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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८१०

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बेतिहर पावादी की जमीनों का अपहरण ८०७ लोगों की सम्पत्ति का बलपूर्वक अपहरण कर लेने की पिया को १६ वीं शताब्दी में रोमन पर्व के सुधार से और उसके फलस्वरूप वर्ष की सम्पत्ति की लूट से एक नया और जबर्दस्त बढ़ावा मिला। वर्ष-सुधार के समय कंपोलिक चर्च इंगलड की भूमि के एक बहुत बड़े हिस्से का सामन्ती स्वामी या। जब ममें प्रावि पर ताले गल दिये गये, तो उनमें रहने वाले लोग सर्वहारा की पांतों में भर्ती हो गये। वर्ष की जागीरें अधिकतर राजा के लुटेरे रूपा-पात्रों को दे दी गयीं या नाम मात्र के नाम पर सट्टेबाजों, कास्तकारों और नागरिकों के हाप बेच दी गयीं, जिन्होंने सारे के सारे पुश्तैनी शिकमीवारों को समीन से खदेड़ दिया और उनकी जोतों को मिलाकर एक कर लिया। कानून ने अधिक गरीब लोगों को वर्ष के वश में से एक भाग पाने का अधिकार दे रखा था; अब वह अधिकार भी छीन लिया गया। रानी एलिजावेष इंगलग की यात्रा करने के बाद चिल्ला पड़ी थी कि "pauper ibique jacet" ("यहाँ तो सब कंगाल ही कंगाल है")। उसके राज्य-काल के ४३ वें वर्ष में राष्ट्र को गरीबों की पार्षिक सहायता करने के लिये कर लगाकर सरकारी तौर पर यह मान लेना पड़ा कि देश में मुहताजी फैली हुई है। "मालूम होता है कि इस कानून के रचयितामों को यह बताने में संकोच होता था कि इस प्रकार का कानून बनाने की प्रावश्यकता क्यों हुई, क्योंकि (परम्परागत प्रथा के विपरीत) इस कानून में किसी भी प्रकार की preamble (प्रस्तावना) नहीं है।"'चार्ल्स प्रथम के राज्य-काल में बनाये गये १६ में कानून के पौषे अध्याय के द्वारा परीबों की प्रार्षिक सहायता के इस कानून को एक चिरस्थायी कानून घोषित कर दिया गया, और असल में तो कहीं १८३४ में जाकर ही इस कानून ने एक नया और अधिक कड़ा रूप धारण किया। वर्ष-सुधार के ये तात्कालिक परिणाम उसके 11 कि इतनी अधिक जमीन तो मजदूरों को छोटे काश्तकारों में बदल देगी।" (George Ro- berts, "The Social History of the People of the Southern Counties of England in Past Centuries" [जार्ज रोबर्ट्स, 'इंगलैण्ड की दक्षिणी काउण्टियों के निवासियों का पिछली कई शताब्दियों का सामाजिक इतिहास'], London, 1856, पृ० १८४-१८५।) 1" दशांश पर गरीबों का अधिकार प्राचीन काल के कानूनों के अनुसार स्थापित है।" (Tuckett, उप० पु०, खण्ड २, पृ. ८०४-८०५।) ? William Cobbett, "A History of the Protestant Reformation" (faferus कौबेट, 'प्रोटेस्टेंट चर्च-सुधार का इतिहास'), पैराग्राफ ४७१। अन्य बातों के अलावा, निम्नलिखित उदाहरण से भी प्रोटेस्टेष्ट मत की ". भावना स्पष्ट हो जाती है। दक्षिणी इंगलैण्ड के कुछ भू-स्वामियों और खाते-पीते काश्तकारों ने प्रापस में मन्त्रणा करके एलिजाबेथ के काल में बनाये गये गरीबों की प्रार्थिक सहायता के कानून की सही व्याख्या के विषय में दस प्रश्न तैयार किये। और इन प्रश्नों को उन्होंने उस काल के एक विख्यात कानून-दां, सार्जेष्ट स्निग (जो बाद को, जेम्स प्रथम के काल में, जज नियुक्त हुए) के सामने पेश किया और उनकी राय मांगी। "प्रश्न ६ यह था कि इस इलाके के कुछ अपेक्षाकृत अधिक धनी काश्तकारों ने एक धूर्ततापूर्ण उपाय निकाला है, जिससे इस कानून को (एलिजावेष के राज्य-काल के ४३ वें वर्ष में बनाये गये कानून को) अमल में लाने के सारे झंझट से बचा जा सकता है। उनका सुझाव है कि इस इलाके में एक जेलखाना बनाया जाये और फिर पास- पड़ोस के लोगों से यह कह दिया जाये कि यदि कुछ लोग इस इलाके के गरीबों के जीवन-निर्वाह का ठेका लेना चाहते हैं, तो वे किसी निश्चित दिन अपने मुहरबंद सुझाव दाखिल कर दें कि ये कम से कम कितने पैसों में इन गरीबों की परवरिश की जिम्मेदारी हमारे कंधों से ले सकते -