५६२ पूंजीवादी उत्पादन - . "" । 11 नहरों और माल गाड़ियों तक ले जाने, छांटने प्रादि का काम लिया जाता है। पिछले तीन या चार वर्षों में उनकी संख्या में बड़ी वृद्धि हो गयी है। (नं० १७२७।) ये स्त्रियां प्रायः सानों में काम करने वाले मजदूरों की पत्नियां, पुत्रियां और विषवाएं होती हैं, और उनकी पायु १२ वर्ष से लेकर ५० या ६० वर्ष तक होती है। (नं० ६४५, १७७६ ।) "स्त्रियों से काम लेने के विषय में खान-मजदूरों की क्या भावना है ? " "मैं समझता हूं, वे प्राम तौर पर इसे बुरा समझते हैं।" (नं० ६४८1) "प्रापको इस में क्या एतराज है?" "मैं समझता हूं, यह चीन नारी जाति के लिये अपमानजनक है।" (नं० ६४९) "उनकी पोशाक भी अजीब होती है न?" "जी हां,.. उसे माँ की पोशाक कहना ज्यादा सही होगा, और मेरे बयाल में इस पोशाक से कम से कम कुछ स्त्रियों में तो हया-शर्म बाकी नहीं रहती। क्या स्त्रियां तम्बाकू भी पीती हैं? " "जी हां, कुछ स्त्रियां पीती हैं।" "और मैं समझता हूं, यह बहुत गन्दा काम है? 'बहुत गंदा।" "वे स्याह हो जाती होंगी?" "जी हां, जमीन के नीचे सान में काम करने वालों के समान स्याह ये हो जाती है... मैं समझता हूं, बच्चों वाली औरतें (और यहां काम करने वाली बहुत सारी औरतों के पास बच्चे हैं) अपने बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर पातीं।" (नं० ६५०-६५४,७०११) "क्या प्रापके खयाल में इन विषवामों को इतनी ही मजदूरी ( शिलिंग से १० शिलिंग प्रति सप्ताह तक) देने वाली नौकरी कहीं और मिल सकती है?" 'इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।" (नं० ७०६।) "और फिर भी पाप चाहेंगे" (प्रो संगविल इनसान!) "कि वे यहां काम करके अपनी जीविका न कमाया करें?" "जी हां, मैं यही चाहूंगा।" (नं० ७१०।) "स्त्रियों को नौकर रखने के बारे में... सिस्ट्रिक्ट में माम भावना क्या है?" भावना यह है कि यह काम स्त्रियों के लिये अपमानजनक है, और खान- मजदूरों के रूप में हम स्त्रियों को सानों के किनारे काम करते हुए देखना नहीं चाहते, नारी- जाति का कुछ अधिक प्रावर करना चाहते हैं...काम का कुछ भाग तो बहुत ही कठिन होता है। इनमें से कुछ लड़कियों ने एक-एक दिन में १०-१० टन बोम उठाया है।" (नं० १७१५, १७१७१) "क्या प्रापके विचार में फ्रक्टरियों में काम करने वाली स्त्रियों की तुलना में खानों के पास-पास काम करने वाली स्त्रियां नैतिकता की दृष्टि से ज्यादा खराब होती है?" फैक्टरियों में काम करने वाली लड़कियों की अपेक्षा... यहां बुरी लड़कियों का अनुपात कुछ अधिक हो सकता है।" (नं. १७३२) "लेकिन माप फैक्टरियों में पायी जाने वाली मैतिकता के स्तर से भी संतुष्ट तो नहीं है?" "नहीं।" (नं० १७३३१) तब क्या प्राप कैपटरियों में भी स्त्रियों को नौकर रखने की मनाही कर देंगे?" "नहीं, मैं उसकी मनाही नहीं करूंगा।" (नं० १७३४). "क्यों नहीं ? " "मैं समझता हूं, मिलों में काम करना उनके लिये अधिक सम्मान की बात है।" (नं० १७३५१) "फिर भी, पापके विचार में, उनकी नैतिकता को तो धक्का लगता ही है?" " उतना नहीं, जितनासानों के किनारे काम करने पर लेकिन मेरा मत सामाजिक पक्ष पर अधिक प्राधारित है, मैं केवल नैतिकता के प्राधार पर बात नहीं कर रहा हूं। सामाजिक दृष्टि से लड़कियों का जो पतन होता है, वह बहुत ही लज्जा- जनक है। जब ये ४०० या ५०० लड़कियां कोपला-मजदूरों की पत्नियां बन जाती है, तब इस पतन के कारण पुरुषों को बहुत कुल उठाना पड़ता है, और ये घर छोड़कर चले जाते हैं और शराब पीने लगते हैं।" (नं० १७३६१) "पर जब पाप कोयला-सानों में स्त्रियों को नौकर रखने की मनाही कर देंगे, तब तो पापको लोहे का काम करने वाले कारखानों में भी इसकी मनाही कर देनी होगी?" "मैं किसी पार पंचे के बारे में कुछ नहीं कह सकता।" (नं० १७३७।) " 1 .
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