदि उरे अपने से यह प्रश्न करते कि स्वचालित फैक्टरी में केवल "परत होने पर ही" इस "पुरानी सकि" को क्यों त्यागा जाता था। .. .
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