पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७८७

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७८४ पूंजीवादी उत्पादन १८६४ की तुलना में १८६५ में अलग-अलग फसलों के रकबे में, प्रति फसल का रकबा (एकड़) राये की कमी या वृद्धि, १८६५ प्रति एकड़ पैदावार फ़सल १८६४ १८६५ वृद्धि कमी १८६४ १५६५ २,७६,४८३] २,६६,९८९ १८,१४,८६६१७,४५,२२८ १,७२,७०० १,७७,१०२, ४,४०२ ६,४९४ १३.३६०० १३.०:०० ६६,६५८ २.१ १२ १४.६ १४.८ १०.४ - 11 ८,८९४ १०,०६१ १,१९७ " बियर(Bere)] ई. मालू. शलजम 11 - &e ३,१४३, १०.३ १०.५ 11 १०,३९,७२४|१०,६६,२६०/२६,५३६ ३,३७,३५५ ३,३४,२१२ १४,०७३ १४,८३९ ३१,८२१ ३३,६२२] १८०१ ३,०१,६९३/ २,५१,४३३ 11 १३.३. गोभी फ्लेक्स १०.४ २५.२ स्टोन ५०,२६० ३४.२ स्टोन (१४ पार) सूती घास - १६,०६,५६९/१६७८,४६३/६८,९२४ . १.८ टन . गयी है, परती की पैदावार बहुत कम हो गयी है और हालांकि उस बमीन का रकबा पहले से बढ़ गया है, जिसपर डोर पाले जाते हैं, लेकिन फिर भी पशु-प्रजनन की कुछ शालाओं में निरपेका ढंग की कमी मा गयी है, और अन्य शालाओं में नाम मात्र की वृद्धि हुई है, और वह भी रुक- रककर। किन्तु, इन सब बातों के बावजूद, मावादी की तादाद में कमी पाने के साथ-साप लगान और काश्तकारों के मुनाने बढ़ते गये हैं, हालांकि ये मुनाफे उतने अनवरत ढंग से नहीं बड़े हैं, जितने अनवरत रंग से लगान बड़े हैं। इसका कारण प्रासानी से समझ में पाजाता है। एक पोर यह हुमा है कि छोटी बोतों के बड़ी बातों में मिल जाने से और खेती योग्य जमीन के परागाहों में बदल दिये जाने से पूरी पैदावार का एक स्यावा बड़ा हिस्सा अतिरिक्त पैदावार में बदल गया। अतिरिक्त पैदावार बढ़ गयी, हालांकि कुल पैराबार, जिसका अतिरिक्त पैदावार एक अंश होती है, घट गयी। दूसरी ओर, पिछले २० वर्षों में और विशेषकर माजिरी १० वर्षों में . 1 जब हम यह देखते है कि प्रति एकड़ पैदावार भी सापेक दृष्टि से कम हो गयी है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि डेढ़ सौ वर्ष से इंगलैण्ड अप्रत्यक्ष ढंग से पायरलैण की धरती का निर्यात करता मा रहा है, और साथ ही उसने धरती के जोतने वालों के पास इसके भी कोई साधन नहीं छोड़े हैं, जिनसे वे धरती के उन संघटक अंशों की कमी को पूरा कर देते, जो खतम हो गये है।