मशीनें और माधुनिक उद्योग ५३१ . . Commission (बाल-सेवायोजन प्रायोग) ने उद्योगों का जो वर्गीकरण किया है, उसके अनुसार इस उद्योग में ये लोग शामिल हैं: सूजी घास के टोप बनाने वाले, पौरतों के टोप बनाने वाले, टोपियां बनाने वाले, बों, milliners (बनानी टोपियां बनाने वाले), dressmakers (बनाने कपड़े सीने वाले), कमी सोने वाले, कोर्सेट सीने वाले, बस्ताने बनाने वाले और जूते बनाने वाले। इनके अलावा बहुत सी गौण शालाएं-जैसे नेक-टाई बनाना, कालर बनाना इत्यादि-भी इसी उद्योग में शामिल हैं। इंगलड पोर बेल्स में इन उद्योगों में काम करने वाली औरतों और लड़कियों की संख्या १८६१ में ५,८६,२६९ बी, जिनमें से कम से कम १,१५,२४२ की उन्न २० वर्ष से कम पी और १६,६५० की उन्न १५ वर्ष से कम थी। १८६१ में पूरे संयुक्तांगल राज्य में इन मजबूरिनों की संख्या ७,५०,३३४ थी। टोप बनाने , जूते बनाने, बस्ताने बनाने और बों का काम करने वाले पुरुषों की संख्या इंगलैग और बेल्स में ४,३७,९६९ पी। इनमें से १४,९६४ की प्रायु १५ वर्ष से कम, ८६,२८५ की मायु १५ पौर २० वर्ष के बीच और ३,३३,११७ की माय २० वर्ष से ऊपर थी। बहुत सी छोटी-छोटी शालाएं इन संस्थानों में शामिल नहीं है। लेकिन इन संस्थानों को इसी रूप में लीजिये। तब १८६१ को जन-गणना के अनुसार केवल इंगलैग और वेल्स में उन लोगों की संख्या कुल मिलाकर १०,२४,२७७ पर पहुंच जाती है। लगभग इतने ही व्यक्ति खेती और पशु-पालन में लगे हुए हैं। अब हमारी समझ में यह बात मानी शुरू होती है कि मशीनों के जादू से को बेशुमार सामान तैयार होता है और ये मशीनें मजदूरों की जिस विशाल संख्या को हर तरह के रोजगार से मुक्त कर देती हैं, उनका पाखिर क्या होता है। “Wearing apparel (पहनने की पोशाकों) का उत्पादन कुछ हद तक तो उन हस्तनिर्माणशालाओं में होता है, जिनके काम के कमरों में केवल उस श्रम-विभाजन का पुनरुत्पादन कर दिया जाता है, जिसके membra disjecta (अलग-अलग अंग और अवयव) पहले से तैयार मिल गये थे। कुछ हद तक वह छोटे-छोटे उस्ताद कारीगरों के द्वारा सम्पन्न होता है। लेकिन ये लोग अब पहले की तरह सीधे उपभोगियों के लिये नहीं, बल्कि हस्तनिर्माणशालाओं और गोदामों के लिये काम करते हैं। और यह बात इस हद तक बढ़ जाती है कि पूरे के पूरे शहर और बेहाती इलाके कुछ खास शालानों के उत्पादन में व्यस्त हो जाते हैं। - मसलन जूते बनाना,-और यह उनका खास धंधा बन जाता है। और, अन्त में तथाकषित घरेलू मजदूर बहुत बड़े पैमाने पर इस प्रकार का उत्पादन करते हैं। इन लोगों की हैसियत हस्तनिर्माणशालाओं, गोदामों और यहां तक कि अपेक्षाकृत छोटे मालिकों के कारखानों के बाहरी विभाग की होती है।' कच्चे माल प्रादि की पूर्ति यांत्रिक उद्योग करता है। सस्ते मजदूरों की विशाल संख्या ("taillable à merci et miséricordes (at foretan mit ut at farafic करते हैं]) में व्यक्ति होते हैं, जिनको यांत्रिक उद्योग तथा उन्नत खेती ने "मुक्त' कर दिया है। इस भेगी की हस्तनिर्माणशालामों के जन्म का मुख्य कारण पूंजीपतियों की यह पावश्यकता थी कि उनके पास एक ऐसी सेना पहले से तैयार हो, जो मांग की प्रत्येक वृद्धि . . 1 इंगलैण्ड में millinery और dressmaking (जनानी टोपियां और जनाने कपड़े बनाने) का काम प्रायः मालिक के मकान के अन्दर होता है। कुछ हद तक तो उसी मकान में रहने वाली मजदूरिनें और कुछ हद तक कहीं और रहने वाली कामगारिनें यह काम करती हैं। 340
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