मशीनें और आधुनिक उद्योग ५६३ 16 " 11 क्या लोहे के कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों की स्थिति में और सानों में जमीन की सतह के ऊपर काम करने वाली स्त्रियों की स्थिति में आपको कोई अन्तर दिखाई देता है? "मैंने ऐसी कोई जांच नहीं की।" (नं. १७४०।) "क्या माप कोई ऐसी बात देखते हैं, जिससे एक श्रेणी और दूसरी श्रेणी में फ़र्क पैदा हो जाता हो?" 'मैंने ऐसी कोई बात जांची नहीं, लेकिन अपने रिस्ट्रिक्ट में मैं घर-घर घूमा हूं और यह जानता हूं कि वहां हालत बहुत ही शोचनीय है ..." (नं० १७४११) "क्या पाप हर ऐसी जगह पर स्त्रियों को नौकर रखने की मनाही करना चाहेंगे, जहां उससे उनका पतन होता हो?" "मैं समझता हूं, उससे इस तरह हानि होगी कि अंग्रेजों में जो सर्वोत्तम भावनाएं पायी जाती है, वे उनको माता की शिक्षा से प्राप्त हुई हैं..." (नं० १७५०1) "यह बात तो कृषि-कार्यों पर भी उतनी ही लागू होती है न?" "जी हां, पर वह केवल दो मौसमों की नौकरी होती है, और यहां पर हमें चारों मौसमों में काम करना पड़ता है।" (नं० १७५११) "वे अक्सर दिन-रात काम करती हैं और एकदम भीग जाती हैं। उनकी बेह खोखली और स्वास्थ्य चौपट हो जाता है। 'इस मामले की मापने शायद कोई खास जांच-पड़ताल नहीं की है?" ". राह चलते जो कुछ भी मेरी मांखों के सामने से गुजरा है, उसे मैंने अवश्य देखा है, और निश्चय ही मैंने कहीं भी कोई ऐसी चीन नहीं देखी है, जो खानों के किनारे काम करने वाली औरतों की हालत को बराबरी कर सके... यह तो मर्दो का काम है ... खूब मजबूत मदों का।" (नं० १७५३, १७९३, १७६४।) "तो इस पूरे सवाल पर पाप का यह विचार है कि कोयला-मजदूरों का श्रेष्ठ भाग अपने को कुछ ऊपर उठाना और इनसान बनना चाहता है, लेकिन इस चीज में उसे स्त्रियों से कोई मदद नहीं मिलती और उल्टे वे उसको नीचे की ओर खींचती हैं ? जी हां।" (नं० १८०८।) इन पूंजीपतियों के कुछ और छलपूर्ण सवालों के बाद आखिर यह बात खुल गयी कि विधवाओं, गरीब परिवारों आदि के प्रति उनकी " 'सहानुभूति" का क्या रहस्य है। "खान का मालिक कुछ महानुभावों को काम की देखभाल करने के लिये नियुक्त कर देता है, और मालिक की नखरों में ऊपर उठने के लिये इन लोगों को यह नीति होती है कि अधिक से अधिक मितव्ययिता करके दिखायें, और जहां मर्द को २ शिलिंग ६ पेंस रोजाना की मखदूरी देनी पड़ेगी, वहां इन लड़कियों को १ शिलिंग से १ शिलिंग ६ पेंस तक देने से ही काम चल जाता है।" (नं० १८१६१) ४) मौत के सबब की जांच करने वाली अदालत की कार्रवाई - "कोई दुर्घटना हो जाने पर पापके रिस्ट्रिक्ट में मौत का सबब जांचने वाली अदालत में तफतीश की कार्रवाई जिस तरह होती है, क्या मजदूर उसपर विश्वास करते हैं ? ""नहीं, मजदूर उसपर विश्वास नहीं करते। (नं० ३६०।) "क्यों नहीं करते?" " 'मुख्यतया इसलिये कि इस अदालत के लिये प्राम तौर पर जो लोग चुने जाते हैं, उनको खानों के बारे में और इस तरह की अन्य चीजों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होती।" "क्या मजदूरों को कभी जूरी का काम करने के लिये नहीं बुलाया जाता? 'जहां तक मुझे जानकारी है, गवाहों के अतिरिक्त वे और किसी हैसियत में कभी नहीं बुलाये जाते।" "जूरी का काम करने के लिए ग्राम तौर पर कौन लोग बुलाये जाते हैं ? " "माम तौर पर मास-पड़ोस के व्यापारी... जो अपनी स्थिति के कारण कभी-कभी उन लोगों के प्रभाव में पा जाते हैं, जिनके लिये ये काम करते हैं. यानी उनपर कारखानों के मालिकों का असर पड़ जाता है। ये माम तौर पर ऐसे लोग होते हैं, जिनको कोई जानकारी नहीं होती; और उनके सामने जो गवाह पेश होते हैं, वे उनकी बातों को या उनकी शब्दावली मावि को नहीं समझ पाते।" "या पाप ऐसे व्यक्तियों का जूरी में होना पसन्द करेंगे, जो . 36.
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