पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१५०

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स्थायी पूंजी तथा प्रचल पूंजी १४६ की तरह वर्गीकृत करने के भ्रम में डाल दिया है (जिन्होंने साथ ही स्थायी पूंजी को स्थिर पूंजी के साथ उलझा दिया था )। इस प्रकार उत्पादन साधनों का जो भाग भौतिक रूप में उत्पाद में दाखिल होता है, अर्थात कच्चा माल , वगैरह , वह अंशतः ऐसे रूप धारण करता है, जिनसे वह आगे चलकर उपयोग वस्तुओं की हैसियत से उपभोग में दाखिल हो सकता है। सही अर्थो में श्रम उपकरण स्थायी पूंजी के भौतिक वाहक केवल उत्पादक ढंग से उपभुक्त होते हैं और वैयक्तिक उपभोग में प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि वे उस उत्पाद अथवा उपयोग मूल्य में दाखिल नहीं होते , जिसके निर्माण में वे सहायक होते हैं, वरन उसके संबंध में पूरी तरह छीज जाने तक अपना स्वतंत्र रूप बनाये रखते हैं। परिवहन साधन इस नियम का अपवाद हैं। अपना उत्पादक कार्य करते हुए , अतः उत्पादन क्षेत्र में बने रहने के दौरान वे जो उपयोगी प्रभाव उत्पन्न करते हैं, वह - स्थान परिवर्तन - साथ ही वैयक्तिक उपभोग में, उदाहरण के लिए, यात्री के उपयोग में पहुंच जाता है। वह उनके उपयोग के लिए वैसे ही पैसा देता है, जैसे दूसरी चीज़ों के उपयोग के लिए। हम देख चुके हैं** कि मिसाल के लिए रसायन उद्योग में कच्ची और सहायक सामग्री घुल-मिल जाती है। यही वात श्रम उपकरणों तथा सहायक और कच्ची सामग्री पर लागू होती है। इसी प्रकार खेती में मिट्टी के सुधार के लिए मिलाये गये पदार्थ अंशतः उगाये गये पौधों में पहुंच जाते हैं और उत्पाद बनाने में सहायता देते हैं। दूसरी ओर उनका प्रभाव दीर्घ अवधि तक , जैसे चार-पांच साल तक बना रहता है। अत: उनका एक अंश भौतिक रूप में उत्पाद में पहुंच जाता है और इस प्रकार अपना मूल्य उत्पाद में अंतरित कर देता है, जब कि उसका दूसरा अंश अपने पुराने उपयोग रूप में बंधा रहता है और अपना मूल्य बनाये रखता है। वह उत्पादन साधनों की तरह अपना अस्तित्व बनाये रखता है और फलतः स्थायी पूंजी का रूप बनाये रखता है। जांगर जानवर की हैसियत से वैल स्थायी पूंजी है। यदि वह खा डाला जाये , तो वह न श्रम साधन की तरह और न ही स्थायी पूंजी की तरह ही काम करेगा। इसका कि उत्पादन साधनों में निविष्ट पूंजी मूल्य का एक भाग स्थायी पूंजी के लक्षण से युक्त है, निर्धारण अनन्य रूप से मूल्य के परिचलन करने के ढंग से किया जाता है। परिचलन का यह विशिष्ट ढंग उस विशिष्ट ढंग से उत्पन्न होता है, जिससे श्रम उपकरण अपना मूल्य उत्पाद को संचारित करता है अथवा उत्पादन प्रक्रिया के दौरान मूल्य निर्माता की तरह पाचरण करता है। इसके अलावा यह ढंग उस विशेष तरीके से उत्पन्न होता है, जिसमें श्रम उपकरण श्रम प्रक्रिया में कार्य करते हैं। हम जानते हैं कि जो उपयोग मूल्य एक श्रम प्रक्रिया से उत्पाद की तरह निकलता है . वह दूसरी श्रम प्रक्रिया में उत्पादन साधन की तरह से प्रवेश करता है । *** उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्पाद का श्रम उपकरण की तरह कार्य ही उसे स्थायी पूंजी वनाता है। किन्तु जिस समय वह स्वयं प्रक्रिया से निकलकर आता ही है, उस समय वह किसी भी प्रकार स्थायी पूंजी नहीं होता। उदाहरण के लिए, मशीन निर्माता के उत्पाद अथवा माल के रूप में मशीन उसकी माल पूंजी में आती है। वह तव तक स्थायी पूंजी नहीं बन सकती कि जब तक उसके 1 . • Karl Marx, Theorien über den Mehrwert (Vierter Band des Kapitals), 3. Teil, Berlin, 1962, SS. 323-25.- 'कार्ल मार्स , 'पूंजी', हिन्दी संस्करण , खण्ड १, पृष्ठ २०६-२०७ । - सं० ". कार्ल मार्क्स , 'पूंजी', हिन्दी संस्करण , खण्ड १, पृष्ठ २०७।-सं० .. -