भूमिका . " पर बेन्तानो ने इस उस्तादी के साथ उनपर धावा बोला था कि उन्हें बारबार पैतरा बदलना पड़ा था और उनकी जान पर बन पापी पी। इस परिस्थिति में हेर कार्ल मार्क्स ने यह कहने की पृष्टता की कि मि. ग्लेस्टन ने १७ अप्रैल १९६३ के 'The Times" में प्रकाशित अपने भाषण की रिपोर्ट पर उसके *Hansard" में प्रकाशित होने के पहले हार की सफ़ाई का प्रयोग किया था और एक ऐसे अंश को उससे गायब कर दिया था, इंगलैग के एक वित्त मंत्री के लिये सचमुच बोलों की बात पी। न्तानो ने 'The Times" तवा *Hansard" में प्रकाशित रिपोर्टों के पाठ का सूक्मता से मिलान करके यह साबित किया कि इन रिपोर्टों में यह समानता है कि उपर्युक्त खरण को चालाकी के साथ संवर्म से अलग करके मि. ग्लेडस्टन के वादों को बो पर्व पहना दिये गये थे, उनकी इन दोनों ही रिपोर्टों में कोई गाया नहीं है। तब मार्स ने "समय के प्रभाव का बहाना बना करके बहस जारी रखने से इनकार कर दिया।" सो इस पूरे मामले की तह में यह बात पी! और “Concordta" के परिये चलाया गया हेर अन्तानो का बह गुमनाम पान्दोलन फैमिन की उत्पादक सहकारी कल्पना में इस शानदार म में प्रतिविम्बित हुमा पा। जर्मन उद्योगपतियों के संघ के इस सन्त मान ने इस प्रकार तलवार हाथ में लेकर पाताल लोक के उस अजगर मार्स का सामना किया था, उससे मोहा लिया था और इस उस्तारी के साथ उसपर बाबा बोला था कि उन्हें बारबार पैंतरा बदलना पड़ा था और उसकी जान पर बन पापी और उसने बहुत बल हेर अन्तानो के चरणों में गिरकर बम तोड़ दिया। लेकिन परियोस्तो कवि बारा प्रस्तुत किये गये रण-भूमि के दृश्य से मिलता-जुलता यह चित्र केवल हमारे सन्त पार्न की पैतरेवाची पर पर्वा गलने का ही काम करता है। यहां 'मूठमूठ गढ़कर बोड़ दिये गये वाक्य" की या "मानसाची" की कोई पर्चा नहीं है, बल्कि अब तो "उखरगों को पालाकी के साथ संवर्म से अलग कर देने" का.विक हो रहा है। सवाल का पूरा स्वल्प ही बाल दिया गया है, और सन्त मार्च तथा उनके कैम्निमवासी अनुचर को अच्छी तरह मालूम था कि ऐसा क्यों किया गया है। एलियोनोर मास में इसका मासिक पत्रिका "To-Day' (फरवरी १८८४) में जवाब दिया, क्योंकि 'The Times" ने उनका पत्र बापने से इनकार कर दिया था। उन्होंने एक बार फिर बहस को इस एक सवाल पर केमित कर दिया किया मार्स ने उस बापय को "सूमूठ गढ़कर बोड़ दिया था? इस सवाल का नि• सेउली देनर ने यह बवाव दिया कि उनकी राय में "यह प्रश्न कि मि. ग्लेक्स्टन के भाषण में यह वाक्य सचमुच इस्तेमाल हमा पा या नहीं," अन्तानो मार्स विवाद में "इस सवाल की अपेक्षा बहुत ही गौण महत्व रखता है कि विवावग्रस्त अंश मि. ग्लेक्स्टन के शब्दों का सही पर्व पाक को बताने के द्देश्य से उब्त किया गया था या उसे तोड़-मरोड़कर पेश करने के उद्देश्य से।" इसके बाद मि.. सेटली टेलर ने यह स्वीकार किया कि 'The Times" की रिपोर्ट में "एक शाबिक प्रसंगति" है। लेकिन परि संवर्म की सही तौर पर माल्या जाये, अर्थात् यदि उसकी ग्लेक्स्टनवादी उदारपंची पर्व में व्याल्या की बाये, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मि मोस्टन या कहना चाहते २ (TO-Day", मार्च १८६४)। यहां सबसे ज्यादा मजाक की बात यह है कि हमारे निवासी बोने का इसरार अब यह नहीं है कि भाषण "Hansard" से दत किया नावे, पैसा कि गुमनाम बेन्तानो के कवनानुसार "पान रिपाब" है, बल्कि & . . .