पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४७९

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पूंजीवादी उत्पादन . संहति की गति चूंकि महबूर से नहीं, बल्कि मशीनों से माती है, इसलिये काम को बीच में रोके बिना किसी भी समय पर व्यक्तियों की अदला-बदली की जा सकती है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण relays system (पालियों की प्रणाली ) में मिलता है, जिसे कारखानेवारों ने १८४८-१८५० में अपने विद्रोह के समय चालू किया था। अन्त में, कि लड़के-लड़कियां मशीन का काम बहुत जल्दी सील लेते हैं, इसलिये मजदूरों के किसी खास वर्ष को केवल मशीनों पर काम करने के लिये सिखा-पढ़ाकर तैयार करने की भी कोई बात नहीं रहती। यहां तक महत सहायकों का सम्बंध है, मिल में कुछ हद तक उनका स्थान मशीन ले सकती है, और इस तरह का काम चूंकि बहुत ही सरल उंग का होता है, इसलिये जिन व्यक्तियों के कंधों पर इस प्राधिकर काम का बोझा पड़ता है, उनमें तेजी से और लगातार परिवर्तन किये जा सकते हैं। ... 'जब व्यवसाय की दशा बहुत ही शोचनीय होती है, जैसी कि अमरीकी गृह-युद्ध के दिनों में थी, तब कभी-कभी पूंजीपति फैक्टरी-मजदूर से सलत से सलत काम , जैसे सड़क बनाना इत्यादि, लेने लगता है। १९६२ और उसके बाद के वर्षों में इंगलैण्ड में सूती मिलों के बेकार मजदूरों के लिये जो "ateliers nationaux" ("राष्ट्रीय वर्कशापें") बोली गयी थीं, वे १८४८ में फ्रांस में बोली गयी राष्ट्रीय वर्कशापों से इस बात में भिन्न थीं कि जहां फ्रांस में मजदूरों को राज्य के खर्चे पर अनुत्पादक काम करना पड़ता था, इंगलैण्ड की "राष्ट्रीय वर्कशापों" में मजदूरों को पूंजीपति हित में नगरपालिका का उत्पादक काम करना होता था, और वे नियमित मजदूरों के मुकाबले में सस्ते पड़ते थे और इस तरह उनसे इन मजदूरों के साथ प्रतियोगिता करा दी जाती थी। "सूती मिलों के मजदूरों की शारीरिक अवस्था में निस्सन्देह सुधार हो गया है। जहां तक पुरुषों का सम्बंध है, मैं समझता हूं. इसका कारण यह है कि इन लोगों से बाहर खुली हवा में लोक-निर्माण का काम लिया जाता है।" ("Rep. of Insp. of Fact., 31st Oct., 1863" ["फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६३'], पृ. ५६।) यहां लेखक प्रेस्टन फैक्टरी के मजदूरों का जिक्र कर रहा है, जिनसे प्रेस्टन के खादर में काम लिया जा रहा था। 'इसका एक उदाहरण के तरह-तरह के यांत्रिक उपकरण हैं, जिनसे १८४४ के कानून के बाद से बच्चों के श्रम के स्थान पर काम लिया जाने लगा है। जैसा ही यह होने लगेगा कि खुद कारखानेदारों के बच्चों को मिल में सहायकों के रूप में शिक्षा लेनी पड़ा करेगी, वैसे ही यांत्रिकी के इस लगभग अनन्वेषित क्षेत्र में प्रसाधारण प्रगति होगी। "मशीनों में self- acting mules (स्वचालित म्यूल) शायद उतने ही खतरनाक होते है, जितनी और मशीनें। उनसे जो दुर्घटनाएं होती है, उनके शिकार प्रायः छोटे-छोटे बच्चे होते हैं, क्योंकि वे जब म्यूल चलते रहते हैं, तब उनके नीचे रेंग-रेंगकर फर्श की सफाई करते है। इन "minders" (म्यूलों पर काम करने वालों) में से कुछ पर इस जुर्म के लिये जुर्माना भी हो चुका है, पर इससे कोई सामान्य लाभ नहीं हुमा है। यदि मशीनें बनाने वाले किसी ऐसे सफाई करने वाले स्वचालित यंत्र का प्राविष्कार कर देते , जिसका उपयोग करने पर नन्हे-नन्हे बच्चों को मशीनों के नीचे रेंगकर जाने की जरूरत न रहती, तो मजदूरों की सुरक्षा के लिये उठाये गये कदमों में यह एक बहुत उपयोगी नया कदम होता।" ("Reports of Insp. of Fact. for 31st. Oct. 1866" ['फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १९६६ '], पृ. ६३) . .