पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८३८

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पूंजीवादी काश्तकार की उत्पत्ति ८३५ का गला काटकर अधिकाधिक धनी बनते गये। प्रतः कोई पाश्चर्य नहीं, यदि १६ वीं शताब्दी के अन्त तक इंगलंग में पूंजीवादी काश्तकारों का एक ऐसा वर्ग तैयार हो गया था, जो उस काल की परिस्थितियों को देखते हुए काफी धनी था। 1 " . ? मतलब उन लोगों से है, जो क्रय-विक्रय करके जीविका कमाते हैं, क्योंकि वे जितना महंगा खरीदते हैं, उतना ही महंगा बेचते हैं।" - सूरमा सरवारः "और कौन लोग हैं, जो, आप कहते हैं, फ़ायदे में रहेंगे? "वाह ! अरे, वे सब लोग, जिनको पुराने लगान पर जमीन जोतने के लिये मिली हुई है, क्योंकि वे लगान देते हैं पुरानी दर के मुताबिक़ और बेचते हैं नयी दर के अनुसार। यानी अपनी जमीन की उन्हें बहुत सस्ती कीमत देनी होती है और उसपर जो तमाम चीजें पैदा होती हैं, उन्हें वे बहुत महंगी बेचते हैं ..." -सूरमा सरबार: मोर, आपके कहने के मुताबिक, इन लोगों को जितना मुनाफ़ा होता है, उससे ज्यादा जिनका नुकसान हो रहा है, वे लोग कौनसे हैं?" - गफ्टर : "वे हैं ये सारे अभिजात वर्ग के लोग, भद्र पुरुष और वे सब, जो या तो एक निश्चित लगान या एक निश्चित वेतन के सहारे रहते हैं, या जो जमीन को नहीं जोतते , या जो क्रय-विक्रय नहीं करते। फ्रांस में regisseur, जो मध्य युग के शुरू के दिनों में सामन्ती प्रभुत्रों का मुनीम, कारिन्दा और लगान जमा करने वाला गुमाश्ता भी था, शीघ्र ही homrne daffaires (व्यवसायी व्यक्ति) बन गया, और नोच-खसोट, धोखाधड़ी आदि के जरिये अपनी पैलियां भरकर पूंजीपति बन बैठा। इन régisseurs में से कुछ गुमाश्ते तो खुद भी कभी अभिजात वर्ग के थे। उदाहरण के लिये, निम्नलिखित उद्धरण देखिये : "Cest li compte que messire Jacques de Thoraine, chevalier chastelain sor Besançon rent ès-seigneur tenant les comptes à Dijon pour monseigneur le duc et comte de Bourgoigne, des rentes appartenant à la dite chastellenie, depuis xxve jour de decembre MCCCLIX jusqu'au xxviiie jour de décembre MCCCLX" ["eint के दुर्गपति सरदार श्री जैक दे थोरेन ने दिजों में बर्गदी के ड्यूक और काउण्ट की ओर से हिसाब-किताब रखने वाले श्रीमन्त के सामने उपर्युक्त जागीर में २५ दिसम्बर १३५६ से दिसम्बर १३६० के अट्ठाईसवें दिन तक की लगान की वसूली की रिपोर्ट पेश की"]। (Alexis Monteil, "Traité de Matériaux Manuscrits, etc.", qo 238, २३५। ) यहां वह बात स्पष्ट हो जाती है कि किस प्रकार सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों में सर्वोत्तम भाग बिचौलिये हड़प जाते हैं। मिसाल के लिये, पार्थिक क्षेत्र में, वित्त-प्रबंधक, शेयर बाजार के सट्टेबाज, सौदागर और दूकानदार सारी मलाई खा जाते हैं; दीवानी के मामलों में वकील अपने मुवक्किलों को मूंड लेता है। राजनीति में प्रतिनिधि का मतदातामों से और मंत्री का राजा से अधिक महत्त्व होता है ; धर्म में भगवान को "मध्यस्थ"- अथवा ईसा मसीह-पृष्ठ-भूमि में डाल देता है, और ईसा मसीह को पादरी लोग पृष्ठ-भूमि. में धकेल देते है, क्योंकि ईसा और उसकी “भेड़ों" के बीच उनकी मध्यस्थता अनिवार्य होती है। इंगलैण्ड की तरह फ्रांस में भी सामन्तों की बड़ी-बड़ी जागीरें असंख्य छोटी-छोटी जोतों बंट गयी थी, मगर वहां वह बंटवारा जनता के दृष्टिकोण से इंगलैण्ड की अपेक्षा कहीं अधिक. प्रतिकूल परिस्थितियों में हुमा था। १४ वीं शताब्दी में फार्मो-अथवा terriers-का जन्म हमा। उनकी संख्या बराबर बढ़ती गयी और १,००,००० से कहीं भागे निकल गयी। इन फ्रामो. . 53°