पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७९८

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम इसलिये, लाई रिन अपने को तव्यों तक सीमित रखते हैं। तथ्य यह है कि प्रापरलंग की पावादी जैसे-जैसे कम होती जाती है, वैसे-वैसे वहां की जमावन्दी फूलती जाती है। तथ्य यह है कि पावावी के उजड़ने से समीदारों का लाभ होता है और इसलिये उससे भूमि को भी लाभ होता है, और ममता चूंकि भूमि का उपांग है, इसलिये उससे जनता को भी लाभ होता है। चुनांचे, मा फरिन फरमाते हैं कि मायरलड की पावादी अब भी जरूरत से ज्यादा है और बहिर्गमन या परावास की धारा अभी भी बहुत धीरे-धीरे बह रही है। पूर्णतया सुखी जीवन व्यतीत करने के लिये पावरलस को तीन साल से कुछ प्रषिक श्रमजीवियों को प्रभी कहीं भेज देना पड़ेगा। कोई प्रावमी यह न समझे कि लाई उरिन, जिनकी कल्पना शक्ति तो कवियोचित है ही, सांप्रेगे के मत के गक्टर है, जो बब कभी उसका कोई बीमार अच्छा नहीं होता था, तो उसकी तस्व बोल देता था और उस वक्त तक बराबर नश्तर लगाता जाता था, जब तक कि बीमार अपने खून के साथ-साथ अपनी बीमारी से भी छुटकारा नहीं पा जाता था। नहीं, लाई फरिन तो सिर्फ यह चाहते हैं कि एक बार और नश्तर लगाकर बस लाख में से केवल एक-तिहाई को कहीं रवाना कर दिया जाये। वह यह पोड़ाही चाहते हैं कि लगभग तीन लाल को निकाल बाहर किया जाये, हालांकि, असल में, बीस लाल को निकाले बिना प्रापरलैण में स्वर्ग की स्थापना नहीं की जा सकती। इसका प्रमाण देना बहुत सहज है। - . १९६४ में वायरलेस में फार्मों की संख्या और विस्तार (१) १ एकर से कम के फार्म (३) ५ एकर से ऊपर, पर १५ एकड़ तक के फार्म (४) १५ एकड़ से ऊपर, पर ३० एकर तक के फार्म फार्म संख्या संख्या संख्या एकड़ संख्या ४८,६५३/२५,३९४०२,०३७२,८८,९१६/१,७६,३६८ /१८,३६,३१०१,३६,५७८ ३०,५१,३४३| (५) ३० एकड़ से ऊपर, पर ५० एकड़ तक के फार्म (७) १०० एकड़ से ऊपर के फार्म (5) ऊपर, पर १०० एकड़ तक के फार्म संख्या संख्या संख्या ७१,९६१ २६,०६,२७४/५४,२४७/३६,८३,८८०३१,९२७८२,२७,८०७/२,६३,१९,९२४ १८५१ से १८६१ तक केन्द्रीयकरण ने प्रधानतया पहली तीन कोटियों के-अर्थात् १५ एकड़ तक के-फ्रामों को नष्ट कर गला। सबसे पहले उनका खात्मा बहरी बा। उसके फलस्वल्प ३,०७,०५८ कास्तकार "फालतू" हो गये, और यदि एक परिवार में केवल चार व्यक्ति के पापार पर भी हिसाब लगाया जाये, तो कुल १२,२८,२३२ व्यक्ति "फालतू" हो गये। परि हम बहुत बढ़ा-चढ़ाकर यह मान लें कि खेती में कान्ति पूरी हो जाने के बाद इनमें क्षेत्रफल में पीट वाले दलदल और बंजर जमीन भी शामिल है।