पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५९१

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५८५ पूंजीवादी उत्पादन म तब अतिरिक्त मूल्य की पर अस्थि १००पाण्ड १०.पाण्ड =१०० प्रतिशत। लेकिन मुनाने की पर भ १०.पाण्ड ५००पाण्ड २० प्रतिशत । इसके अतिरिक्त यह बात भी स्पष्ट है कि मुनाने की पर ऐसी बातों पर निर्भर कर सकती है, जिनका अतिरिक्त मूल्य की पर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। में तीसरी पुस्तक में स्पष्ट कलंगा कि अतिरिक्त मूल्य की एक पर निश्चित होते हुए भी मुनाने की अनेक बरें हो सकती है और कुछ खास परिस्थितियों में मुनाने की एक पर में अतिरिक्त मूल्य की विभिन्न बरें व्यक्त हो सकती हैं। २. काम का दिन स्थिर रहता है, श्रम की उत्पादकता स्थिर रहती है, श्रम की तीव्रता में परिवर्तन होता है . . मन की बढ़ी हुई तीव्रता का अर्थ यह होता है कि एक निश्चित समय में पहले से अधिक भन बर्ष हो जाता है। इसलिये, कम तीन मम का एक दिन जितनी पैदावार में निहित होता है, अधिक तीव श्रम का दिन उससे अधिक पैदावार में निहित होगा, बशर्ते कि काम के दिन की लम्बाई बही रहे। यह सच है कि अगर मन की उत्पादकता में वृद्धि हो जाये, तो भी एक निश्चित लम्बाई के काम के दिन में पहले से अधिक पैदावार तैयार होने लगती है। लेकिन इस सूरत में हर अलग-अलग पैदावार का मूल्य गिर जायेगा, क्योंकि अब उस में पहले से कम मन लगेगा। इसके विपरीत, पहली सूरत में, यह मूल्य ज्यों का त्यों रहता है, क्योंकि हर बस्तु में अब भी पहले जितना ही मम लगता है। यहां पैदावार की संख्या में तो वृद्धि हो जाती है, पर उसके साथ-साथ हर पैदावार के व्यक्तिगत दाम में कोई गिराव नहीं पाता। पैदावार की संस्था के साथ-साथ उनके नामों का बोड़ भी बढ़ता जाता है। लेकिन उत्पादकता के बढ़ने पर एक निश्चित मूल्य पैदावार को पहले से अधिक राशि पर फैल जाता है। इसलिये, काम के दिन की लम्बाई यदि स्थिर रहे, तो पहले से बढ़ी हुई तीव्रता का एक दिन का भम पहले से अधिक मूल्य में निहित होगा और यदि मुद्रा का मूल्य प्यों का त्यों रहता है, तो वह पहले से अधिक मुद्रा में निहित होगा। अब वो मूल्य पैदा होगा, वह पहले से कितना कम या कितना वादा होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अब मम की तीव्रता समान में पायी जाने वाली साधारण तीवता से कितनी कम या ज्यादा हो गयी है। इसलिये अब एक निश्चित सम्बाई का काम का दिन एक स्थिर मूल्य नहीं, बल्कि एक अस्थिर मूल्य पैदा करता है। साधारण सविता के १२ घण्टे के दिन में मान लीजिये, शिर्मिग का मूल्य पैदा होता है, लेकिन तीवता बढ़ जाने पर शिलिंग, ८ मिलिंग या उससे भी अधिक मूल्य पैदा हो सकता है। यह बात साफ है कि अगर एक दिन के मन से तैयार होने वाला मूल्य शिलिंग से बढ़कर शिलिंग हो जाता है, तो यह मूल्य जिन दो भागों में गा रहता है, यांनी मन-शक्ति का और अतिरिक्त मूल्य के दोनों सासाच पोर यां तो समान मात्रा में पासवान मात्रा में बढ़ा सकते हैं। हो सकता है कि दोनों एक.माय शिलिंग ले सकर ४.शिलिंग हो जायें। यहाँ भागमति के नाम में होने वाली पति का नापिनी तौर पर यह मतलब नहीं होता मन-मक्ति का नाम उसके मूल्य से पड़ गया है। इसके विपरीत बनने के वास