पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४८

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पौये जर्मन संस्करण की भूमिका अब वह उसे "The Times" की रिपोर्ट उदत करना चाहता है, जिसे उन्हीं अन्तानो महाशय ने "मावश्यक रूप से गड़बड़ कर देने वाली" रिपोर्ट कहा था। उसका यह इसरार करना स्वाभाविक है, क्योंकि *Hansard" को रिपोर्ट में मुसीबत की बड़ वह वाक्य प्रायव है। एलियोनोर मार्स को इन सारी बलीलों को फूंक-मारकर हवा में उड़ा देने में कोई कठिनाई नहीं हुई (उनका जवाब To-Day" के उसी अंक में प्रकाशित हुमाया)। उन्होंने कहा कि या तो मि० टेलर ने १८७२ की बहस को पढ़ा था और उस सूरत में वह अब न सिर्फ "मूठमूठ गढ़कर" बातें बोल रहे हैं, बल्कि कुछ बातों को "मूठमूठ" बवा भी रहे हैं, या फिर उन्होंने उस बहस को पढ़ा नहीं था और इसलिये उन्हें खामोश रहना चाहिये। बोनों सूरतों में यह निश्चित है कि अब वह एक क्षण के लिये भी यह दावा करने की हिम्मत नहीं कर सकते कि उनके मित्र अन्तानो का यह पारोप सही था कि मास ने कोई बात "मूठमूठ गढ़कर" जोड़ दी थी। इसके विपरीत, अब तो यह प्रतीत होता है कि मास ने मूठमूठ गढ़कर कोई बात जोड़ी नहीं थी, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण वाक्य दबा दिया था। लेकिन यही वाक्य उद्घाटन-वक्तव्य के पृष्ठ ५ पर तथाकथित "मूठमूठ गढ़कर जोड़े गये वाक्य" से कुछ पंक्तियों पहले उद्धृत किया गया है। और जहां तक ग्लैड्स्टन के भाषण में पायी जाने वाली "मसंगति" का प्रश्न है, क्या अब मार्स ने 'पूंजी' के पृष्ठ ६१८ (तीसरे संस्करण के पृ० ६७२) के नोट १०५ (वर्तमान संस्करण के पृ० ७२६ के नोट ३) में "ग्लंडस्टन के १८६३ और १८६४ के बजट-भाषणों को लगातार सामने आने वाली भयानक प्रसंगतियों" का जिक नहीं किया है? हां, उन्होंने a la मि. सेटली टेलर (सेउली टेलर की तर) उनको प्रात्म-संतुष्ट उदारपंची भावनामों में बदल देने की बार कोई कोशिश नहीं की। अपने उत्तर के अन्त में एलियोनोर मार्क्स ने पूरी बहस का निचोड निकालते हुए यह कहा था: "मार्स ने उड़त करने योग्य कोई बात नहीं बवायी है और न ही उन्होंने “भूमूठ गढ़कर" कोई बात जोड़ी है। लेकिन उन्होंने मि० ग्लैड्स्टन के भाषण के एक खास वाक्य को पुनर्जीवित बार किया है और उसे विस्मृति के गर्त से बाहर निकाला है, और यह वाक्य प्रसंदिग्ध रूप से मि० ग्लैग्स्टन द्वारा कहा गया था, लेकिन किसी ढंग से "Hansard" से गायब हो गया पो।" इस लेख के साथ मि. सेउली टेलर की भी काफी खबर ली जा चुकी थी और बीस वर्ष से दो बड़े देशों में जो प्रोफेसराना ताना-बाना बुना जा रहा था, उसका पाखिरी नतीजा यह हुमा कि उसके बाद से कभी किसी ने मास की साहित्यिक ईमानदारी पर कोई पार भारोप लगाने की हिम्मत नहीं की; पार जहाँ तक मि० सेडली टेलर का सम्बंध है, वह अब निस्सन्देह हेर न्तानो की साहित्यिक युद्ध-विज्ञप्तियों पर उतना ही कम भरोसा किया करेंगे, जितना हेर अन्तानो *Hansard" की पोप-मार्का सर्वज्ञता पर। . फ्रेडरिक एंगेल्स लन्दन, २५ जून १८९०