पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१९४

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स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत । प्रकृतितंत्रवादी और ऐडम स्मिथ १६३ 1 1 ~ , उन तत्वों का रूप धारण कर लेती है, जो स्वयं पूर्वश्रम के उत्पाद हैं। ( इनमें श्रम शक्ति भी शामिल है।) उत्पादन प्रक्रिया में पूंजी इस रूप में ही कार्य कर सकती है। अव जिस श्रम शक्ति में पूंजी का परिवर्ती भाग रूपान्तरित हो गया है, स्वयं उसके बदले यदि हम श्रमिक. के निर्वाह साधन लें, तो यह स्पष्ट है कि जहां तक मूल्य निर्माण का सम्वन्ध है, ये साधन वजाते खद, उत्पादक पूंजी के दूसरे तत्वों, कच्चे माल तथा कमकर पशुओं की खुराक से भिन्न नहीं होते। इसी आधार पर स्मिथ एक पूर्वोद्धृत अंश में प्रकृतितंत्रवादियों का अनुसरण करते हुए उन्हें उसी स्तर पर रख देते हैं। निर्वाह साधन अपने आप अपने मूल्य का प्रसार नहीं कर सकते , उसमें कोई वेशी मूल्य नहीं जोड़ सकते। उत्पादक पूंजी. के अन्य तत्वों के मूल्य की ही. तरह उनका मूल्य भी केवल उत्पाद के मूल्य में पुनः प्रकट हो सकता है। जितना मूल्य उनके पास है, उससे अधिक वे कुछ भी उसके मूल्य में नहीं जोड़ सकते । कच्चे माल , अधतैयार सामान, वगैरह की तरह वे उस स्थायी पूंजी से, समें श्रम उपकरण समाहित हों, केवल: इस बात में भिन्न होते हैं कि वे उत्पाद में पूर्णतः खप जाते हैं (कम से कम जहां तक. उस पूंजीपति का सम्बन्ध है, जो उनके लिए पैसे देता है) और इसलिए उनके मूल्य को पूर्णतः प्रतिस्थापित करना होता है, जब कि स्थायी पूंजी के मामले में यह प्रतिस्थापन क्रमशः, खंडशः होता है। उत्पादक पूंजी का जो भाग श्रम शक्ति (अथवा श्रमिक के निर्वाह साधनों) में पेशगी दिया जाता है, वह उत्पादक पूंजी के अन्य भौतिक तत्वों से केवल भौतिक रूप में भिन्न होता'. है, श्रम प्रक्रिया तथा वेशी मूल्य के संदर्भ में नहीं। वह केवल वहां तक भिन्न होता है, जहां तक वह उत्पाद के वस्तुगत निर्माताओं के एक भाग के साथ (ऐडम स्मिथ इन्हें सामान्यतः " सामग्री" कहते हैं ) प्रचल पूंजी के संवर्ग में आता है। यह भाग उन वस्तुगत उत्पाद निर्माताओं के दूसरे भाग से भिन्न है, जो स्थायी पूंजी के संवर्ग में आते हैं। इस बात का कि मजदूरी पर व्यय की जानेवाली पूंजी उत्पादक पूंजी के प्रचल भाग का अंग होती है और उत्पादक पूंजी के स्थायी घटक के विपरीत, वस्तुगत उत्पाद निर्माताओं, कच्चे माल , वगैरह के एक भाग के समान , उसमें अस्थिरता का गुण होता है, स्वप्रसार प्रक्रिया में पूंजी के स्थिर भाग से भिन्न उसके इस परिवर्ती भाग की भूमिका से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसका सम्बन्ध केवल इस बात से है कि परिचलन द्वारा उत्पाद के मूल्य के इस भाग का प्रतिस्थापन , नवीकरण , अतः पुनरुत्पादन किस प्रकार होगा। श्रम शक्ति का क्रय और पुन: क्रय परिचलन प्रक्रिया में आते हैं। किन्तु श्रम शक्ति पर व्यय किया हुअा मूल्य केवल उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत एक निश्चित , स्थायी परिमाण से परिवर्तनशील परिमाण में परिवर्तित होता है ( श्रमिक के लिए नहीं, वरन पूंजीपति के लिए) और केवल इस प्रकार पेशगी मूल्य पूंजी मूल्य में, पूंजी में, स्वप्रसारवान मूल्य में पूर्णतः परिवर्तित होता है। लेकिन स्मिथ की तरह श्रम शक्ति पर व्यय किये मूल्य को नहीं, श्रमिकों निर्वाह साधनों पर व्यय किये मूल्य को उत्पादक पूंजी के प्रचल घटक के रूप में वर्गीकृत करने से परिवर्ती और स्थिर पूंजी के भेद को समझना और इस प्रकार सामान्यतः उत्पादन की पूंजीवादी प्रक्रिया को समझना असम्भव हो जाता है। इस बात का कि उत्पाद के वस्तुगत निर्माताओं के लिए व्यय की हुई स्थिर पूंजी के विपरीत पूंजी का यह भाग परिवर्ती पूंजी है, निर्धारण इस दूसरे निर्धारण के नीचे दफ़न हो जाता है कि श्रम शक्ति में लगाया हुआ पूंजी का अंश , जहां तक. आवर्त का सम्बन्ध है, उत्पादक पूंजी के प्रचल भाग में आता है। उत्पादक पूंजी के तत्व के रूप में मजदूर की. श्रम शक्ति के बदले उसके निर्वाह साधनों के परिगणन से दफ़नाने का यह काम पूरा हो जाता है। , 1 13-)150