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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२४

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भूमिका २३ 31 ही प्रूदों के ख़िलाफ़ उद्धृत किया था (Misere de la Philosophie, पृष्ठ ४६' )। इन लेखकों में हैं एडमंड्स, टॉमसन , हॉड्किन , इत्यादि, इत्यादि, "और इत्यादि , इत्यादि के चार पन्ने और"। लेखकों की रचनाओं के इस अम्बार से मैं एक यों ही ले लेता हूं: An Inquiry into the Principles of Distribution of Wealth, Most Conducive to Human Happiness, लेखक विलियम टॉमसन , नया संस्करण, लन्दन, १८५० । इसकी रचना १८२२ में हुई थी और इसका पहला संस्करण १८२७ में प्रकाशित हुअा था। गैरउत्पादक वर्ग जिस सम्पत्ति को हथिया लेते हैं, उसे यहां भी सर्वत्र मजदूर की उपज से कटौती बताया गया है और ज़रा सख्त शब्द इस्तेमाल किये गये हैं। लेखक का कहना है, "जिसे समाज कहा गया है, उसकी कोशिश बरावर यही रही है कि उत्पादन करनेवाले मजदूर को धोखा दे और वहलाये , डराये-धमकाये और मजबूर करे कि वह अपने ही श्रम के उत्पाद के अल्प से अल्पतम भाग के लिए भी मेहनत करे) (पृष्ठ २८)। "उसकी मेहनत का सारा का सारा उत्पाद बिना किसी कटौती के उसे क्यों न दे दिया जाये? (पृष्ठ ३२)। " उत्पादन करनेवाले मजदूरों से किराये या लाभ के नाम से पूंजीपति जो मुआवजा वसूल करते हैं, उनका दावा है कि वे ऐसा ज़मीन और दूसरे सामान के इस्तेमाल की एवज़ में करते हैं चूंकि जिस भौतिक सामग्री पर अथवा जिसके जरिये उसकी उत्पादक शक्तियां उपलब्ध की जा सकती हैं, वह सारी की सारी दुसरों के हाथ है, जिनके हित उसके हितों के विरुद्ध हैं, इसलिए वह कुछ भी काम करे, पहले उसे इन दूसरों की रजामन्दी लेनी होती है। तब क्या वह इसके लिए पूरी तरह पूंजीपतियों के आसरे नहीं है, और हमेशा नहीं रहेगा कि उसकी मेहनत के पारिश्रमिक के रूप में वे उसी के श्रम फल का जो भी हिस्सा ठीक समझें, उसे दे दें? (पृष्ठ १२५)। उत्पाद के उस हथियाये हुए भाग के अनुपात में, जिसे चाहे मुनाफ़ा कहो, चाहे टैक्स , चाहे चोरी" (पृष्ठ १२६), इत्यादि। मैं मानता हूं कि कुछ मानसिक कष्ट अनुभव किये विना मैं यह सब नहीं लिख रहा हूं। मैं इस बात को नज़रंदाज़ कर सकता हूं कि इंगलैंड में, तीसरे और चौथे दशकों में जो पूंजी- वादविरोधी साहित्य लिखा गया था, उससे जर्मनी में लोग एकदम अपरिचित हैं, यद्यपि मार्क्स ने Poverty of Philosophy में भी इसका हवाला दिया था, और वाद में 'पूंजी' के खंड १ में उसके अंश बार-बार उद्धृत किये थे, जैसे १८२१ की पुस्तिका से, और रैवेंस्टन , हॉड्किन , आदि से। आधिकारिक राजनीतिक अर्थशास्त्र का पतन कितना गहरा है, यह इस बात से स्पष्ट है कि न सिर्फ Literatus vulgaris ** ही , जो रॉदवेर्टस के दामन से बुरी तरह चिपके हुए हैं और " दरअसल जिन्होंने कुछ नहीं सीखा", किन्तु वह व्यक्ति भी, जिसे वाक़ायदा ढोल वजाकर प्रोफेसर की कुर्सी पर विधिवत प्रतिष्ठित किया गया है *** और जो "अपनी विद्वत्ता की डींग हांकता है", अपना क्लासिकी राजनीतिक अर्थशास्त्र यहां तक भूल गया है कि वह मार्क्स पर रॉदवेर्टस से उन चीजों को लूटने का आरोप गम्भीरतापूर्वक लगाता है, जो ऐडम स्मिथ और रिकार्डो तक में मिल जाती हैं। 1 11 . . - -

  • K. Marx, The Povetry of Philosophy, Moscow, 1962. -

एंगेल्स का आशय रू० मेयेर से है।-सं० एंगेल्स का आशय जर्मन वाजारू अर्थशास्त्री ऐ० वागनेर से है।-सं०