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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७९६

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७६३ . . .. है कि इंगलैग एक प्रौद्योगिक देश है, और वहां उद्योग-बंधों के मजदूरों की रिसर्व सेना अपने रंगत येहाती इलाकों से भर्ती करती है, बब कि पायरमण एक तिहर देश है, और यहां सेतिहर मजदूरों की रिसर्च सेना अपने रंगल्ट शहरों और कस्बों से भर्ती करती है, महाँ निष्काषित लेत-महबूर मामय लेते हैं। इंगलैण में खेती के अतिरिक्त लोग फॅक्टरी-मखदूरों में बदल जाते हैं। मायरलैण्ड में खेती के जिन लोगों को शहरों में भगा दिया जाता है, वे शहरों के मजदूरों की मजदूरी की बर को तो नीचे गिरा देते हैं, पर खूब खेतिहर महबूर ही बने रहते हैं और सदा बेहाती इलाकों में काम की तलाश किया करते हैं। सरकारी इंस्पेक्टरों ने सेतिहर मजदूरों की भौतिक स्थिति का संक्षेप में इस प्रकार वर्णन किया है: "हद से ज्यादा कमल! बरतते हुए भी उसकी अपनी मजदूरी एक साधारण परिवार का पेट भरने तथा घर का किराया देने के लिये मुश्किल से ही काफ़ी होती है, और उसे अपने वास्ते तथा अपने बीवी-बच्चों के वास्ते कपड़े बनवाने के लिये कोई और सहारा सोना पड़ता है... इन लोगों को जो और कष्ट उठाने पड़ते हैं, उनके साथ मिलकर इन बड़बों के वातावरण ने इस पूरे वर्ग को इतना कमजोर बना दिया है कि टाइफस और फेफड़ों की तपेदिक उनको कभी भी माघेरती है।"1 तब क्या पाश्चर्य है, यदि सभी इंस्पेक्टरों के कथनानुसार इस वर्ग की पांतों में एक चिन्ताजनक असंतोष फैला हुमा है, ये लोग सदा बोते हुए दिनों की याव किया करते हैं, वर्तमान से घृणा करते हैं और भविष्य के बारे में सर्वथा निराश हो गये हैं, "प्रचारकों के कुप्रभाव" में आ जाते हैं, और अब उनके दिमाग में सदा एक ही विचार घूमता रहता है, और वह यह कि किसी तरह अपना देश छोड़कर अमरीका चले जायें। एरिन (मायरलय) के हरित दीप को माल्यूस की उस महान सर्वदुःखहारी प्रौषषि ने-माबादी के उजड़ने की दवा ने-पालस्य और भोग-विलास के इस कल्पना-लोक में परिणत कर दिया है। मायरलेस का फ़ैक्टरी-मजदूर कैसा सुखी जीवन बिताता है, यह एक उदाहरण से स्पष्ट हो जायेगा। अंग्रेस फैक्टरी-स्पेक्टर रोबर्ट बेकर ने लिखा है : "हाल में मैंने उत्तरी प्रायरलेस की यात्रा की, तो वहां एक निपुण मजदूर ने अपने बच्चों को शिक्षा देने की क्या-या कोशिशे की है, उसके बारे में मुझे कुछ जानकारी प्राप्त हुई। इस मजदूर ने जो कुछ कहा, मैं उसे ज्यों का त्यों उद्धृत किये रे रहा हूं। वह निपुण फैक्टरी-मजदूर था, यह इस बात से प्रमाणित हो जाता है कि उससे मानचेस्टर की मण्डी के वास्ते सामान तैयार करवाया जाता था। इस व्यक्ति ने, जिसका नाम जोनसन था, मुझे यह कुछ बताया : 'मैं दुरमुट चलाता हूं और सोमवार से शुक्रवार तक सुबह के ६ बजे से रात के ११ बजे तक काम करता रहता हूं। शनिवार को शाम को ६ बजे काम बन्द हो जाता है और तीन घण्टे खाने और पाराम करने के लिए मिल जाते हैं। मेरे कुल पांच बच्चे हैं। इस काम के लिये मुझे १० शिलिंग ६ पेन्स प्रति सप्ताह मिलते हैं। मेरी पत्नी भी उसी कारखाने में काम करती है। वह ५ शिलिंग प्रति सप्ताह पाती है। सबसे बड़ी लड़की, जिसकी उन्न १२ बर्ष है, घर की देखभाल करती है। खाना भी वही पकाती है और घर का सारा काम करती है। यही. बच्चों को स्कूल जाने के लिये तैयार करती है। एक लड़की, बो इस समय हमारे मकान के पास से पुखरती है, सुबह को साढ़े पांच बजे मुझे जगा देती है। मेरी पत्नी भी मेरे साथ ही बाग. जाती है और मेरे साथ ही कारखाने चली पाती है। काम पर पाने के पहले हम लोगों को जाने को कुछ नहीं मिलता। १२ वर्ष की वह " . 1 उप. पु०, २१,१३ ।