पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८०४

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पादिम संचय का रहस्य ८०१ मध्ययुगीन विकास की सर्वोच्च देन, प्रभुसत्ता-सम्पन्न नगर काफी समय से पतनोन्मुख अवस्था में हैं। पादिम संचय के इतिहास में, ऐसी तमाम कान्तियां युगान्तरकारी होती है, जो विकासमान पूंजीपति वर्ग के लिये लीवर का काम करती हैं। सबसे अधिक यह बात उन भागों के लिये सच है, जब बड़ी संख्या में मनुष्यों को यकायक और खबर्दस्ती उनके जीवन- निर्वाह के साधनों से अलग कर दिया जाता है और स्वतंत्र एवं "अनाधित" सर्वहारा के रूप में श्रम की मण्डी में फेंक दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया का भाषार है खेतिहर उत्पादक- किसान -की समीन का उससे छीन लिया जाना। इस भूमि-अपहरण का इतिहास अलग- अलग देशों में अलग-अलग रूप धारण करता है और हर जगह एक भिन्न क्रम में तथा भिन्न कालों में अपनी अनेक प्रवस्थानों में से गुजरता है। उसका प्रतिनिधि रूप केवल इंगलैण्ड में देखने को मिलता है, जिसको हम यहाँ मिसाल की तरह पाठकों के सामने पेश करेंगे।' . . 1 इटली में, जहां पूंजीवादी उत्पादन सबसे पहले शुरू हुआ था, कृषि-दास-प्रथा भी अन्य स्थानों की अपेक्षा पहले छिन्न-भिन्न हो गयी थी। भूमि पर कोई रूढ़िगत अधिकार प्राप्त करने के पहले ही वहां का कृषि-दास मुक्त कर दिया गया था। वह मुक्त हुआ, तो तुरन्त ही स्वतंत्र सर्वहारा में बदल गया और वह भी एक ऐसे सर्वहारा में, जिसका मालिक उन शहरों में बैठा उसकी प्रतीक्षा कर रहा था, जो प्राय : रोमन काल से विरासत में मिले थे। जब १५ वीं शताब्दी के समाप्त होने के लगभग दुनिया की मण्डी में क्रान्ति पायी और उसने वाणिज्य के क्षेत्र में उत्तरी इटली की श्रेष्ठता का अन्त कर दिया, तो एक उल्टा विकास-क्रम प्रारम्भ हुआ। तब शहरों के मजदूरों को बड़ी संख्या में गांवों में खदेड़ दिया गया, और उससे बाग़बानी के ढंग की छोटे पैमाने की खेती को अभूतपूर्व प्रोत्साहन मिला। 51-45