पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अठारहवां अध्याय अतिरिक्त मूल्य की दर के विभिन्न सूत्र भ . हम यह देख चुके हैं कि अतिरिक्त मूल्य की बर को निम्नलिखित सूत्रों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। अतिरिक्त मूल्य अतिरिक्त मूल्य अतिरिक्त श्रम 9) अस्थिर पूंजी (अस्थि/ श्रम-शक्ति का मूल्य मावश्यक श्रम इन सूत्रों में से पहले दो में उसी बीच को मूल्यों के अनुपात के रूप में व्यक्त किया गया है, जिसे तीसरे सूत्र में इन मूल्यों के उत्पादन में जितना समय लगा है, उसके अनुपात के रूप में प्रस्तुत किया गया है। एक दूसरे के लिये अनुपूरक का काम करने वाले ये तीनों सूत्र अत्यन्त निश्चित डंग के नपे-तुले सूत्र हैं। इसलिये हम यह पाते हैं कि प्रामाणिक अर्थशास्त्र में इन सूत्रों का सचेतन डंग से तो नहीं, किन्तु सार-रूप में प्रतिपादन किया गया है। वहां हमें इनसे व्युत्पन्न निम्नलिखित सूत्र मिलते हैं: अतिरिक्त श्रम_अतिरिक्त मूल्य_अतिरिक्त पैदावार २) काम का दिन पैदावार का मूल्य कुल पैदावार यहां एक ही अनुपात तीन तरह व्यक्त किया गया है अम-कालों के अनुपात की तरह ये अम-काल जिन मूल्यों में निहित हैं, उन मूल्यों के अनुपात की तरह और ये मूल्य जिन पैदावारों में निहित हैं, उन पैदावारों के अनुपात की तरह। जाहिर है, यहां यह मानकर पला पाता है कि "पैसवार का मूल्य" केवल वह मूल्य है, जो काम के दिन के दौरान में नया-नया पैदा हुमा है, और पैदावार के मूल्य के स्थिर भाग को इससे अलग रखा जाता है। इन (२के) तमाम सूत्रों में मम के शोषण की वास्तविक मात्रा, अथवा अतिरिक्त मूल्य की पर, अलत ढंग से व्यक्त की गयी है। मान लीजिये कि काम का दिन १२ घन्टे का है। तब पिछले बाहरणों में हम जितनी बातों को मानकर चले थे, उन सब को फिर मानकर चलते हुए श्रम के शोषण की वास्तविक मात्रा निम्नलिखित अनुपातों में व्यक्त होगी: ६ घण्टे का अतिरिक्त श्रम ३ शिलिंग का अतिरिक्त मूल्य ६ घण्टे का भावश्यक श्रम ३ शिलिंग की अस्थिर पूंजी लेकिन २ के वनों से बहुत भिन्न निष्कर्ष निकलता है: ६ घण्टे का अतिरिक्त श्रम ३ शिलिंग का अतिरिक्त मूल्य १२ घण्टे का काम का दिन ६ शिलिंग के बराबर उत्पादित मूल्य -१०० प्रतिशत

-५० प्रतिशत

380