२४ भूमिका 3 11 लेकिन तब वेशी मूल्य के बारे में माक्स ने जो कुछ कहा है, उसमें नया क्या है? क्या कारण है कि मार्क्स का वेशी मूल्य का सिद्धान्त निरन्त्र आकाश से गिरनेवाली बिजली की तरह सावित हुया और वह भी समस्त सभ्य देशों में, जब कि रॉदवेर्टस समेत उनके पूर्ववर्ती सभी समाजवादियों के सिद्धान्त कोई प्रभाव डाले बिना विलुप्त हो गये ? रसायनशास्त्र का इतिहास एक उदाहरण पेश करता है, जो इसकी व्याख्या करता है। हम जानते हैं कि पिछली शताब्दी के अन्तिम चरण में भी फ़्लोजिस्टन सिद्धान्त का ही बोलबाला था। उसके अनुसार यह माना जाता था कि दहन क्रिया में तत्वतः यह होता था : फ्लोजिस्टन नाम का एक निरपेक्ष रूप से दाह्य कल्पित पदार्थ जलती हुई चीज़ से अलग हो जाता था। उस समय तक जो भी रासायनिक परिघटनाएं ज्ञात थीं, उनमें अधिकांश की व्याख्या करने के लिए यह सिद्धान्त पर्याप्त था, हालांकि इसके लिए कहीं-कहीं काफ़ी खींचतान करनी पड़ती थी। लेकिन १७७४ में प्रीस्टले ने एक प्रकार की वायु प्राप्त की, "जिसे उन्होंने इतना विशुद्ध , फ़्लोजिस्टन से इतना मुक्त पाया कि उसकी तुलना में साधारण वायु अशुद्ध जान पड़ती थी। उसे उन्होंने "फ्लोजिस्टनविहीन वायु" की संज्ञा दी। इसके कुछ ही समय वाद स्वीडन में शेयेले ने उसी प्रकार की वायु प्राप्त की और सिद्ध किया कि वह वायुमण्डल में विद्यमान है। उन्होंने यह भी देखा कि जब इस वायु में अथवा साधारण वायु में कोई चीज़ जलायी जाती है, तव इस प्रकार की वायु लुप्त हो जाती है। इसलिए उन्होंने इसे “अग्नि वायु" की संज्ञा दी। "इन तथ्यों से उन्होंने यह परिणाम निकाला कि वायुमण्डल के एक तत्व से फ़्लोजिस्टन का मेल होने से" (अर्थात दहन से) “जो संयोग उत्पन्न होता है, वह अग्नि या ऊप्मा के अलावा और कुछ नहीं है, जो कांच से बाहर निकल जाती है।" प्रोस्टले और शेयेले ने यह जाने विना अाक्सीजन प्राप्त कर ली थी कि उनके हाथ कीन सी चीज़ लगी है। वे फ्लोजिस्टन सम्बन्धी " पहले से चले आते हुए संवर्गों के बन्दी बने रहे। जो तत्व समस्त फ़्लोजिस्टन सम्बन्धी धारणाओं को निर्मूल करनेवाला था और रसायनशास्त्र में क्रान्ति लानेवाला था, वह उनके यहां वेकार पड़ा रहा। लेकिन प्रीस्टले ने अपनी खोज की सूचना पेरिस में लावोइजिए को तुरंत ही दे दी थी और लावोइजिए ने अब इस खोज के सहारे सारे फ़्लोजिस्टन रसायन का विश्लेषण किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि यह नई प्रकार की वायु एक नया रासायनिक तत्व है, और दहन में यह नहीं होता कि जलती हुई चीज़ से वह रहस्यमय फ़्लोजिस्टन अलग हो जाता है, वरन होता यह है कि यह नया तत्व उस चीज़ से संयुक्त हो जाता है। इस प्रकार उन्होंने सबसे पहले समस्त रसायनशास्त्र को ठीक-ठीक पैरों के वल खड़ा किया, जो अपने फ़्लोजिस्टनी रूप में अब तक सिर के बल खड़ा था। और यद्यपि लावोइजिए ने उन दोनों के साथ-साथ तथा स्वतन्त्र रूप में अक्सीजन प्राप्त नहीं किया था, जैसा कि उन्होंने वाद में दावा किया, फिर भी उन दोनों के मुकाबले , जो उसे प्राप्त तो कर चुके थे, लेकिन यह नहीं जानते थे कि जिसे प्राप्त किया है, वह है क्या ; लावौइजिए ही आक्सीजन के वास्तविक अन्वेषक हैं। प्रीस्टले और शेयेले की तुलना में जो स्यान लावोइजिए का है, वही स्थान वेशी मूल्य के सिद्धान्त के संदर्भ में अपने पूर्ववर्तियों तुलना में मार्क्स का है। जिसे अब हम वेशी मूल्य "2 11 , ? Roscoe-Schorlemmer, Ausführliches Lehrbuch der Chemie, Braunschweig, 1877, 1, SS. 13 und 18.
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