पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३५२

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साधारण पुनरुत्पादन ३५१ द्रव्य का द्रव्य में पुनःल्पांतरण , उनका विक्रय ही पूंजीपति को द्रव्य पूंजी के रूप में उसकी परिवर्ती पूंजी वापस लौटाता है, जिसे वह श्रम शक्ति खरीदने के लिए फिर पेशगी दे सकता है। इसलिए क्षेत्र I में समप्टि पूंजीपति ने मजदूरों को उत्पाद I के मूल्य के लिए १,००० पाउंड दिये हैं, जो १,००० के वरावर है ( मैंने पाउंड का प्रयोग केवल यह दिखाने के लिए किया है कि यह द्रव्य रूप में मूल्य है)। उत्पाद I का मूल्य पहले ही प अंश के , अर्थात मजदूरों द्वारा निर्मित उत्पादन साधनों के रूप में विद्यमान है। इन १,००० पाउंड से मजदूर II के पूंजीपतियों से उसी मूल्य की उपभोग वस्तुएं खरीदते हैं, और इस प्रकार स्थिर पूंजी Il का अाधा हिस्सा द्रव्य में बदल देते हैं ; II के पूंजीपति अपनी वारी में ] के पूंजीपतियों से १,००० के उत्पादन साधन खरीदते हैं ; जिससे जहां तक I के पूंजीपतियों का संबंध है , १,०००प के वरावर परिवर्ती पूंजी मूल्य, जो उनके उत्पाद का अंश होने के कारण उत्पादन साधनों के दैहिक रूप में विद्यमान : था, में पुनःपरिवर्तित हो जाता है और अब I के पूंजीपतियों के हाथ में फिर से द्रव्य पूंजी की तरह कार्य कर सकता है, जो श्रम शक्ति में , अतः उत्पादक पूंजी के सबसे महत्वपूर्ण तत्व में रूपांतरित हो जाती है। इस प्रकार उनकी माल पूंजी के कुछ भाग के सिद्धिकरण, के फलस्वरूप उनकी परिवर्ती पूंजी. द्रव्य रूप में, उनके पास पुनः लौट आती है। जहां तक स्थिर पूंजी II के दूसरे अर्धाश से माल पूंजी I के वे अंश विनिमय के लिए ज़रूरी द्रव्य का संबंध है, उसे भिन्न-भिन्न तरीकों से पेशगी दिया जा सकता है। वास्तव में इस परिचलन में दोनों संवर्गों के अलग-अलग, पूंजीपतियों द्वारा क्रय-विक्रय की असंख्य पृथक क्रियाएं होती हैं, जिनमें धन हर हालत. में इन्हीं पूंजीपतियों के पास. से आता है, क्योंकि. मजदूरों द्वारा परिचलन में डाले धन का हम हिसाव कर चुके हैं। संवर्ग II के पूंजीपति के पास अपनी उत्पादक पूंजी के अलावा जो द्रव्य पूंजी है, उससे वह संवर्ग I के पूंजीपतियों से उत्पादन साधन ख़रीद सकता है और इसके विपरीत संवर्ग I का. पूंजीपति व्यक्तिगत खर्च के लिए, न कि पूंजी व्यय के लिए आवंटित द्रव्य निधि से संवर्ग II के पूंजीपतियों से उपभोग वस्तुएं खरीद सकता है। जैसा कि हम इससे. पूर्व पहले और दूसरे भागों में दिखा चुके हैं, यह मान लेना होगा कि पूंजीपतियों के हाथ में पूंजी को पेशगी लगाने या प्रायः को ख़र्च करने के लिए उत्पादक पूंजी के अलावा द्रव्य पूर्ति की एक मात्रा सभी परिस्थितियों में रहती है। मान लीजिये.- द्रव्य का अनुपात हमारे लिए पूर्णतः महत्वहीन है-द्रव्य का आधा भाग II के पूंजीपतियों द्वारा अपनी. स्थिर पूंजी के प्रतिस्थापन के लिए उत्पादन साधनों के क्रय में पेशगी दिया जाता है, जब कि दूसरा भाग I के पूंजीपतियों द्वारा उपभोग वस्तुओं पर. ख़र्च किया जाता है। इस मामले में क्षेत्र II क्षेत्र I से उत्पादन साधन खरीदने के लिए ५०० पाउंड पेशगी. देता है और इस प्रकार अपनी स्थिर पूंजी का तीन चौथाई भाग (क्षेत्र I के मजदूरों से प्राप्त. उपर्युक्त १,००० पाउंड सहित ) वस्तुरूप में प्रतिस्थापित करता है। इस तरह पाये . ५०० पाउंड से क्षेत्र । क्षेत्र II से उपभोग वस्तुएं ख़रीदता है और इस प्रकार अपनी माल पूंजी. के. वे भाग के आधे हिस्से के लिए मा-द्र - मा परिचलन पूरा करता है और इस प्रकार उपभोग निधि में अपने उत्पाद का सिद्धिकरण करता है। इस दूसरी प्रक्रिया द्वारा ५०० पाउंड II के पास उसकी उत्पादक पूंजी के साथ-साथ विद्यमान द्रव्य पूंजी के रूप में पहुंच जाते हैं। दूसरी ओर I अपनी माल पूंजी के वे अंश के उस आधे हिस्से की विक्री की प्रत्याशा में ; जो अभी. भंडार ,