८३. पूंजीवादी उत्पादन . १ . के अनुसार ही होता रहेगा। इस बीच परिस्थिति में कितना मौलिक परिवर्तन हो गया था, यह इंगलेस के हाउस माफ़ कामन्स की एक अभूतपूर्व घटना से स्पष्ट हो जाता है। वहां चार सौ वर्षों से अधिक समय से अधिकतम मजदूरी निर्धारित करने वाले कानून बनाये जा रहे थे, जिनके बारा ते कर दिया जाता था कि मजदूरी किसी भी हालत में प्रमुक पर से ऊपर नहीं उठ पायेगी। पर इसी हाउस माफ कामन्स में १७९६ में व्हाइटर ने सेतिहर मजदूरों के लिये एक पल्पतम मजदूरी निश्चित करने का प्रस्ताव किया। पिट ने इसका विरोध किया, मगर यह स्वीकार किया कि "गरीबों की हालत सचमुच बहुत खराब (cruel) है"। मन्त में, १८१३ में मजदूरी का नियमन करनेवाले कानून रह कर दिये गये। अब वे एक हास्यास्पद प्रसंगति प्रतीत होते थे, क्योंकि पूंजीपति अपने निजी कानूनों द्वारा अपनी फ़ैक्टरी का नियमन करता था और खेतिहर मजदूरों की मजदूरी को गरीबों को मिलने वाली सार्वजनिक सहायता के द्वारा अपरिहार्य अल्पतम स्तर पर पहुंचा सकता था। मन के परिनियमों की पाराएं माब भी ( १८७३ में) पूरी तरह लागू है, जिनका मालिकों तवा मजदूरों के करार, नोटिस देने की मावश्यकता और इसी प्रकार की अन्य बातों से सम्बंध है। इन पारामों के अनुसार मालिक के करार तोड़ने पर उसके खिलाफ केवल दीवानी कार्रवाई ही की जा सकती थी, लेकिन, इसके विपरीत, करार तोड़ने वाले मजदूर के खिलाफ फ्रॉमवारी कार्रवाई हो सकती थी। मजदूर यूनियनों पर प्रतिबंध लगाने वाले बर कानून र सर्वहारा के रसे १८२५ में रह कर दिये गये। फिर भी उनको केवल पाशिक म में ही समाप्त किया गया। पुराने परिनियम के कुछ सुन्दर अंश १८५६ तक लागू रहे। अन्त में, २९ जून १८७१ को संसद में एक कानून के द्वारा मजदूर यूनियनों को कानूनी स्वीकृति देकर इस प्रकार के कानूनों के अन्तिम अवशेषों को भी मिटा देने का डॉग रचा। परन्तु असल में उसी तारीख को एक और कानून (an act to amend the criminal law relating to violence, threats and moles- tation [वह कानून, जिसके द्वारा हिंसा, धमकियों और हमलों से सम्बंधित कानून में संशोधन किया गया पा]) बनाकर पुरानी परिस्थिति को एक नये म में पुनः स्थापित कर दिया गया। इस संसदीय बाबीगरी के परिये मजबूर हड़ताल या तालाबन्दी के समय जिन साधनों का प्रयोग कर सकता था, उनको सभी नागरिकों पर सामान्य रूप से लागू होने वाले कानूनों के क्षेत्र से हटाकर कुछ असाधारण बस सम्बंधी कानूनों के प्रवीन कर दिया गया तथा इन कानूनों की व्याख्या करने का अधिकार स्थानीय मजिस्ट्रेटों के प में पुर मालिकों को ही प्राप्त हुआ। इसके दो वर्ष पहले इसी हाउस पाक कामन्स में और इन्हीं मि० मेस्टन ने अपने सुपरिचित पष्टवावी रंग से मजदूर वर्ग के खिलाफ बनाये गये प्रसाधारण र सम्बंधी तमाम कानूनों को रहकरने के लिये एक बिल पेश किया था। परन्तु उस बिल को द्वितीय पन के मागे नहीं पड़ने दिया गया, और वह उस बात तक बढाई में पड़ा रहा, जब तक कि "महान उदार बल" ने अनुवार बल के साथ गठबंधन करके उसी सर्वहारा का विरोध करने का साहस नहीं कर लिया, जिसके बल पर यह सत्ता प्राप्त करने में सफल हुमा पा। "महान चार बल' को इस विश्वासपात से भी सन्तोष नहीं हुमा। उसने अपेव न्यायाधीशों को, मो शासक वर्गों की सेवा के लिये सर्वच प्रस्तुत रहते है, "पत्र" और "सावित" रोकने के लिये बनाये गये पुराने कानूनों को फिर से सोचकर निकालने और मजदूरों के संगठनों के खिलाफ इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। इस तरह हम देखते है कि इंगम की संसद मे, ५०० वर्ष तक
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