पूंजीवादी उत्पादन . - काम का दिन कि परिमान में स्थिर है और उसका प्रतिनिधित्व स्थिर मात्राका एक मूल्य करता है, चूंकि अतिरिक्त मूल्य के परिमाण में होने वाले प्रत्येक परिवर्तन के साथ मम-शक्ति के मूल्य में उल्टी दिशा में परिवर्तन हो जाता है, और चूंकि अम-शक्ति के मूल्य में केवल मम की उत्पादकता में परिवर्तन पाने के फलस्वरूप ही कोई तबदीली हो सकती है, अन्यथा नहीं, इसलिये इन सब बातों से साफ़-साफ़ यह निष्कर्ष निकलता है कि ऐसी हालत में अतिरिक्त मूल्य के परिमाण में होने वाला प्रत्येक परिवर्तन भम-शक्ति के मूल्य के परिमाण में होने वाले उल्टी विशा के परिवर्तन से उत्पन्न होता है। तब, जैसा कि हम पहले ही देख पुके हैं, यदि अम-शक्ति के मूल्य में और अतिरिक्त मूल्य में निरपेन परिमाण का कोई परिवर्तन उस वक्त तक नहीं हो सकता, जब तक कि उसके साथ-साथ उनके सापेक्ष परिमाणों में भी परिवर्तन नहीं हो जाता, तो इससे अब यह निष्कर्ष निकलता है कि उनके सापेक्ष परिमाणों में उस वक्त तक कोई परिवर्तन नहीं हो सकता, जब तक कि उसके पहले श्रम-शक्ति के निरपेक्ष परिमाण में तबदीली नहीं हो जाती। 1 . . तीसरे नियम के अनुसार, अतिरिक्त मूल्य के परिमाण में परिवर्तन होने के पहले यह परी है कि श्रम शक्ति के मूल्य में कुछ घटा-बड़ी हो, जो घटा-पढ़ी बम की उत्पादकता में तबदीली पाने के कारण होती है। अतिरिक्त मूल्य के परिमाण में परिवर्तन की सीमा प्रम-शक्ति का बदला हुमा मूल्य तय करता है। परन्तु, इसके बावजूब, उस समय भी, जब परिस्थितियां इस नियम को अमल में पाने की इजाजत देती हैं, कुछ गौण घटा-बढ़ी भी हो सकती है। मिसाल के लिये, यदि मम की उत्पादकता के बढ़ जाने के फलस्वरूप मम-शक्ति का मूल्य ४ शिलिंग से गिरकर ३ शिलिंगहो जाता है, या पावश्यक मम-काल ८ घण्टे से घटकर ६ घन्टे रह जाता है, तो सम्भव है कि भम-शक्ति का नाम ३ शिलिंग ५ पैस, ३ शिलिंग ६ पेन्स या ३ शिलिंग २ पेन्स के नीचे न गिरे और चुनाचे अतिरिक्त मूल्य ३ शिलिंग ४ पेन्स, ३शिलिंग ६ पेन्स या ३ शिलिंग १० पेन्स के ऊपर न बढ़ पाये। यह गिराव, जिसकी निम्नतम सीमा ३ शिलिंग (मम- शाक्ति का नया मूल्य) है, असल में कितना होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि एक तरफ पूंजी के बवाब और दूसरी तरफ मजबूर के प्रतिरोध में किसका पलड़ा भारी रहता है। मम-शाक्ति का मूल्य जीवन के लिये पावश्यक वस्तुओं की एक निश्चित मात्रा के मूल्य से निर्धारित होता है। मम की उत्पारकता के साथ इन बस्तुमों का परिमाण नहीं, बल्कि उनका मूल्य बदलता है। लेकिन यह मुमकिन है कि उत्पादकता में वृद्धि हो पाने के कारण मन-शक्ति के पाम या अतिरिक्त मूल्य में कोई परिवर्तन हुए बिना ही मजदूर और पूंचीपति दोनों साक- साब बीवन के लिये मावश्यक वस्तुओं की पहले से अधिक मात्रा को हस्तगत करने में सफल हो पायें। यदि भम-शक्ति का मूल्य ३ शिलिंग हो और मावश्यक बम-काल ६ घण्टे का हो और . बदलता है, जिसके अनुसार इस अतिरिक्त मूल्य का पूंजीपति पोर अन्य व्यक्तियों के बीच बंटवारा होता है । फलतः इससे अतिरिक्त मूल्य पौर श्रम-शक्ति के मूल्य के सम्बन्ध में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता। इसलिए मैक्कुलक ने जो अपवाद बताया है, उससे केवल मही प्रमाणित होता है कि उन्होंने नियम को गलत समझा है। रिकारों को पति-सरल रूप में पेश करने की कोचिंग में मैक्कुलक पर अक्सर यह मुसीबत नापिन होती है ठीक इसी प्रकार ऐडम स्मिथ को पति-सरल रूप में पेश करने की कोशिश में जे. बी.से अक्सर ऐडम स्मिथ के सिवान्तों का मत मतलब लगा बैठते है।
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