पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७८२

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७७६ 1 अतिरिक्त काम के लिये हमेशा अतिरिक्त मजदूरों को पा जाने और कम से कम पैसा खर्च करके स्थादा से ज्यादा काम लेने तथा वयस्क पुरुषों को "अनावश्यक" बना देने का इससे बेहतर तरीका और कोई नहीं हो सकता था। ऊपर जो वर्णन किया गया है, उससे यह बात स्पष्ट हो गयी होगी कि ऐसा क्यों है कि एक भोर तो यह स्वीकार किया जाता है कि खेतिहर मजदूरों के लिये रोबी का न्यूनाधिक प्रभाव रहता है, और दूसरी ओर यह भी ऐलान किया जाता है कि वयस्क पुरुषों की इतनी कमी हो गयी है और वे इतनी बड़ी संख्या में शहरों में चले गये है कि टोलियों की प्रणाली प्रत्यन्त "मावश्यक" हो गयी है। लिंकनशायर में, जहां जमीन के मार-संसार को बड़ी मेहनत के साथ साफ कर दिया जाता है, पर मनुष्य-रूपी सार-संसार हर तरफ़ फैले हुए नजर पाते हैं, हम पूंजीवादी उत्पादन के ध्रुव और प्रति-ध्रुव दोनों को देख सकते हैं।' . 1"टोलियों का काम दूसरे मजदूरों के काम से सस्ता होता है, इसीलिये उनसे काम लिया जाता है," - यह एक भूतपूर्व मुखिया का कथन है। ( उप ० पु०, पृ० १७, अंक ४।) और एक काश्तकार ने कहा है : “टोलियों की प्रणाली काश्तकार के लिये निश्चय ही सबसे सस्ती और बच्चों के लिये निश्चय ही सबसे अधिक घातक प्रणाली होती है।" (उपपु०, पृ. १६, अंक ३।) " इसमें कोई सन्देह नहीं कि आजकल टोलियों में बच्चों से जो काम कराया जाता है, उसमें से बहुत सा काम पहले पुरुषों और स्त्रियों से कराया जाता था। जहां बच्चों और स्त्रियों से काम लिया जाता है, वहां बेकार पुरुषों की संख्या पहले से बढ़ गयी है ( more men are out of work)।" (उप. पु०, पृ० ४३, अंक २०२।) दूसरी ओर, "कुछ खेतिहर डिस्ट्रिक्टों में, खास कर जहां जोतने-बोने योग्य जमीन है, वहां परावास के फलस्वरूप और इस कारण कि रेले बन जाने से बड़े शहरों को चले जाने की सुविधा हो गयी है , श्रम के प्रश्न ( labour question) ने इतना गम्भीर रूप धारण कर लिया है कि मैं (यह “मैं" महोदय एक बड़े श्रीमन्त के कारिन्दे हैं ) समझता हूं कि अब बच्चों से काम लेना हमारे लिये एकदम अनिवार्य हो गया है।" (उप० पु०, पृ० ८०, अंक १८०1) असल में, बाकी सभ्य संसार से बिल्कुल भिन्न, इंगलैण्ड के खेतिहर डिस्ट्रिक्टों में "the labour question" ("श्रम का प्रश्न") the landlords' and farmers' question (जमींदारों और काश्तकारों का प्रश्न) होता । यहां इस प्रश्न का अर्थ यह है कि इस बात के बावजूद कि खेतिहर लोग अधिकाधिक बड़ी संख्या में गांव छोड़-छोड़कर चले जा रहे हैं, देहात में पर्याप्त परिमाण में सापेक्ष अतिरिक्त जन- संख्या बनाये रखना और उसके द्वारा खेतिहर मजदूरों की मजदूरी को अल्पतम स्तर पर दबाये रखना किस प्रकार सम्भव है? I"Public Health Report" ('सार्वजनिक स्वास्थ्य की रिपोर्ट ' ) में बच्चों की मृत्यु-संख्या की चर्चा करते हुए, चलते-चलाते टोलियों की प्रणाली का भी जिक्र कर दिया गया है । परन्तु समाचारपत्रों को और इसलिये ब्रिटिश जनता को उसकी जानकारी नहीं है । दूसरी मोर, "Child. Empl. Com." ('बाल-सेवायोजन पायोग') की अन्तिम रिपोर्ट में समाचारपत्रों को कुछ इस तरह का सनसनीखेज मसाला मिल गया था, जिसका प्रलबार हमेशा स्वागत करते हैं। उदारपंथी पत्रों ने प्रश्न किया कि यह कैसे सम्भव हुमा कि ये तमाम भद्र पुरुष और भद्र महिलाएं और राजकीय चर्च के मोटी तनबाह पाने वाले पादरी लोग, जिनसे लिंकनशायर सदा भरा रहता है,-ये तमाम सहृदय लोग, जो बास “दक्षिणी सागर के द्वीपों के निवासियों की नैतिकता