पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५३५

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पूंजीवादी उत्पादन - को पूरा कर सके। फिर भी इन हस्तनिर्माणों ने बिखरी हुई वस्तकारियों और घरेलू उद्योगों को एक व्यापक प्रापार के रूप में जीवित रहने दिया था। बम की इन शालाओं में यदि बहुत अधिक प्रतिरिक्त मूल्य का उत्पादन होता था और उनकी तैयार की हुई वस्तुएं यदि अधिकाधिक सस्ती होती जाती थी, तो इसके मुख्य कारण पहले भी यही बे और भाव भी यही है कि मजदूरों को कम से कम मजदूरी दी जाती है, बो अत्यन्त हीनावस्था में केवल सिन्दा रहने भर के लिये ही काफी होती है, और काम के समय को मानव-शारीर के सहन की प्रातिरी हद तक बढ़ा दिया जाता है। यदि ममियों का लगातार विस्तार हो रहा वा और भाव भी रोजाना हो रहा है, तो, असल में, उसकी वजह यह है कि इनसान का पसीना मोर खून बहुत सस्ता है और उनको प्रासानी से माल में बदल दिया जाता है। गलेश की प्रोपनिवेशिक मग्रियों के विस्तार के सम्बन्ध तो यह बात खास तौर पर लागू होती है। इन मनियों में इंगलैड के बने माल के अलावा अंग्रेजी कवि तथा अंग्रेजी पावतों का भी बोलबाला है। और पाखिर कान्तिक विन्दुमा ही गया। एक ऐसी अवस्था मा पहुंची, अब पुरानी प्रणाली का प्रापार, पानी मजदूरों का शोषण करने में सरासर बेरहमी दिलाना और उसके साथ-साथ न्यूनाधिक रूप में एक सुनियोजित भम-विभाजन का इस्तेमाल करना-ये दोनों बातें फैलती हुई मणियों के लिये और उनसे भी ज्या तेजी के साथ बढ़ती हुई पूंजीपतियों की प्रतियोगिता के लिये नाकाफी साबित होने लगी। मशीनों के भागमन की बड़ी मा पहुंची। जिस मशीन ने निर्णायक स में कान्ति पैदा की पौर जिसने उत्पादन के इस क्षेत्र की सभी शाकामों को-पोशाक बनाने, पर्तीगीरी, जूते बनाने, सीने, टोप बनाने और अन्य बहुत सी शासानों को-समान मात्रा में प्रभावित किया, वह पी सीने की मशीन । सीने की मशीन का मजदूरों पर उसी प्रकार का तात्कालिक प्रभाव होता है, जिस प्रकार का प्रभाव उन तमाम मशीनों का हमा है, जिन्होंने .माधुनिक उद्योग के जन्म के बाद से व्यवसाय की नयी शाखामों पर अधिकार किया है। बहुत ही कम उन बच्चों को जवाब दे दिया जाता है। अपने घरों पर बैठकर काम करने वाले मजदूरों के मुकाबले में, जिनमें से बहुत से तो हर से ज्यादा गरीब ("the poorest of the poor") होते हैं, मशीन से काम करने वाले मजदूरों की मजबूरी बढ़ जाती है। जिन बस्तकारों की हालत पहले अपेक्षाकृत अच्छी थी और जिनसे प्रब मशीन प्रतियोगिता करने लगती है, उनकी मजबूरी गिर जाती है। मशीनों से काम करने वाले नये मजदूरों में केवल लड़कियां और कम उम्र की प्रारतें होती है। अपेक्षाकृत भारी काम पर पुरुषों का पहने जो इनारा कायम पा, उसे ये मरिने यांत्रिक शक्ति की मदद से खतम कर देती है, और साथ ही अपेक्षाकृत हल्के काम से बहुत सी बूढ़ी औरतों और बहुत कम उम्र के बच्चों को हटा देती हैं। हाप से काम करने वाले मरों में जो सबसे ज्यादा कमचोर होते हैं, इस पर्दस्त प्रतियोगिता में कुचल दिये जाते हैं। पिछले बस पयों में नन्दन में के कारण प्रान देने वालों की संख्या की भयानक वृद्धि मशीन की सिलाई के प्रसार . जांच-कमीशन के मि. व्हाइट नामक सदस्य फ़ोषी कपड़े तैयार करने वाली एक हस्तनिर्माणशाला को देखने गये थे, जिसमें १,००० से १,२०० तक व्यक्ति काम करते थे। इनमें लगभग सभी स्त्रियां थीं। इसके अलावा, मि० व्हाइट जूते बनाने वाली एक हस्तनिर्माणशाला भी देखने गये थे, जिसमें १,३०० व्यक्ति काम करते थे। इनमें लगभग पाधी संख्या बच्चों पौर मड़के सड़कियों की पी।