पूंजीवादी उत्पादन . . बिचाने के लिये, या नयी सड़कें बगैरह बनाने के लिये,-छीन ली जाती है, तो उसको म सिर्क पूरा मुमावजा मिलता है, बल्कि मानव एवं ईश्वरीय नियम का यह भी तकाजा है कि उसे अपनी इच्छा के प्रतिकूल जो "परिवर्जन" करना पड़ा है, उसके एवज में उसे मोटे मुनाने के द्वारा दिलासा भी दिया जाये। पर मजबूर को उसके बाल-बच्चों और पीस-पसत के साथ सड़क पर फेंक दिया जाता है, और यदि वह उन मुहल्लों में भीड़ बढ़ाता है, जहाँ मर्यादा का पालन करना प्रावश्यक होता है, तो सफाई के नाम पर उसके विक्ट कानूनी कार्रवाई की जाती है। १९ वीं सदी के शुरू में लन्दन को छोड़कर इंगलड में १,००,००० निवासियों का एक भी शहर नहीं था। केवल ५ शहरों में ५०,००० से स्यावा भावावी थी। अब २८ शहर ऐसे हैं, जिनकी पावादी ५०,००० से अधिक है। "इस परिवर्तन का फल यह हुमा है कि न केवल शहरी लोगों के वर्ग में भारी वृद्धि हो गयी है, बल्कि पुराने, बहुत धने बसे हुए छोटे-छोटे कस्बे प्रब केनीय भाग हो गये हैं और उनके इर्द-गिर्द हर तरफ़ मकान बन गये हैं। इस तरह इन पुराने केनों में ताजा हवा पाने के लिये कोई रास्ता नहीं रह गया है। अब उनमें रहना पनियों को अच्छा नहीं लगता, इसलिये वे उनको छोड़-छोड़कर शहरों के बाहरी छोर के अधिक सुखकर स्थानों में बसते जा रहे हैं। इन पनियों के स्थान पर जो लोग रहने को माये है, वे इन बड़ी-बड़ी हवेलियों में प्रति परिवार एक कमरे के हिसाब से रहते हैं (... और साथ ही दो या तीन किरायेदार भी अपने साथ रख लेते हैं ....)। इस तरह एक ऐसी मावादी वहां बस गयी है, जिसके लाया ये मकान नहीं है और न ही जिसके लिये ये बनाये गये थे। और यह भावादी ऐसे वातावरण में रहती है, जो वयस्कों को सचमुच पतन के गढ़े में ढकेल देता है और बच्चों को चौपट कर देता है। किसी प्रौद्योगिक प्रथवा व्यापारी नगर में जितनी तेजी के साथ पूंजी का संचय होता है, शोषण-योग्य मानव-सामग्री भी उतनी ही तेजी के साथ वह बहकर उस नगर में पाने लगती है और इन मजदूरों के रहने के लिये जल्दी-जल्दी जो प्रबंध किया जाता है, वह उतना ही अधिक खराब होता जाता है। नरफ से घरों के मामले में लन्दन के बाद दूसरा नम्बर टाइन-नबी के सट-पर-स्थित- न्यूकैसल का है, जो कोयले और लोहे के एक ऐसे क्षेत्र का केन है, जहाँ उत्पाविता बराबर बढ़ती जा रही है। यहां कम से कम ३४,००० व्यक्ति एक-एक कोठरी में रहते हैं। न्यूफैसल और गेट्सहेर में अधिकारियों ने मकानों की एक बड़ी संख्या को गिरवा दिया है, क्योंकि उनसे पूरी बस्ती के लिये खतरा पैदा हो गया था। नये मकान बन रहे हैं, परन्तु बहुत धीरे-धीरे, जब कि व्यवसाय बड़ी तेजी से तरकी कर रहा है। चुनांचे १८६५ में इस शहर में ऐसी सबर्दस्त भीड़ थी, जैसी इसके पहले कभी नहीं देखी गयी थी। एक भी कोठरी किराये के लिये खाली नहीं थी। न्यूकैसल पर अस्पताल के ग० एम्बेलटन ने बताया है : "इसमें परा भी सन्देह नहीं किया जा सकता कि टाइफस पर के फैलने और इतने समय तक जारी रहने का प्रधान कारण यह है कि शहर में लोगों का जमाव बहुत ज्यादा धना है और रहने के मकान बहुत गंदे हैं। बहुत से मजदूर जिन कोरियों में रहते हैं, ये चारों ओर से बन्द और गंदे हातों या प्रांगनों में स्थित है और स्थान, रोशनी, हवा पोर सफाई की दृष्टि से अपर्याप्तता और अस्वास्थ्यप्रदता का नमूना है। ये कोरियां किसी भी सम्म समाज के लिये कलंक का टीका 'उप० पु०, पृ. ५५ पौर ५६ ।
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