मशीनें और माधुनिक उद्योग ५४५ पिटरी-कानून की शिक्षा सम्बंधी पाराएं कुल मिलाकर भले ही तुच्छ प्रतीत होती हों, पर उनसे यह अवश्य प्रकट हो जाता है कि प्राथमिक शिक्षा बच्चों को नौकर रखने की एक नितान्त आवश्यक शर्त बना दी गयी है। इन पारामों की सफलता से पहली बार यह प्रमाणित हुमा कि हाप के श्रम के साथ शिक्षा और व्यायाम' को जोड़ना सम्भव है और इसलिये शिक्षा और व्यायाम के साथ हाप का भम भी जोड़ा जा सकता है। स्कूल-मास्टरों से पूछताछ करने पर फेक्टरी-स्पेक्टरों को शीघ्र ही यह मालूम हो गया कि यचपि फैक्टरी में काम करने वाले बच्चों को नियमित रूप से स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्षियों की केवल भाषी शिक्षा ही मिलती है, तथापि ये उन विद्यार्थियों के बराबर और अक्सर उनसे भी अधिक सील जाते हैं। इसका कारण यह साधारण तन्य है कि केवल भाषे दिन स्कूल में बैठने के कारण ये बच्चे हमेशा ताजा रहते हैं और शिक्षा प्राप्त करने के लिये वे लगभग सदैव ही तैयार तथा राजी होते हैं। वे जिस व्यवस्था के अनुसार काम करते हैं,-पानी भाषे बिन हाय का श्रम करना और माघे दिन स्कूल में पढ़ना,- उससे श्रम और पढ़ाई दोनों एक दूसरे के सम्बंध में विमाम और राहत का रूप धारण कर लेते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि दोनों काम बच्चे के लिये अधिक सुलकर बन जाते हैं। यदि बच्चे से लगातार मम या पढ़ाई करायी जाती, तो ऐसा न होता। यह बात बिल्कुल साफ है कि जो लड़का (खास तौर पर गरमियों के मौसम में) सुबह से स्कूल में पढ़ रहा है, वह उस लड़के का मुकाबला नहीं कर सकता, जो अपने काम से तामा और उल्लासपूर्ण दिमाग लिये हुए लौटता है। इस विषय में और जानकारी सीनियर के उस . 1 इंगलैण्ड के फैक्टरी-कानून के मुताबिक़ मां-बाप १४ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को उन फैक्टरियों में, जिनपर फ़ैक्टरी कानून लागू है, उस वक्त तक काम करने के लिये नहीं भेज सकते जब तक कि उसके साथ-साथ वे उनको प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं दे देते। कानून की धारामों का पालन करने की जिम्मेदारी कारखानेदार पर होती है। "फैक्टरी में दी जाने वाली शिक्षा अनिवार्य है, और वह श्रम की एक पावश्यक शर्त है।" ("Rep. Insp. Fact. 31 st Oct., 1865" ["फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १९६५'!, पृ० १११) 'फैक्टरी में काम करने वाले बच्चों और मुहताज विद्यार्थियों की अनिवार्य शिक्षा के साथ-साथ व्यायाम (और लड़कों के लिये कवायद) का प्रबंध करने के जो अत्यन्त हितकारी परिणाम हुए हैं, उनकी जानकारी पाने के लिये एन० डब्लयू० सीनियर का वह भाषण देखिये , जो उन्होंने "The National Association for the Promotion of Social Science” ('#ramfora fanart की उन्नति के लिये बनायी गयी राष्ट्रीय संस्था') की सातवीं वार्षिक कांग्रेस के सामने दिया था। यह भाषण "Report of Proceedings, &c." ('कार्यवाही, मादि, की रिपोर्ट'), London, 1863, में प्रकाशित हुमा है। देखिये पृ० ६३, ६४ । “Rep. Insp. Fact., 31st Oct., 1865" ('फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १९६५'), पृ० ११८, ११९, १२०, १२६ और उसके मागे के पृष्ठ भी देखिये। • "Rep. Insp. Fact. 31st Oct., 1865" ('फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६५'), पृ० ११८। रेशम के कारड़ाने के एक मालिक ने Children's Employment Commission (बाल-सेवायोजन पायोग) के सदस्यों को बड़े.भोलेपन के साथ बताया था कि "मुझे पूर्ण विश्वास है कि सुदम मजदूर तैयार करने का असली गुर यह है कि बचपन से ही 35-45
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