पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८३४

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जिन लोगों की सम्पत्ति छीन ली गयी, उनके खिलाफ खूनी कानूनों का बनाया जाना ८३१ अत्यन्त महंगादी निर्लन्यता के साथ बुब मजदूरों के खिलाफ़ पूंजीपतियों की एक स्थापी यूनियन के रूप में काम करने के बाद, केवल अपनी इच्छा के विक्ट और जनता के बाव से मजबूर होकर ही हड़तालों और मखदूर-यूनियनों के खिलाफ बनाये गये कानूनों को रद्द किया था। . फ्रांस के पूंजीपति-वर्ग ने क्रान्ति की पहली प्राथी उठने के समय ही मजदूरों से संगठन का कुछ ही समय पहले प्राप्त अधिकार छीन लेने का दुस्साहस किया था। १४ खून १७९१ के एक अभ्यावेश के द्वारा मजदूरों के तमाम संगठनों को "स्वतंत्रता तवा मनुष्य के अधिकारों की घोषणा का प्रतिक्रमण करने का प्रयत्न करार दिया गया और ऐलान कर दिया गया कि ऐसे प्रत्येक प्रयत्न के लिये ५०० लिन जुर्माना किया जायेगा और अपराधी व्यक्ति से एक वर्ष के लिये सक्रिय नागरिक के समस्त अधिकार छीन लिये जायेंगे। यह कानून, जिसने राज्य की शक्ति का प्रयोग करके, पूंजी और मम के संघर्ष को पूंजी के लिये सुविधाजनक सीमानों के भीतर सीमित कर दिया था, अनेक क्रान्तियों और राजवंशों के परिवर्तनों के बावजूद जीवित रहा। यहां तक कि "मातंक का शासन" भी उसे नहीं छू पाया। यह कानून केवल अभी हाल में रहमा है। इस पूंजीवादी सत्ता-विपर्यय के लिये जो बहाना बनाया गया, यह बहुत पर्षपूर्ण है। इस कानून के सम्बंध में बनायी गयी प्रवर समिति की ओर से रिपोर्ट पेश करते हुए शैलिये ने कहा पाः 'यह मानते हुए भी कि पाजकल जितनी मजदूरी मिलती है, उससे थोड़ी स्पारा मिलनी चाहिये,.. और वह जिसको दी जाती है, उसके लिये पर्याप्त होनी चाहिये, ताकि वह व्यक्ति नितान्त परवशता की उस अवस्था में न पहुंच जाये, 1 इस कानून की पहली धारा इस प्रकार है : "L'anéantissement de toute espece de corporations du même état et profession étant l'une des bases fondamentales de la constitution française, il défendu de les rétablir de fait sous quelque pretexte et sous quelque forme que ce soit" ("समान सामाजिक स्तर और पेशे के लोगों के हर प्रकार के संगठनों को नष्ट कर देना चूंकि फ्रांसीसी विधान का एक मूलाधार है , इसलिये ऐसे संगठनों की किसी भी बहाने से और किसी भी रूप में पुनर्स्थापना करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है")। चौथी धारा में कहा गया है कि यदि "des citoyens attaches aux mêmes professions, arts et métiers prenaient des délibérations, faisaient entre eux des conventions tendantes à refuser de concert ou à n'accorder qu'à un prix déterminé le secours de leur industrie ou de leurs travaux, les dites délibérations et conventions... seront déclarées inconstitutionnelles, attentatoires à la liberté et à la declaration des droits de l'homme, &c." ("#Hn dut, कलामों या व्यवसायों में लगे हुए नागरिक अपने उद्योग अथवा अपने श्रम के रूप में सहायता देने से इनकार करने के उद्देश्य से या केवल एक निश्चित दाम के एवज में बेचने के उद्देश्य से मापस में विचार-विनिमय करेंगे या कोई समझौता करेंगे, तो उस प्रकार के प्रत्येक विचार-विनिमय और समझौते को अवैध घोषित कर दिया जायेगा और उसे स्वतंत्रता तथा मनुष्य के अधिकारों की घोषणा पर माक्रमण समझा जायेगा, इत्यादि")। असल में पुराने मजदूर-कानूनों की ही भांति इस कानून के द्वारा भी मजदूर संगठन को एक घोर अपराध करार दे दिया गया था। ("Revolutions de Paris", Paris, 1791, अंच ३, पृ. ५२३ ।) ...