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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५५४

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ५५१ - है, उनके द्वारा वह सबसे यह मनवा लेता है कि काम में बराबर परिवर्तन होते रहना और इसलिये मखदूर में विविध प्रकार के काम करने की योग्यता का होना तथा इस कारण उसकी विभिन्न प्रकार की क्षमतामों का अधिक से अधिक विकास होना उत्पादन का एक मौलिक नियम है। उत्पादन की प्रणाली को इस नियम के सामान्य कार्य के अनुकूल बनाने का सवाल समाज को बिन्दगी और मौत का सवाल बन जाता है। वस्तुतः प्राधुनिक उद्योग समाज को मौत की धमकी देकर इसके लिये मजबूर करता है कि पाजकल के तफसीली काम करने वाले मजदूर को, बो बीवन भर एक ही, बहुत तुच्छ क्रिया को दुहरा-हराकर पंगु हो गया है और इस प्रकार इनसान का एक अंश भर रह गया है, एक पूर्णतया विकसित ऐसे व्यक्ति में बदल दे, जो अनेक प्रकार का श्रम करने की योग्यता रखता हो, जो उत्पादन में होने वाले किसी भी परिवर्तन के लिये तैयार हो और जिसके लिये उसके द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले विभिन्न सामाजिक कार्य केवल अपनी प्राकृतिक एवं उपार्जित क्षमतामों को स्वतंत्रतापूर्वक व्यवहार में लाने की प्रणालियां भर हों। इस क्रान्ति को पैदा करने के लिये एक कदम पहले ही से स्वयंस्फूर्त ढंग से उठाया जा चुका है। वह है प्राविधिक एवं कृषि स्कूलों और “écoles denselgnement professionnel" (व्यावसायिक स्कूलों ) की स्थापना, जिनमें मजदूरों के बच्चों को प्रौद्योगिकी की, और श्रम के विभिन्न प्राचारों का व्यावहारिक उपयोग करने की पोड़ी-बहुत शिक्षा मिल जाती है। फैक्टरी- कानून के रूप में पूंजी से वो पहली और बहुत तुच्छ रियायत छीनी गयी है, उसमें फैक्टरी के काम के साथ-साथ केवल प्राथमिक शिक्षा देने की ही बात है। परन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं किया जा सकता कि जब मजदूर-वर्ग सत्ता पर अधिकार कर लेगा, जो कि अनिवार्य है, तब संडान्तिक और व्यावहारिक बोनों डंग की प्राविधिक शिक्षा मजदूरों के स्कूलों में अपना उचित स्थान प्राप्त करेगी। इसमें भी कोई सन्देह नहीं है कि इस तरह की क्रान्तिकारी उपल-पुषल, जिसके अन्तिम परिणाम के रूप में पुराना श्रम-विभाजन खतम हो जायेंगा, उत्पादन के पूंजीवादी रूप के और इस रूप में मजदूर की जो प्रार्षिक हैसियत है, उसके बिल्कुल खिलाफ पड़ती है। परन्तु उत्पादन के किसी भी निश्चित रूप में निहित विरोषों का ऐतिहासिक विकास ही एकमात्र ऐसा तरीका है, जिसके परिये उत्पादन का वह रूप मिट सकता है और एक नया रूप स्थापित हो सकता है। "Ne sutor ultra crepldam" ("मोची को अपने कलबूत से ही चिपके रहना चाहिये")-बस्तकारी सम्बन्धी बुडि का यह nec plus ultra (चमत्कारपूर्ण सूत्र) उसी मण से सरासर बकवास बन गया है, जब से घड़ीसान वाट्ट ने भाप के इंजन का, नाई मार्कराइट ने पोसल का पौर सुनार फुल्टन ने भाप से चलने वाले बहार का प्राविष्कार किया है।' . उसे छोड़कर शहर में चला पाया, जहां मैने बारी-बारी से छपाई, छत डालने और नलों की मरम्मत करने मादि का काम किया। इस प्रकार मुझे मालूम हुमा कि मैं किसी भी तरह का काम कर सकता हूं, और इसके फलस्वरूप अब मैं अपने को घोंघा कम और इनसान फ्यावा महसूस करता हूं।" (A. Corbon, "De Penseignement professionnel", दूसरा संस्करण, पृ. ५०) जान बैलेर्स ने, जो पर्षशास्त्र के इतिहास में एक पाश्चर्यजनक घटना के रूप में प्रकट हुए थे, १७ वीं शताब्दी के अन्त में यह बात सबसे अधिक सष्टता के साथ समझी थी कि