पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३११

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पूंजी का प्रावत अन्य भाग निरंतर उत्सादक पूंजी में परिवर्तित होता जायेगा। पूंजीपति वर्ग के सदस्यों में प्रति- रिक्त बहुमूल्य धातुओं के वितरण के सिवा द्रव्य रूप में संचय कभी भी एकताय सभी जगह नहीं होता। जो बात वार्षिक उत्पाद के उस भाग के बारे में सही है, जो वेशी मूल्य को माल रूप में प्रकट करता है, वह उसके दूसरे भाग के वारे में भी सही है। उसके परिचलन के लिए कोई एक द्रव्य राशि दरकार होती है। यह द्रव्य राशि पूंजीपति वर्ग की उतनी ही होती है, जितनी पन्य वस्तुओं की प्रति वर्ष उत्पादित माना उनकी होती है, जो वेशी मूल्य प्रकट करती है। उसे मूलतः स्वयं पूंजीपति वर्ग परिचलन में डालता है। उसके सदस्यों के वीच स्वयं परिचलन प्रक्रिया द्वारा उसका निरंतर पुनर्वितरण होता है। ठीक जैसे सामान्य रूप में सिक्कों के परिचलन में होता है, वैसे ही यहां भी इस राशि का एक भाग नित बदलते स्थलों पर गतिरुद्ध होता रहता है, जब कि दूसरा भाग निरंतर परिचलन करता रहता है। इसके एक भाग का संचय माभिप्राय , द्रव्य पूंजी का निर्माण करने के लिए है या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां परिचलन की उन प्रापवीतियों की तरफ़ ध्यान नहीं दिया गया है, जिनमें एक पूंजीपति दूसरे के वेशी मूल्य के एक भाग, या उसकी पूंजी के एक भाग को हथिया लेता है, और इस प्रकार द्रव्य पूंजी का तथा उत्पादक पूंजी का भी एकांगी संचय तथा केंद्रीकरण होता है। उदाहरण के लिए, हथियाये हुए वेशी मूल्य का जो भाग पूंजीपति क ने द्रव्य पूंजी में संचित किया है, वह पूंजीपति ख के वेशी मूल्य का एक भाग हो सकता है, जो उसके पास वापस नहीं पायेगा। . 1