पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/६९५

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पूंजीवादी उत्पादन संचय की जिन परिस्थितियों को हम अभी तक मानकर चल रहे मजदूरों के लिये सब से अधिक अनुकूल परिस्थितियां हैं। उनके रहते हुए मजदूरों का पूंजी के साथ प्रवीनता का बो सम्बंध होता है, वह सहनीय रूप, या, ईटेन के शब्दों में "सहज और उबार" रूप, चारण सिद्धान्त काँदोर्सेत प्रादि की सीख के जहर को मारने के लिये एक अचूक दवा का काम करता है, तो अंग्रेज अभिजात-तंत्र ने उसका मानव-विकास की समस्त आकांक्षामों को नष्ट कर देने वाली एक महान शक्ति के रूप में विजयोल्लास के साथ स्वागत किया। माल्थूस को अपनी सफलता पर बहुत पाश्चर्य हुआ, और वह झट से अपनी पुस्तक में सतही ढंग से एकत्रित की गयी सामग्री ढूंसने और नया मसाला भरने में जुट गये, जिसको उन्होंने खोजकर नहीं निकाला था, बल्कि दूसरों की पुस्तकों से उठा लिया था। इसके अलावा यह बात भी याद रखनी चाहिये कि यद्यपि माल्यूस इंगलैण्ड के राजकीय चर्च के पादरी थे, फिर भी उन्होंने ब्रह्मचारी का जीवन बिताने की प्रतिज्ञा कर रखी थी: कैमिाज के प्रोटेस्टेंट विश्वविद्यालय का फेलो होने के लिये यह एक जरूरी शर्त थी। "Socios collegiorum maritos esse non permittimus, sed statim postquam quis uxorem duxerit, socius collegii desinat esse" ["हम अपने कालिजों में विवाहित लोगों को फैलो नहीं होने देते। कोई फैलो विवाह कर लेता है, तो वह फेलो नहीं रहता"]("Reports of Cambridge University Commission" ["कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पायोग की रिपोर्ट '], पृ. १७२)। इस बात में माल्यूस अन्य प्रोटेस्टेंट पादरियों से श्रेष्ठ हैं, जिन्होंने पादरियों के ब्रह्मचारी रहने के नियम को ताक पर उठाकर रख दिया है और बाइबिल की सीब के अनुसार यही अपना विशिष्ट कर्तव्य समझा है कि "उपजाऊ बनो और नस्ल को बढ़ामो"। और जो इस उत्साह के साथ इस कर्तव्य का पालन कर रहे है कि जन-संख्या की वृद्धि में उनकी देन अशोभनीय सीमा तक पहुंच गयी है। और इसके साथ-साथ वे मजदूरों को जन- संख्या के सिद्धान्त" के उपदेश सुनाते रहते हैं। यह बात काफ़ी अर्थ रखती है कि मनुष्य का पार्षिक पतन, प्रादिपुरुष भादम का यह सेब, यह "urgent appetite" ("उग्र भूख") पौर, जैसा कि पादरी टाउनसेंड ने हास्यपूर्ण ढंग से कहा है, "the checks which tend to blunt the shafts of Cupid" ("वे प्रतिबंध, जो कामदेव के बाणों को कुंठित कर देते हैं "),- इस नाजुक सवाल पर प्रोटेस्टेंट धर्मशास्त्र के-या कहना चाहिये , प्रोटेस्टेंट चर्च के-पादरियों ने अपना एकाधिकार जमा रखा है। एक वेनिसवासी ईसाई साधु पोर्तेस को छोड़कर, जो एक मौलिक एवं चतुर लेखक है, "जन-संख्या के सिद्धान्त" के अधिकतर प्रचारक प्रोटेस्टेंट पादरी है। उदाहरण के लिये, बुकनर की रचना "Theorie du Systeme animal", Leyde, 1767, देखिये, जिसमें जन-संख्या के माधुनिक सिद्धान्त के पूरे विषय का अत्यन्त विस्तार के साथ विवेचन किया गया है और जिसमें इस विषय से सम्बंधित विचार क्वेजने तथा उनके शिष्य , बड़े मिरावो के बीच अस्थायी विवाद से उधार लिये गये हैं। उसके बाद, यदि उस धारा के कम महत्त्वपूर्ण पादरी लेखकों की चर्चा न भी की जाय, तो भी पादरी बैलेस, पादरी टाउनसेंट, पादरी माल्यूस और उनके शिष्य, पादरी-शिरोमणि टामस पाल्मर्स का नाम लेना अत्यन्त मावश्यक है। पहले पर्यशास्त्र का अध्ययन किया करते थे होम्स, लॉक और पम जैसे वार्मनिक, टोमस मोर, टैम्पिल, सुली, दे विट्ट, नर्ष, ला, बैडरलिष्ट, कैतिलों और फ्रैंकलिन जैसे व्यवसायी लोग तथा राजनीतिज्ञ और इस क्षेत्र में विशेष सफलता पाने वाले पेटी, बाबोंन , . . . .